देहरादून। सामाजिक विषयों पर मुखर संस्था धाद ने एक रेस्तराँ में उत्तराखंड के विभिन्न मुददों और अपने कार्यक्रमों पर आधारित 2021 का वार्षिक कलेंडर का विमोचन किया।
हर वर्ष की भान्ति इस वर्ष 4 पेज के इस कलेंडर में पहला पेज धाद एवं शासन द्वारा स्थापित स्मृति वन, दूसरे पेज में कोरोना महामारी के विकट समय में मास्क पहनने के लिये जागरुकता अभियान एक ही टास्क, सब पहने मास्क, को, तीसरे पेज में उत्तराखण्ड के अनाजों एवं व्यंजनों के पक्ष में चलाये जा रहे फंची कार्यक्रम को तथा चौथे एवं अन्तिम पेज पर शिक्षा में सृजनात्मकता को बढ़ावा देने हेतू चलाये जा रहे कार्यक्रम एक कोना कक्षा का, को स्थान दिया गया है।
कैलेंडर के बारे में बताते हुये धाद के सचिव तन्मय मंमगाईं ने कहा कि कोरोना के विपरीत समय में आम जनमानस के बीच जाकर काम करना बहुत मुश्किल था । फिर भी धाद ने यथासम्भव प्रयास किये। पहले पेज पर इस वर्ष स्मृति वन को स्थान दिया गया है । गत वर्ष शासन एवं धाद संस्था द्वारा स्मृति वन की नींव डाली गई, पहले दिन इसमें उत्तराखंड के प्रसिद्ध रचनाकारों जैसे जीत सिंह नेगीए हीरा सिंह राणा जैसे कलाकारों और साहित्यकारों की स्मृति में पौधे रोपे गए। धाद ने इसमें आम समाज का सहयोग लेने के लिये सभी से अपने प्रियजनों की स्मृति में पौधे लगाने की अपील की, जिसके तहत अब तक कई लोग इसमें प्रतिभाग कर चुके हैं।
कोरोना महामारी ने पूरे विश्व के पहिये लगभग थाम दिये थे । मास्क पहनने को लेकर एक बड़ा अभियान धाद ने एक ही टास्क, सब पहने मास्क चलाया, जिसमें विभिन्न महिला समूहों द्वारा निर्मित लगभग 16000 से अधिक मास्क वितरित किये गए तथा इस अभियान में हिस्सा बने ऐसे 1000 लोगों का एक संयुक्त पोस्टर भी जारी किया गया, इस गतिविधि को कैलेंडर में दूसरे पेज पर स्थान दिया गया है।
उत्तराखंड में पलायन की समस्या का एक बड़ा जवाब यहाँ की उत्पादकता है। हिमालयी अनाजों एवं व्यंजनों के पक्ष में धाद ने उत्तराखण्डी अनाजों के वितरण हेतु फंची कार्यक्रम की शुरुवात की, जिसमें कोई भी व्यक्ति 100, 200, 500 रुपए में हर महीने उत्तराखण्डी अनाज और उत्पादों को घर बैठे प्राप्त कर सकता है। इस पूरी मुहिम का एक बड़ा हिस्सा इन उत्पादों को उगाने वाले व्यक्तियों तक पहुँचाया जाता है। इस गतिविधि को कैलेंडर में तीसरे पेज पर जगह दी गई है।
अन्तिम एवं चौथा पेज धाद के शिक्षा में समाज की भूमिका को बढ़ाने वाले कार्यक्रम एक कोना कक्षा को दिया गया है। यह कार्यक्रम भी समाज के सहकार पर ही चलता है, वर्तमान में उत्तराखंड के लगभग 11 जिलों के करीब करीब 500 सरकारी विद्यालयों में इस अभियान के तहत देश की चुनिंदा बेहतरीन पत्र पत्रिकायें आदि भेजी जा रही हैं। इस अभियान को आम जनसहयोग द्वारा ही संचालित किया जा रहा है।