मदन सान्याल
पिथौरागढ़। सीमांत जिला पिथौरागढ़ कोरोना संक्रमण के संवेदनशील दौर में पहुंच गया है। इसके चलते स्थानीय प्रशासन ने व्यापारियों के सहयोग से जिला मुख्यालय में जनता कर्फ्यू लगाने का प्रयास किया है। जनता इससे न डरे इसलिए इसका नाम कंटेनमेंट दिया गया है। इसके चलते आज सुबह जरूरी वस्तुओं को छोड़कर जिला मुख्यालय में लगभग सारी दुकानें बंद रहीं। हालांकि संकट के इस दौर में बार खुले रहे, जिससे कुछ सवाल जरूर उठते हैं।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ मंे कोरोना संक्रमण बढ़ता जा रहा है। इस समय जिले में 201 एक्टिव कोरोना मरीज हैं और 46 लोग अब तक जिले में कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं। लगातार बढ़ते जा रहे कोरोना संकट से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन और व्यापारियों ने हफ्ते में दो दिन शनिवार और रविवार को जिला मुख्यालय को कंटेनमेंट जोन के तौर पर रखने का निर्णय हुआ है। इसे लेकर आज पहला दिन है, जिसका प्रभाव गांधी चैक पर देखा जा सकता है। जिला मुख्यालय में आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर बाकी सभी दुकानें बंद रही। बाजारों में कर्फयू जैसा सन्नाटा छाया रहा। व्यापारियों और प्रशासन का मानना है कि इससे कोरोना पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलेगी।
इस दौरान जिला मुख्यालय में शराब परोसने वाले बार खुले रहे। यह एक विचारणीय प्रश्न है। क्या शराब आवश्यक वस्तु है? दूध, बिजली, पानी की तरह शराब जरूरी वस्तु बन गई है? शराब के बिना लोगों का जीना संभव नहीं है, या फिर इस पर नैपथ्य से कोई निर्देश हैं कि शराब परोसने वाली दुकानों को बंद न कराया जाए। क्योंकि शराब से सरकार को राजस्व मिलता है। या फिर यह माना गया है कि शराब में एल्कोहल होती है, जो सेनेटाइजेशन का काम करती है, इसलिए शराब को आवश्यक वस्तु मान लिया जाए?