पुरोला।…रंवाई बसन्तोत्सव में महक रही है रंवाई के पकवानों की खुशबू। …देहरादून परेट ग्राउण्ड में भी कई बार सज चुकी है, रवांई की रसोई।
पहली बार रवांई की रसोई के परंपरागत पकवानों की खुशबू पुरोला बंसत मेले का आकर्षण बना हुआ है। पुरोला नगर पंचायत के अंतर्गत शुक्रवार से चल रहे रंवाई बसन्तोत्सव विकास मेले में लोगों की खूब भीड़ जुट रही है, लोग रंवाई की रसोई में बने पारंपरिक, पहाड़ी व्यंजनों का खूब लुफ्त उठा रहे हैं। वहीं रामा सिराईं, कमल सिराईं की इस बाजार की पौराणिक जातर व बसन्तोत्सव मेले में गांव से महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा कुर्ती, डाँठु, ऊनी धोती, पखटी पहनकर आ रही हैं, तो पुरुष ऊनी सुंतण, फेड सिकोली टोपी कुर्ता व कोट में सजे दिख मेले का आकर्षण बढा रहे हैं।
दूसरी ओर अब मेला स्थल पर सजी स्टाल रंवाई की रसोई के व्यंजन सबका ध्यान आकर्शित कर खींच रही है महिलाओं के शुद्ध जैविक उत्पादों से बनी अपनी पारम्परिक पकवानों चावल आटे से बने अरसेए मसूर दाल की बडील, पकोड़े, मंडुवे के आटे के बने डिंडके, सिलबट्टे की चटनी, सिडक़े, अश्के, लेमड़ी, बटाणी, घेंड, लगड़ी आदि कई प्रकार के व्यंजन परोस रही हैं, जो मेले में विशेष आकर्षण का केंद्र बना है।
रंवाई रसोई कि संचालिका नौगांव की जमुना रावत व कौशल्या कहती हैं कि बीते दो दशकों से रवांई क्षेत्र के जातर, त्योहारों, विवाह समारोह व मेलों में लोगों की थालियों से पारंपरिक व्यंजन विलुप्त होते जा रहे है। पांरपरिक खानपान, व्यंजनों को संरक्षित रखने के लिए कई ग्रामीण महिला समूहों की मदद से यह कार्य शुरु किया है। कई बड़े बड़े शहरों में भी हाट मेलों व समारोह में स्टाल लगा कर रंवाई रसोई में बने शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक पारम्परिक पकवानों के लजीज स्वाद से लोगों को परिचित करवाने का काम कर रहे हैं।
नगर पंचायत अध्यक्ष हरिमोहन नेगी ने बताया कि रवांई क्षेत्र की अपनी पौराणिक, पारंपरिक रीतिरिवाजों, खान.पान, पहनावे गीत, संगीत, वेशभूषा को संरक्षित करने के लिए अपनी चीजों को बढ़ावा देना मेले के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है, सरकार को भी मेले महोत्सव को प्रोत्साहित कर संस्कृति, भाषा, पहनावे को संरक्षित करने पर जोर देना चाहिए।