टीम के अनुभवों को सुनने का अवसर मिला, जो युवा साथी कमलेश अटवाल द्वारा उपलब्ध करवाया गया। आनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली से पल्लवी और उनके साथी भी शामिल हुए। पिछले 4 माह से नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा अपने-अपने गांव में पुस्तकालयों का संचालन किया जा रहा है। अब तक उन्नीस सामुदायिक पुस्तकालय शुरू किए जा चुके हैं। इन बच्चों के अनुभव काफी उत्साहजनक थे। अपने क्षेत्र में पढ़ने की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए इनका समर्पण और जुझारूपन अनुकरणीय है।
छोटे.छोटे बच्चे जिस तरह से अपने प्रयासों से बड़ों और नई पीढ़ी को किताबों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वह बेमिसाल है। बातचीत के दौरान दौरान बच्चों ने जिस आत्मविश्वास के साथ अपने अनुभव को सबके साथ साझा किया। उससे पता चलता है कि यह अभियान न केवल पढ़ने की संस्कृति का विकास कर रहा है बल्कि बच्चों के भीतर नेतृत्व का गुण भी विकसित कर रहा है। बच्चे अपने समाज से जुड़कर बहुत कम उम्र में विविध अनुभवों से समृद्ध हो रहे हैं। और समाज के विभिन्न तबकों के साथ जीवन्त संबंध स्थापित कर रहे हैं। इस दौरान आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए खुद नए रास्ते तलाश कर रहे हैं। जो उन्हें आने वाले जीवन के लिए तैयार कर रहा है। साथ ही उनके भीतर सामूहिकता की भावना पैदा हो रही है। और अपने समाज से उनका जुड़ाव बढ़ रहा है।
कुल मिलाकर कल का सत्र समृद्ध करने वाला रहा। भाई कमलेश अटवाल और उनके साथी इस आयोजन के लिए साधुवाद के पात्र हैं। मैं यहां पर यह बात भी कहना चाहूंगा कि लंबे समय से मैं कमलेश भाई के साथ निरंतर संवाद में हूं। उनके काम करने के तरीके, सीखने की गहरी ललक और जीवटता ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। किसी भी अभियान की सफलता के लिए ऐसे ही लोगों की आवश्यकता हमेशा रहती है। मैं कमलेश भाई के ऊर्जा को सलाम करता हूं। आशा करता हूं कि उनकी देखरेख में नानकमत्ता में पुस्तकालय अभियान और दीवार पत्रिका अभियान नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा। कल पुस्तकालय अभियान से जुड़ी नानकमत्ता।
आनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली से पल्लवी और उनके साथी भी शामिल हुए। पिछले 4 माह से नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा अपने . अपने गांव में पुस्तकालयों का संचालन किया जा रहा है । अब तक उन्नीस सामुदायिक पुस्तकालय शुरू किए जा चुके हैं।इन बच्चों के अनुभव काफी उत्साहजनक थे। अपने क्षेत्र में पढ़ने की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए इनका समर्पण और जुझारूपन अनुकरणीय है । छोटे.छोटे बच्चे जिस तरह से अपने प्रयासों से बड़ों और नई पीढ़ी को किताबों से दोस्ती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । वह बेमिसाल है। बातचीत के दौरान दौरान बच्चों ने जिस आत्मविश्वास के साथ अपने अनुभव को सबके साथ साझा किया । उससे पता चलता है कि यह अभियान न केवल पढ़ने की संस्कृति का विकास कर रहा है बल्कि बच्चों के भीतर नेतृत्व का गुण भी विकसित कर रहा है। बच्चे अपने समाज से जुड़कर बहुत कम उम्र में विविध अनुभवों से समृद्ध हो रहे हैं । और समाज के विभिन्न तबकोंके साथ जीवन्त संबंध स्थापित कर रहे हैं। इस दौरान आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए खुद नए रास्ते तलाश कर रहे हैं ।जो उन्हें आने वाले जीवन के लिए तैयार कर रहा है । साथ ही उनके भीतर सामूहिकता की भावना पैदा हो रही है । और अपने समाज से उनका जुड़ाव बढ़ रहा है । कुल मिलाकर कल का सत्र समृद्ध करने वाला रहा। भाई कमलेश अटवाल और उनके साथी इस आयोजन के लिए साधुवाद के पात्र हैं । मैं यहां पर यह बात भी कहना चाहूंगा कि लंबे समय से मैं कमलेश भाई के साथ निरंतर संवाद में हूं । उनके काम करने के तरीके एसीखने की गहरी ललक और जीवटता ने मुझे बहुत प्रभावित किया है । किसी भी अभियान की सफलता के लिए ऐसे ही लोगों की आवश्यकता हमेशा रहती है ।मैं कमलेश भाई के ऊर्जा को सलाम करता हूं। आशा करता हूं कि उनकी देखरेख में नानकमत्ता में पुस्तकालय अभियान और दीवार पत्रिका अभियान नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा। कल नानकमत्ता के बच्चों ने पुस्तक चर्चा के रूप में एक नई गतिविधि प्रारंभ की। कमलेश भाई अपनी एक पोस्ट में लिखते हैं कि पिथौरागढ़ के आरंभ स्टडी सर्किल से प्रेरित होते हुए आज हमारे साथी विजय गहतोडी़ ने नानकमत्ता पब्लिक स्कूल के छात्रों को प्रेरित किया कि हमारे छात्र हफ्ते भर में पढ़ी गई एक पुस्तक के बारे में अपनी बात अपने साथियों के साथ साझा करें। हमारे लगभग 10 छात्र साथियों ने अपने द्वारा पढ़ी गई पुस्तकों को आज विद्यालय में साझा किया।
मैं बुक्स फॉर ऑल के साथियों का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा। जो अपने तरीके से लंबे समय से समाज में पढ़ने की संस्कृति को विकसित करने के काम में लगे हुए हैं।