
फाइल फोटो- शीतकाल में इस रूप मे दर्शन देते हैं टिम्मरसैंण महादेव’’बर्फानी बाबा’’
फोटो–श्रावण मास मंे भक्तों का ताॅता लगा है टिम्मरसैंण महोदव गुफा में
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। देवभूमि उत्तराखंड के पॅच केदारों के बाद अब नीती घाटी के टिम्मरसैंण महादेव’’बाबा बर्फानी’’एक नए धार्मिक स्थल का रूप लेने की ओर अग्रसर है। बडी संख्या में लोग यहां बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं।
उत्तराखंड के नए धार्मिक स्थल के रूप में उभर रहा है टिम्मरसैंण महादेव-बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा। हजारों शिवभक्त यहां पहुंच रहे हैं दर्शन कर अपनी भक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। नवंबर से मई तक बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए टिम्मरसैंण महादेव अवस्थित रहते हैं।
सीमांत विकास ख्ंाड जोशीमठ में यूूं तो पंच केदारों में एक भगवान कल्पेश्वर का पवित्र धाम के साथ ही आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की तपस्थली में ज्यार्तिमठ शिवालय तो प्राचीन काल से ही विद्यमान है, लेकिन अब भारत-चीन सीमा से सटे देश के अंतिम गाॅव नीती के पास ही टिम्मरसैंण महादेव की गुफा भी शिव भक्तों के लिए अराध्य स्थल बन गई है। नीती गाॅव के सडक संपर्क मार्ग से जुडने के बाद तो बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए भक्तों का ताॅता लगा रहता है। नवबंर महीने में जब सडक को आवाजाही के लिए खोल दिया जाता है, तब टिम्मरसैंण महादेव उत्तराखंड हिमालय के बाबा बर्फानी के रूप में दर्शन देते हैं। नवबंर महीने से मई महीने तक भी शिव भक्त यहाॅ बाबा बर्फानी के दर्शनों को पंहुचने लगे हैं। हाॅलाकि जब नीती घाटी सडक संपर्क से नही जुड सकी थी तब भी यदा-कदा शिव भक्त कई दिनांे की पैदल यात्रा के बाद टिम्मरसैंण महादेव के दर्शनो को पंहुचते रहे थे। लेकिन सडक संपर्क मार्ग तैयार होने के बाद तो यहाॅ प्रतिवर्ष शिवभक्तों का ताॅता लगा हुआ है। यहाॅ भगवान शिव के दो रूपों के दर्शन होते है। नवबंर से मई तक बाबा बर्फानी के रूप मे तो जून से अक्टूबर महीने तक भगवान शिव लिंग के रूप मे दर्शन देते है।
इस बार तो श्रावण महीने की शुरूवात से ही भक्तों का ऐसा सैलाब उमड रहा है कि नीती घाटी के ग्रामीण भी इसे शुभ संकेत मान रहे है। वर्ष 1962 मे भारत-तिब्बत ब्यापार इस मार्ग से समाप्त होने के बाद अब टिम्मरसैंण महादेव के दर्शनो के साथ ही नीती घाटी की प्राकृतिक छठाॅ को देखने के लिए जिस प्रकार से लोगों का हुजुम उमड रहा है नीती घाटी मे रोजगार की नई आश जग रही है। सूबे के पर्यटन एव धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज भी केन्द्रीय पर्यटन मंत्री से भंेट कर नीती घाटी के टिम्मरसैंण महादेव के सर्वागीण विकास व वहाॅ तक ग्रीष्म काल व शीतकाल मे भी यात्रा सचालित हो सके इस विषय पर विस्तार से वार्ता कर चुके है।
विगत 24दिसबंर 2019 को सूबे के सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने भी जोशीमठ भ्रमण के दौरान नीती घाटी को भी पर्यटन तथा धार्मिक पर्यटन से जोडने के लिए रोडमैप तैयार करने के निर्देश मातहतों को दिए थे।
टिम्मरसैंण महादेव’’बाबा बर्फानी’’यहाॅ एक गुफा मे विराजमान है,इस गुफा का स्वरूप ही कुछ ऐसा है कि गुफा के ऊपर से शिवलिंग व चारों ओर प्राकृतिक जलधार निरंतर बहती रहती है। शीतकाल मे यही जलधारा भगवान शिव की जटा के रूप मे दिखती है तो शिवलिंग बाबा बर्फानी के रूप मे दर्शन देते है। बाबा बर्फानी की यात्रा नवबंर महीने से ही शुरू हो सके इसके लिए निंरतर प्रयास होते रहे है, गढवाल के अपर आयुक्त हरक सिंह रावत ने इस दिशा मे काफी सकारात्मक पहल की है, और उनकी मेहनत अब रंग लाती दिख रही है।
सीमांत धार्मिक एंव पर्यटन नगरी जोशीमठ से करीब 80किमी0 की दूरी पर देश के अंतिम गाॅव नीती के समीप ही भगवान टिम्मरसैंण महादेव की प्राकृतिक गुफा है, सडक मार्ग से मात्र एक किमी0 की पैदर दूरी तय कर आसानी से गुफा तक पंहुचा जा सकता है। इस श्रावण मास मे तो दूर-दूर से तो शिव भक्त पंहुच ही रहे है। जनपद चमोली के गाॅव-गाॅव से भी शिवभक्त सीमंात क्षेत्र मे पंहुच रहे है। यहाॅ पंहुचने वाले भक्तों को भी भगवान शिव के जलाभिषेक का दोहरा लाभ भी मिल रहा है। शिव भक्त पहले उर्गम घाटी मे विराजमान पंच केदारों मे एक भगवान कल्पेश्वर के धाम मे पंहुच रहे है तो उसके बाद नीती घाटी के टिम्मरसैंण महादेव के दर्शनो का पंहुच रहे है। दोनो शिव धाम सडक संपर्क मार्ग से जुडने के बाद तो भक्तों की संख्या मे भी आशातीत बृद्धि हो रही है।
बदरीनाथ विधानसभा के विधायक महेन्द्र भटट ने भी अपने नीती घाटी भ्रमण के दौरान टिम्मरसैंण महादेव के दर्शनो के बाद टिम्मरसैंण महादेव का ब्यापक प्रचार-प्रसार के साथ आधारभूत सुविधाओ को बेहतर बनाने का आश्वासन नीती घाटी के जनमानस को दिया।
वास्तव मे यदि टिम्मरसैंण महादेव’’बर्फानी बाबा’’ की यात्रा ग्रीष्म काल के साथ शीतकाल मे भी संचालित हो सके तो यह न केवल नीती घाटी के लिए ब्लकि ऋषिकेश से लेकर नीती घाटी तक के यात्रा मार्ग के ब्यवसायियों को इसका सीधा लाभ होगा और नीती घाटी से पलायन भी रूक सकेगा।