• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

पोषण का खजाना है बांस के कोंपलों के व्यंजन

18/07/20
in उत्तराखंड, दुनिया
Reading Time: 1min read
0
SHARES
485
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
बांस के कोंपलों से दुनियाभर में अलग.अलग व्यंजन बनाए जाते हैं, जो काफी लोकप्रिय भी हैं। पूर्वी चीन और जापान में वर्ष 1951 से ही बांस के कोंपलों का उत्पादन व्यंजन बनाने के लिए व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है। जापान में बांस को कृत्रिम वातावरण तैयार कर उगाया जाता है, जिसमें जमीन के 6.8 सेमी नीचे तारों के माध्यम से ताप उत्पन्न किया जाता है। यह ताप बांस को प्राकृतिक वातावरण के मुकाबले तेजी से बढ़ने में मदद करता है जिससे बांस के कोंपलों को जल्दी से जल्दी व्यंजन बनाने के लिए प्राप्त किया जा सके। चीन और ताइवान बांस की कोंपलों का प्रमुख निर्यातक देश हैं।
नेपाल के पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रों में टूसा, बांस की ताजी कोंपलें और टुमा, स के उबले हुए कोंपल प्रमुख खाद्य पदार्थों में शुमार हैं। यह इथियोपिया के बांस के जंगलों के निकट के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों का भी लोकप्रिय भोजन है। वहीं इंडोनेशिया में बांस के कोंपलों को नारियल के गाढ़े दूध के साथ मिलाकर खाया जाता है। इस व्यंजन को गुले रिबंग कहा जाता है। यहां बांस के कोंपलों को अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर पकाए जाने वाले व्यंजन को सयूर लाडे के नाम से परोसा जाता है। बांस का इस्तेमाल आमतौर पर निर्माण संबंधी कामों में और दैनिक उपयोग की वस्तुओं टोकरी, डगरा, सूप, हाथ पंखा आदि के निर्माण के लिए किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनियाभर में बांस का इस्तेमाल एक खाद्य पदार्थ के तौर पर भी किया जाता है? बांस के कोंपलों का इस्तेमाल खाद्य पदार्थ के तौर पर भारत सहित दुनियाभर के जनजातीय क्षेत्रों में बेहद आम है। बांस में प्रोटीन और फाइबर जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो कुपोषण से लड़ने में काफी हद तक सफल साबित हो सकते हैं।
बांस एक प्रकार की घास है जो बेहद कम मेहनत से किसी भी खराब या बंजर भूमि पर उगाया जा सकता है। इसका वनस्पतिक नाम बैम्बूसोईडी है और दुनियाभर में इसकी 1250 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से बांस की 125 प्रजातियां भारत में हैं। बांस का कोंपल हल्का पीले रंग का होता है और इसकी महक बेहद तेज होती है। इसका स्वाद कड़वा होता है। दुनियाभर में पाई जाने वाली बांस की सभी प्रजातियों में से केवल 110 प्रजातियों के बांस के कोंपल ही खाने योग्य होते हैं। बांस की अन्य प्रजातियों में जहरीले तत्व पाए जाते हैं, इसलिए उनका उपयोग खाद्य पदार्थ के तौर पर नहीं किया जाता है। मनुष्य के जीवन में अनेक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला बांस मिट्टी के क्षरण को रोकने के साथ ही मिट्टी की नमी बनाए रखने में भी मदद करता है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांस उत्पादक देश है।
प्राचीन काल से ही बांस के कोंपलों का इस्तेमाल खाद्य पदार्थ के तौर पर होता आया है। बांस के कोंपल बांस के युवा पौधे होते हैंए जिसे बढ़ने से पहले ही काट लिया जाता है और इसका इस्तेमाल सब्जी, अचार, सलाद सहित अनेक प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है। जनजातीय क्षेत्रों में बांस के कोंपलों से बने व्यंजन बेहद लोकप्रिय हैं। बांस में सैचुरेटिड फैट, कोलेस्ट्रोल और सोडियम कम होता है तथा रेशों फाइबर, विटामिन सी, थायामिन, विटामिन बी6, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंक, कॉपर, मैगनीज, प्रोटीन, विटामिन ई, रिबोफ्लेविन, नियासिन और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल औषधि के तौर पर भी किया जाता है। बांस के औषधीय गुणों की पुष्टि वैज्ञानिक अध्ययनों से भी होती है। वर्ष 2009 में न्यूट्रिशन नमक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बांस के कोंपलों में बड़ी मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं जो खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं। कोलेस्ट्रोल नियंत्रित होने से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। वर्ष 2016 में जर्नल ऑफ कैन्सर साइंस एंड थेरेपी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार बांस में कुछ मात्रा में क्लोरोफिल पाए जाते हैं, जो कोशिकाओं में कैंसर पैदा करने वाले कारकों को रोकने में सक्षम हैं। इसके कारण बांस के कोंपलों का नियमित सेवन महिलाओं को स्तन कैंसर से बचा सकता है। वर्ष 2011 में प्लांटा मेडिका नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि बांस के कोंपलों में गर्भाशय को शक्ति प्रदान करने वाले तत्व पाए जाते हैं, जो गर्भवती महिलाओं को प्रसव में होने वाली देरी से बचाता है। उत्तराखंड में रोजगार एक बड़ी समस्या रही है। जिसकी वजह से लगातार गांवों से लोगों का पलायन हो रहा है। कई गांव तो ऐसे है जो पूरी तरह से खाली हो गए है। लेकिन अब हरा सोना कहे जाने वाला बांस अब यहां के किसानों की जिंदगी में बदलाव लाने वाला है। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत बेरोजगार युवाओं और किसानों को एक हेक्टेयर भूमि में बांस की खेती करने पर सब्सिडी दी जाएगी। 50 हजार रुपये की मिलने वाली ये सबसिडी जहां इन लोगों को रोजगार प्रदान करेगी, वही इस योजना के जरिए गांवों से हो रहे पलायन को भी रोका जा सकेगा।
बांस स्वरोजगार का एक बेहतरीन जरिया है। इससे कई ऐसी चीजें बनाई जा सकती हैं, जो बाज़ार में अच्छे दाम पर बिकती हैं। दिल्ली और बड़े शहरों में तो बांस के बने उत्पादों से लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं। राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तरह छोटे काश्तकारों को एक.एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। अगर ये योजना कामयाब रहती है तो आने वाले वक्त में उत्तराखंड में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ऐसी ही कोशिशों से उत्तराखंड की बड़ी समस्या बेरोजगारी से लोगों को निजात मिलेगा। लागू होने के बाद बेरोजगारी और पैसों के लिए परेशान किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है। अब देखना होगा कि यह हरा सोना इन लोगों की जिंदगी में हरियाली लाने में कितना कामयाब साबित होता है। उत्तराखंड सरकार ने भी राज्यभर में लौटे राज्य के मजदूरों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने की मुहिम में जुट चुकी है। इसका मकसद उत्तराखंड के उद्यमशील युवाओं और कोरोना की वजह से राज्य में लौटे प्रवासी कामगारों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना है। पर अभी भी काश्तकारों के मन में डर है कि जब तक हमें बाजार उपलब्ध नहीं होता तब तक हम ये काम शुरू भी कर लें तो लाभ दिखाई देता है।

