डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
भारतीय बाजार में मुख्य रूप से कागजी नींबू की बादशाहत कायम है, जिसे अलग.अलग नाम से बेचा जाता है। नर्सरी में न केवल भारतीय किस्म बल्कि पाकिस्तानी, थाइलैंड व मलेशियन प्रजाति के पौध उपलब्ध हैं। इनमें से किसान खुद ही प्रजाति का चयन करते हैं। अच्छी प्रजाति के पेड़ पर 12 महीने फल लगता है। भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसी किस्में तैयार की हैं, जिससे प्रति वर्ष 30 से 50 किलो फल ले सकते हैं। पौधे की आयु बढ़ने के साथ ये पौधे 100 से 150 किलो तक फसल देते हैं। दस साल के बाद एक पौधा 100-300 किलो तक नींबू देता है। नींबू वर्गीय फसलों के उत्पादन में भारत विश्व में छठे स्थान पर है। नींबू का परिचय 12वीं सदी में पाश्चात्य देशों में हुआ।
अरब व्यापारी इसे पहले स्पेन ले गये बाद में सन 1494 से नींबू स्पेन के बाजारों से यूरोपीय देशों में पहुंच गया। वे पहले नींबू को एक साधारण रसदार खट्टा फल ही मानते थे। धीरे−धीरे जब इसके अनेक गुणों को अनुभव करके लोगों ने इसे स्वास्थ्यवर्द्धक और स्वास्थ्यरक्षक फल पाया तो इसका महत्व अत्यधिक बढ़ गया। इसके गुणों को लेकर अनेक प्रयोग किए गए और परिणाम सुखद आश्चर्य भरे निकले। कागजी नींबू नींबू जाति का खट्टा फल है। इसके फल 2.5-5 सेमी व्यास वाले हरे या पीले ;पकने पर होते हैं। इसका पौधा ५ मीटर तक लम्बा होता है, जिसमें कांटे भी होते हैं। नींबू सदाबहार सर्वोत्तम रोगनाशक व आरोग्य एवं सौंदर्य प्रदाता है। नींबू की कई किस्में हैं। सभी किस्म उपयोगी व फलदायी हैं। नींबू सर्वसुलभ बहुउपयोगी और अनूठा फल है। मूल रूप से भारतीय फल नींबू की महत्ता आज विश्व भर में जानी जाती है। पाश्चात्य देशों में प्रचलित पेय लेमनेड नींबू से तैयार किया जाता है। यही नहीं नींबू का उपयोग विभिन्न औषधियां बनाने में खूब किया जाता है। आयुर्वेद ने इसे एक महत्वपूर्ण फल माना है। अम्लीय गुणों से युक्त यह अनूठा फल मानव के लिए एक अनुपम देन है। नींबू को हमारे यहां सर्वश्रेष्ठ रोग नाशक और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले फल के रूप में प्राचीन काल से ही मान्यता प्राप्त है।
आयुर्वेद में नीबू की काफी प्रशंसा की गयी है और एक खाद्य पदार्थ के रूप में इसके उपयोग के अलावा औषधि के रूप में भी स्काटलैंड के जाने माने चिकित्सक जेम्स लिंड ने अपनी एक पुस्तक में रहस्योद्घाटन किया कि यदि कोई व्यक्ति 4−5 दिन तक कच्चे फल−सब्जियां खाए तो उसमें रक्त दोष उत्पन्न हो जाएंगे। यह रक्त दोष स्कर्वी विटामिन सी की कमी से उत्पन्न होता है। स्कर्वी पर नियंत्रण के लिए नींबू ही एक अचूक औषधीय फल है। एक अन्य चिकित्सक डॉक्टर ब्लेन ने भी नींबू को स्कर्वी से निपटने में सक्षम पाया। नींबू का नियमित उपयोग स्कर्वी की रोकथाम में उपयोगी सिद्ध होता है। इस प्रकार नींबू विभिन्न रूपों में अत्यंत गुणकारी फल बन गया है। भोजन के समय कद्दूकस किए अदरक में नींबू का रस व थोड़ा नमक डालकर थोड़ा−थोड़ा खाने से विभिन्न व्याधियों से मुक्ति मिलती है। दाल−सब्जी में नींबू के रस का सेवन करना चाहिए। प्रचलित सिंथेटिक शीतल पेयों के स्थान पर ठंडे नीबू पानी का सेवन निरापद और स्फूर्तिदायक होता है। सिर में नींबू के रस में थोड़ा सा पानी मिलाकर उंगलियों के पोरों से मालिश करते हुए लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, रक्त संचार सुचारू होता है और बालों का झड़ना रुकता है। बाद में सिर को शिकाकाई, रीठा या मुलतानी मिट्टी से धोना चाहिए। पुराना नींबू का आचार स्वादिष्ट होने के साथ−साथ पेट दर्द और अपच में गुणकारी होता है। निम्बू के रस तथा नमक पानी में मिलाकर नहाने से त्वचा का रंग निखरता है और सौंदर्य बढता है नींबू सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाता, कई बीमारियां भी भगाता है इसलिए नींबू को हमारे प्राचीन ग्रंथों में अमृतफल माना गया है। नींबू का उसके औषधीय गुणों के कारण घरेलू उपचार और दवा के रूप में तो उपयोग होता ही है बरतनों, सामान्य आभूषणों व सजावटी धातु निर्मित वस्तुओं को चमकाने और साफ करने में भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है नींबू की अनेक किस्में प्रचलित हैं, मसलन. गलगलए विजोराए जमफरीए कागजीए गुदड़ियाए नेपाली आदि। सेहत की दृष्टि से कागजी नींबू सर्वश्रेष्ठ होता है।
कागजी नींबू का छिलका बेहद पतला तथा इसमें रस भी अन्य नींबूओं की अपेक्षा अधिक होता है। अचार, मुरब्बों एवं आयुर्वेदिक औषधियों में कागजी नींबू ही प्रयुक्त किया जाता है। नींबू खरीदते समय आप इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसका आकार बड़ा हो, वह साफ और गहरे पीले रंग का हो तथा छिलका पतला और मुलायम हो। पीले नींबू न मिलने पर हरे रंग के नींबू उपयोग में लिए जा सकते हैं। फ्रिज में नींबूओं को लगभग डेढ़ माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है।शरीर में विटामिन.सी की कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है। इससे मसूढ़ों से खून आने लगता है। यह रोग हो जाने पर नींबू का नियमित सेवन निश्चय ही फायदेमंद होगाए क्योंकि नींबू विटामिन.सी का भरपूर स्रोत है। नींबू का रस मसूढ़ों पर लगाने से भी खून बहना बंद हो जाता है। साइट्रस परिवेश की स्थिति के तहत एक लंबे समय के लिए अच्छी तरह से सुरक्षित रहता है और इसलिए विपणन के लिए दूर के स्थानों में पहुँचाया जा सकता है। देश में नींबू और संतरे के फल दूर दराज इलाकों में भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। कई फल प्रसंस्करण इकाइयां भी थोक में साइट्रस फल की खरीददारी करती हैं। भारतीय संतरे अन्य देशों को भी निर्यात किये जाते हैंद्य नींबू की अलग अलग प्रजातियां भारत में उगाई जाती है। एसिड लाइम नींबू की एक प्रजाति वैज्ञानिक नाम साइट्रस और्तिफोलिया स्विंग की खेती भारत में ज्यादा प्रचलित है। इस प्रजाति को भारत के अलग अलग राज्यों में उगाया जाता है, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान एबिहार के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी खेती की जाती है।
हीरो आर्गेनिक ने एक नई पहल के साथ किसान समूह बनाकर इसकी शुरुआत की है। ये न केवल खेती कराएगी, बल्कि उनकी फसल भी उच्च मंडी के दाम पर खरीदेगी। बेहतर स्वास्थ्य के लिए ढेर सारा पानी पिएं लेकिन आमतौर पर लोग पर्याप्त पानी नहीं पी पातेए क्योंकि पानी में उन्हें कोई स्वाद नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में आप चाहें तो नींबू पानी पी सकते हैं जो स्वाद में बेहतर और ताजगी देने वाला होता है, साथ ही पानी और नींबू दोनों का भी आपको मिलता रहेगा और आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे।