थराली से हरेंद्र बिष्ट।
पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से बुरी तरह से दवानल से सुलग रहे पिंडर घाटी में बुधवार की तड़के करीब 4 बजें से हुई बारिश के बाद वनाअग्नि बुझनी शुरू हो गई हैं।जिससे आम जनता के साथ ही दवानल पर नियंत्रण पाने के प्रयासों में जुटे वन महकमे ने राहत की सांस ली हैं।
दरअसल पिछले एक सप्ताह से पिंडर घाटी के तीनों वन रेंज के जंगल वनाअग्नि के चलते बुरी तरह से सुलग रहे थे। जिसके कारण प्रतिदिन अमूल्य वन सम्पदा को भारी नुकसान हो रहा था।वनाअग्नि कस कदर दिन प्रति दिन विकराल रूप लेती जा रही थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि यहा के वातावरण में काफी अधिक धूंध छा गई थी।
आलम इतने बत्तर हो गए थे कि आम तौर पर इन दिनों एक चोटी से दूर स्थित दूसरी चोटी के तमाम दृष्य साफ दृष्टिगौचर होते थे। परंतु वनाअग्नि से उठते धुवें के कारण 50 मीटर से अधिक धूवें की धुंध के कारण कुछ भी दिखाई नही पड़ रहा था।दवानल के कारण जहां एक ओर आम जनता के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। वही वन संपदा के साथ ही आम जनता की तमाम तरह की सम्पतियों को भी नुकसान होना शुरू हो गया था।
इस क्षेत्र के अंतर्गत दर्जनों ऐसे गांव हैं जोकि जंगलों के मध्य बसें हुए हैं। जंगलों में आग लगने के कारण इन गायों के ग्रामीण की नींद भी हराम हों गई थी। बुधवार की तड़के से अचानक इस क्षेत्र में बारिश होने के कारण जंगलों की दवाअग्नि पर स्वत: नियंत्रण होना शुरू हो गया हैं। काफी हदतक जंगलों में लगी आग बुझाने लगी हैं। जिस पर आम जनता के साथ ही वन महकमे ने भी राहत की सांस ली हैं।