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025-1.mp4
Previous Post

हरेला पर पौधरोपण का क्रम जारी, बढ़-चढ़कर ग्रामीण आए आगे

Next Post

यमुनोत्री मार्ग पालीघाट में अवरुद्ध

Related Posts

उत्तराखंड

द्रौपदीमाला की महक, इसे दो राज्‍यों ने घोषित किया अपना राज्यपुष्प

June 15, 2025
8
उत्तराखंड

श्री बदरीविशाल के क्षेत्र रक्षक श्री घंटाकर्ण महावीर माणा घन्याल मंदिर के कपाट खुले

June 15, 2025
9
उत्तराखंड

हेलीकाप्टर एवं विमान हादसे में दिवंगतों की आत्म शांति हेतु श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी संघ ने शोक सभा आयोजित की

June 15, 2025
10
उत्तराखंड

ऑल्टो कार दुर्घटनाग्रस्त, दो व्यक्तियों की अकाल मौत

June 15, 2025
8
उत्तराखंड

क्राइम: नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाला अभियुक्त दिल्ली से गिरफ्तार

June 15, 2025
84
उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त के जांच के आदेश, लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई

June 15, 2025
7

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

द्रौपदीमाला की महक, इसे दो राज्‍यों ने घोषित किया अपना राज्यपुष्प

June 15, 2025

श्री बदरीविशाल के क्षेत्र रक्षक श्री घंटाकर्ण महावीर माणा घन्याल मंदिर के कपाट खुले

June 15, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.