डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड सैन्य बाहुल्य क्षेत्र है। यहां एक से बढक़र एक वीर पैदा हुए हैं। भारत मां के कई वीरों ने दुश्मनों को धूल चटाई है। युद्ध में कई मेडल अपने नाम किये हैं। ऐसे में उत्तराखंड के एक और जांबाज को सेना मेडल दिया गया है। थल के मडग़ांव निवासी तीन राजपूत रेजीमेंट में हवलदार रवींद्र सिंह रौतेला पुत्र खुशाल सिंह रौतेला को अदम्य साहस और बहादुरी के लिए सेना मैडल दिया गया।
उत्तराखंड के जवान अपनी बहादुरी और अदम्य साहस के लिए जाने जाते हैं। उत्तराखंड के लोगों की सेना में भागीदारी की बात करें तो उत्तराखंड पूरे देश में सबसे आगे है। जी हां, भारतीय सेना और उत्तराखंड का एक अटूट संबंध है जो कि सालों से चलता आ रहा है। उत्तराखंड के सैनिक सेना में जाकर देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं। यह देवभूमि के साथ ही कई जवानों की कर्मभूमि भी है। ऐसे लोग जिनकी आंखों में देशप्रेम के अलावा कुछ नहीं दिखता। जिनका मकसद केवल और केवल भारत और उसकी रक्षा करना है। अपने अदम्य साहस और अपनी बहादुरी से उत्तराखंड के जवान दुश्मनों को धूल चटा देते हैं। उनकी बहादुरी के किस्से कई जगह मशहूर हैं। भारतीय सेना में शामिल उत्तराखंड के सैनिक राज्य का नाम गर्व से ऊंचा कर रहे हैं और वे अपनी हिम्मत और ताकत के बलबूते पर पिथौरागढ़ के मूल निवासी और भारतीय सेना में हवलदार के पद पर तैनात एक ऐसे ही साहसी जवान जिन्होंने एक आतंकी को जम्मू कश्मीर में ढेर कर दिया। उस आतंकी के ऊपर 15 लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था। उनको सेना द्वारा सम्मानित किया गया है।
हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के रविंद्र सिंह रौतेला की जिनको उनके अदम्य साहस के लिए सेना की ओर से मेडल प्राप्त हुआ है। मेडल मिलने के बाद से ही उनके पिता समेत अन्य लोगों ने खुशी जाहिर की है। रविंद्र सिंह रौतेला पिथौरागढ़ के मडगांव के निवासी हैं और उनको उनकी बहादुरी के लिए सेना से यह मेडल मिला है। उन्होंने 15 जनवरी को डोडा इलाके में बर्फ से ढकी पहाड़ी पर भाग रहे आतंकी को अपनी बंदूक से ढेर कर दिया था। जिस आतंकी को उन्होंने मारा वह हिजबुल मुजाहिदीन का मुख्य कमांडर था और उसके ऊपर 15 लाख का इनाम घोषित था। 27 फरवरी को जम्मू कश्मीर के उधमपुर में लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने सम्मान समारोह में हवलदार रविंद्र सिंह रौतेला को मेडल देकर सम्मानित किया और उनके साहस की काफी सराहना भी की। अदम्य साहस और बहादुरी के लिए सेना मेडल दिया गया। देवभूमि उत्तराखंड को सैनिकों के अदम्य साहस, शौर्य और शहादत के दम पर वीरभूमि भी कहा जाता है। देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए पहाड़ के चिरागों ने समय.समय पर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया है।