• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

बैराटगढ़ जहाँ पाण्डवों ने किया था गुप्तवास

02/01/21
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
458
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इसलिए इस धरती को देवताओं की भूमि भी कहा जाता है प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं का समावेश जौनसार बावर के बैराट गढ़ किले मे देखने को मिलता है। कालसी से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी और समुद्र तल से 2350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बैराट गढ़ किला है। यहां महाभारत के राजा बैराट का साम्राज्य था। जिन्हें मत्स्य नरेश भी पुकारा जाता था। जिसके प्रमाण आज भी यहां की लोक संस्कृति एवं गांव के नाम से मिलते हैं। जैसे हाथबादीके अर्थात जहां हाथी बांधते थे। एक गांव का नाम है गौथान जहां गाय बांधी जाती थी। बैराटगढ़ के सन्दर्भ में मान्यता है कि यह मत्स्य राज्य के राजा विराट की राजधानी रही है।
पंण् हरिकृष्ण रतूड़ी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक गढ़वाल का इतिहास में लिखा है.फ्राजा विराट का राज्य उसकी राजधानी वैराटगढ़ या गढ़ी के नाम से परगना जौनसार.बाबर के कालसी कस्बे के ऊपर अब तक टूटी.फूटी अवस्था में पाई जाती है। यह वही विराट राजा था, जिसके यहाँ पाण्डवों ने गुप्तवास किया था और जिसकी लड़की उत्तरा से अर्जुन.पुत्र अभिमन्यु का विवाह हुआ था तथा जिससे आगे पाण्डवों का वंश चला। यहां पाण्डवों को 12 वर्ष के वनवास के पश्चात् 13वाँ वर्ष अज्ञातवास या गुप्तवास के रूप में व्यतीत करना था। शर्त यह थी कि यदि अन्तिम वर्ष में उनका पता चल जाएगा तो पुनः 12 वर्ष का वनवास भोगना होगा। इसके लिए पाण्डवों को ऐसे स्थान का चयन करना था, जिसकी सूचना कौरवों को न मिल पाये व उन्हें कोई पहचान न पाये। इसके लिए उन्होंने कालसी के निकट जंगल में समी के वृक्ष पर अपने अस्त्र.शस्त्र बाँधकर भेष बदल कर द्रोपदी सहित मत्स्य राजा विराट के यहाँ कार्य करना प्रारम्भ किया। यहाँ भीम ने निमुल नामक पहलवान को हराया व कीचक का वध भी किया। जब कौरव राजा विराट की गायें चुरा ले गये तो अर्जुन ने अपने बाणाें से बाड़वाला नामक स्थान पर रोका। बैराटगढ़ चकराता.मसूरी मोटर मार्ग पर स्थित प्रसिद्ध स्थान नागथात से चार किमी दूर बैराट खाई नामक स्थान से ठीक लगभग डेढ़ किमीण् की ऊँचाई पर टीले पर स्थित है।
बैराटखाई से बैराटगढ़ तक पहुँचने के लिए किसी प्रकार का योग्य पथ नहीं है। थोड़ा बहुत जो पशुचारकों द्वारा प्रयुक्त किया जाता है। उसी से यहाँ पहुँचा जा सकता है। इस गढ़ तक पहुँचने के लिए चौड़ी खाइयों को पार करना पड़ता है। ये खाइयाँ इस गढ़ के चारों तरफ हैं। इसी के कारण बैराटखाई का यह नाम पड़ा होगा। किसी समय इस गढ़ पर चढ़ने के लिए सुयोग्य रास्ता रहा होगा, जिसका अहसास नीचे से ऊपर तक समतल चौड़ी पट्टी से होता है। गढ़ पर पहुँचने पर इधर.उधर भवनों के ध्वंसावशेष दिखाई देते हैं, जिनके मध्य सुर्ख पतली ईटों से निर्मित गहरा कुआँ हैए जो स्थानीय लोगों द्वारा इसलिए पत्थरों से भर दिया गया है, ताकि इसमें कोई जानवर न गिर पड़े। अब यह एक मीटर के आस.पास गहरा रह गया है। इसका व्यास डेढ़ मीटर है। इस स्थान से एक तरपफ कालसी व दूसरी तरपफ यमुना तक सुरंगें हैं। कालसी के तरपफ की सुरंग चकराता.मसूरी मोटर मार्ग से नीचे बाँज व बुराँस के जंगल में एक स्थान पर खुलती है, जबकि जिस सुरंग को यमुना नदी की ओर जाना बताया जाता है, वह चकराता.मसूरी मोटर मार्ग के बनते समय बीच से कट गई। उसका गढ़ की ओर जाने वाला भाग ही खुला है। सुरंग की सीध में गढ़ तक बड़े.बड़े सुराग बने हैं। सम्भवतः ये हवा या प्रकाश के लिए रहे होंगे, किन्तु गढ़ पर कहीं भी दोनों सुरंगां के मुँह का पता नहीं चलता। हो सकता है, सैकड़ों वर्षों से उपेक्षित होने के कारण प्राकृतिक या मानवीय कारणों से यह भर गया होगा।
चारों ओर कसमोई किनगोड़ हिंसर इत्यादि प्रजातियों की झाड़ियाँ उगी हुई हैं। गढ़ के भवन की दीवारें क्षतिग्रस्त हैं। मात्रा बुनियादें भवनों का अहसास कराती हैं। गढ़ के चारों ओर सुरक्षा.कक्ष जैसे छोटी.छोटी बुनियादों के अवशेष मौजूद हैं। इसके पश्चिम की ओर मैदान जैसा समतल है। इसे पार कर एक ध्वसांवशेष और है जो वहाँ किसी कुण्ड का अहसास कराता है। इस स्थान से यदि मौसम सापफ हो तो उत्तर की ओर हिमालय की लम्बी श्रृंखला का अवलोकन किया जा सकता है।
उत्तर से उत्तर.पूर्व तक हिमाचल व दक्षिण.पूर्व में डाकपत्थर, विकासनगर व शिवालिक पर्वत श्रृंखलाएँ बाँहें पफैलाये दिखती हैं। पूर्व की ओर नागटिब्बा व मसूरी स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। यह स्थान 7399 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। बताया जाता है कि हाथबधि नामक स्थान पर राजा के हाथी व गोथान नामक स्थान पर गायें रखी जाती थीं। सम्भवतः इन स्थलों के नामकरण का यही कारण हो।
कालान्तर में इस गढ़ पर सामूशाह नामक क्रूर राजा का कब्जा हो गया, जो जनता का तरह.तरह से उत्पीड़न करता था। वह अधिकांशतः दूध का सेवन करता था। उसके लिए राज्य भर से दूध इकट्ठा किया जाने लगा। एक दिन किसी परिवार की गाय ने दूध नहीं दिया तो घर की किसी स्त्री ने अपना दूध सिपाहियों को दे दिया। राजा को यह दूध स्वादिष्ट लगा व फरमान जारी किया कि मुझे कल से ऐसा ही दूध चाहिए। राज्य की ब्याहता स्त्रियों का दूध राजभवन में आना चाहिए, ऐसा न होने पर सज़ा दी जायेगी। इसके कारण राज्य में त्राहि.त्राहि मच गई, नौनिहाल मरने लगे। लोकश्रुति है कि राज्य के लोग इससे मुक्ति पाने के लिए आराध्य देव श्री महासू की शरण में हनोल गये। श्री महासू देवता बैराटगढ़ से ठीक नीचे कालसी की ओर थैना नामक स्थान पर प्रकट हुए। वहाँ मन्दिर बनाया व लोग इनकी पूजा करने लगे। श्री महासू देव लोगों की भक्ति से प्रसन्न होकर सामूशाह के अन्त का कारण बने। सामूशाह का अन्त अत्यन्त बुरा हुआ। उसके पेट से मुर्गे बोलने लगे। उसकी सभी इन्द्रियों से देवदार की टहनियाँ निकलने लगीं, वह कुछ खा.पी नहीं सकता था। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार बैराट गढ़ किले का अत्यंत महत्व रहा है।
आज भले ही किले के अवशेष पत्थरों के ढेर के रूप में तब्दील हो गए हो, परंतु किले के चारों ओर विशाल गहरी खाईयां इस बार की ओर इंगित करती है कि इस स्थान का अतीत ऐतिहासिक घटनाओं से भरा पड़ा है। अन्त में तड़प.तड़प कर उसका अन्त हुआ। पहुँच में होने के बावजूद भी बैराटगढ़ शोधार्थियों व पुरातत्व विभाग की दृष्टि से उपेक्षित है। यदि यही स्थिति रही तो विद्यमान अवशेष भी लुप्त हो जायेंगे। राजकीय व स्थानीय प्रयास इस स्थान को प्रसिद्ध प्रदान कर सकते हैं।

ShareSendTweet
Previous Post

शनिवार को चमोली जिले में आठ कोरोना संक्रमित

Next Post

दून में पांच चिकित्सा इकाइयों पर कोविड का वैक्सीनेशन का पूर्वाभ्यास

Related Posts

उत्तराखंड

मत्स्य पालन को स्वरोजगार का मजबूत साधन बनाया मोहन सिंह बिष्ट ने

June 27, 2025
14
उत्तराखंड

देहरादून के खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका पर चर्चा

June 27, 2025
20
अल्मोड़ा

बारिश से क्वारब में आवाजाही हुई खतरनाक,पहाड़ी बनी मुसीबत

June 27, 2025
19
उत्तराखंड

पौड़ी पुलिस के प्रयासों से मोबाइल स्वामियों के चेहरों पर लौट रही मुस्कान

June 27, 2025
11
उत्तराखंड

देहरादून: डोईवाला क्षेत्र से भिक्षावृत्ति और कूड़ा बीनने में लिप्त एक बालक को किया रेस्क्यू

June 27, 2025
599
उत्तराखंड

सरकारी भूमि में अतिक्रमण न हो इसके लिए मजबूत मैकेनिज्म बनाया जाय: मुख्यमंत्री

June 27, 2025
12

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मत्स्य पालन को स्वरोजगार का मजबूत साधन बनाया मोहन सिंह बिष्ट ने

June 27, 2025

देहरादून के खाराखेत का नमक सत्याग्रह पुस्तिका पर चर्चा

June 27, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.