बागेश्वर। (अर्जुन राणा) कौसानी के ऐतिहासिक प्राचीन पिनाकेश्वर महादेव मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले मेले का आज शिवजी को भोग लगने के साथ ही आगाज हो गया हैं। मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी भव्य मेले का आयोजन हो रहा हैं। जिसमें कत्यूर व बोरा रौ घाटी के कई गांवों से हजारों शिव भक्तों ने भाग लिया। पिनाकेश्वर महादेव का मंदिर क्षेत्र के पिनाथ नामक पहाड़ी पर समुद्र तल से करीब आठ हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है। यहां बोरा रौ कत्यूर और गेवाड़ घाटी के करीब 200 गांवों के आराध्य देव भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इस मंदिर की खोज राजा बाल बहादुर चंद्र ने 1438 ईसवी में आखेट के दौरान की थी। उन्होंने यहां पर आने.जाने के लिए 365 सीढिय़ों का निर्माण कराया था। परन्तु आज देखरेख के अभाव में ये कई जगहें टूट गई हैं । पिनाथ महादेव को उनके आराध्य देव के नाम से भी जाना जाता है।
पिनाकेश्वर मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं क्षेत्र का एकमात्र प्राचीन मंदिर है जिसकी मूर्तियों को रुहेला खण्डित नही कर पाए थे। कहावत हैं कि जब रुहेल सैनिक इस मंदिर की मूर्तियों को खंडित करने घुघुतिया मन्दिर तक पहुँच गए तो मन्दिर से घुघूती ने उड़ कर भगवान शिव को इसकी सूचना दे दी । जिसपर भोलेनाथ अति क्रोधित हुए और उन्होंने इस सम्पूर्ण जंगल मे लोहे के ओले बरसा दिए । उन्ही ओलों की मार से कोई भी रुहेला सैनिक बच नही पाए और इसी जंगल मे ढेर हो गए। कहते है कि यहाँ के जंगल मे आज भी लोहे के छोटे 2 गोले कभी 2 दिखाई देते हैं।
पिनाकेश्वर मन्दिर को यहाँ पर खोदे गए 3 कुओं की वजह से भी जाना जाता है। यहां के लबालब जल से भरे कुओं को देखकर हर कोई अपने दाँतो तले उंगली दबा लेता हैं कि करीब 8 हजार से भी ज्यादा ऊँची इस पहाड़ी पर कैसे यहाँ पानी उपलब्ध हो पाता हैं।
इस मंदिर में निःसन्तान महिलाये पूरी रात दीपक को हाथ मे लेकर तपस्या करती हैं। जिससे उन्हें सन्तान की प्राप्ति होती हैं।
लेकिन बहुत अफसोस कि बात है कि हमारी सरकार ने पर्यटन की दृष्टि से इस बेहद खूबसूरत जगह को आजतक पर्यटक स्थल बनाने की कोई भी कवायद नही की है। इसे कौसानी से रज्जुमार्ग से जोड़कर इसकी खूबसूरती में चार चाँद लग सकते है साथ ही क्षेत्रय बेरोजगारी भी इससे दूर हो सकती हैं।
मंदिर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें बागेश्वर और अल्मोड़ा जिले के कई गांवों से लोग उम लवड़ते हैं। मंदिर के महंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बताया कि इस साल लगने वाले मेले के लिए तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि 11 नवंबर को मेले का विधिवत आगाज होगा। पूरे दिन श्रद्धालु मंदिर में आकर भगवान के दर्शन करेंगे। इसके अलावा मेलार्थी मेले का भी आनंद लेंगे। उसी रात को मंदिर में जागरण होगा। जिसमें श्रद्धालु भजन.कीर्तन कर भगवान की स्तुति करेंगे। 12 को सुबह शिव पूजाए हवन आदि के साथ मेले का समापन होगा। उन्होंने मेले के दौरान सभी श्रद्धालुओं से पर्यावरण का विशेष ध्यान रखने और मंदिर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने की अपील की है।