भूख और बीमारी इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है। इसका उदाहरण बनभूलपुरा की मलिन बस्ती में एक मजदूर के घर देखने को मिला। मजदूर ने अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए 24 घंटे पहले सुशीला तिवारी अस्पताल में पैदा हुए नवजात को 65 हजार में बेच दिया।
अब मां की ममता जाग गई। वह अपने कलेजे के टुकड़े को मांग रही है। कह रही है कि उसे अपना इलाज नहीं कराना है। बस किसी भी कीमत पर उसे अपना बच्चा चाहिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बनभूलपुरा मलिन बस्ती के रहने वाले मजदूर की पत्नी के बच्चे को जन्म देने के दौरान जांच के बाद चिकित्सकों ने आशंका जताई कि महिला को कैंसर हो सकता है। जानलेवा बीमारी का नाम सुनते ही मजदूर के होश उड़ गए।
इतना पैसा नहीं था कि पत्नी का इलाज करा सके। पत्नी से बातचीत कर तय किया कि नवजात को ही बेच कर पैसों का बंदोबस्त कर लिया जाए। पत्नी ने भी दिल पर पत्थर रखकर तब अपने कलेजे के टुकड़े को बेचने की हामी भर दी। इस पर मजदूर ने गौजाजाली के रहने वाले अपने परिचित को 65 हजार रुपये में नवजात को बेच दिया।
अस्पताल से लौटकर मजदूर की पत्नी घर आ गई। रविवार को ममत्व जागा तो पति से कहा कि उसे अपना बच्चा चाहिए। इलाज नहीं कराऊंगी। हर हाल में बच्चा लेकर आओ वरना वह कुछ भी कर सकती है। इधर, बच्चा खरीदने वाला परिवार भी असमंजस में पड़ गया है। पति ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
हालांकि उसने राय लेने के लिए कोतवाली थाने के एक उपनिरीक्षक को कॉल किया था।पुलिस ने इस मामले में लिखित शिकायत दैने की सलाह दी है। मजदूर के सामने असमंजस की स्थिति है। वह अपने परिचित के खिलाफ शिकायत नहीं करना चाहता। मां की ममता पर भी उसे तरस है। पत्नी का इलाज भी कराना है।