धीरज गब्र्याल जिलाधिकारी पौड़ी के फेसबुक वाल से
पारंपरिक शैली को अक्षुण्य बनाने के लिए एवं सामूहिक सहभागिता पर आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बासा होमस्टे की परिकल्पना की गई। बासा का अर्थ ऐसे स्थान से है जहाँ राहगीर/पर्यटक आकर रात्रि विश्राम करते हैं।
खिर्सू में निर्मित बासा की सफलता के बाद बासा द्वितीय की भी परिकल्पना की गई, जो बासा प्रथम से शैली में भिन्न है। इस प्रकार पौडी जनपद के भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों को 20 किलोमीटर के दायरे में उत्तराखंड की अलग अलग प्रकार की पारंपरिक शैली के भवनों के दर्शन होंगे। एक ओर कंडोलिया पार्क में जहाँ उत्तरकाशी के कोटि बनाल शैली में निर्मित आधुनिक रेस्टॉरेंट हो या खिर्सू में सामुदायिक सहभागिता पर आधारित पर्यटन को बढ़ावा देते एवं परमपरिक शैली में निर्मित बासा होमस्टे। बासा होम स्टे के निर्माण की यह विशेषता रही कि दोनों बासा के निर्माण में नक्काशीदार दरवाजो, खिडकियों/तिबारियों को उपयोग में लाया गया और इसके कारीगरों, धनीराम एवम् पुत्रगणों को अल्मोड़ा जनपद के धौला देवी ब्लॉक से पौडी लाया गया और इन्होंने दो चरणों में मेरे आवास जिलाधिकारी आवास में रहकर इस कार्य को अंजाम दिया।