• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

मसूरी के शहीदों का सपना कब होगा पूरा?

02/09/20
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
308
SHARES
385
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
गोरखो के आक्रमण व उनके द्वारा किये अत्याचरो से अन्ग्रेजी शासन द्वारा मुक्ति देने व बाद मे अन्ग्रेजो द्वारा भी किये गये शोषण से आहत होकर उत्तराखण्ड के बुद्धिजीवियो मे इस क्षेत्र के लिये एक प्रथक राजनैतिक व प्रशासनिक इकाई गठित करने पर गम्भीरता से सहमति घर बना रही थी। समय.समय पर वे इसकी मांग भी प्रशासन से करते रहे। १९३८ ५-६ मई को कांग्रेस के श्रीनगर गढ्वाल सम्मेलन मे क्षेत्र के पिछडेपन को दूर करने के लिये एक प्रथक प्रशासनिक व्यवस्था की भी मांग की गई। इस सम्मेलन मे माननीय प्रताप सिह नेगी, जवाहर लाल नेहरू व विजयलक्षमी पन्डित भी उपस्थित थे। १९४६ हल्द्वानी सम्मेलन मे कुर्मान्चल केशरी माननीय बद्रीदत्त पान्डेय, पुर्णचन्द्र तिवारी व गढ्वाल केशरी अनसूया प्रसाद बहुगुणा द्वारा पर्वतीय क्षेत्र के लिये प्रथक प्रशासनिक इकाई गठित करने की मांग की, किन्तु इसे उत्तराखण्ड के निवासी एवं तात्कालिक सन्युक्त प्रान्त के मुख्यमन्त्री गोविन्द बल्लभ पन्त ने अस्वीकार कर दिया।
१९५२ में देश की प्रमुख राजनैतिक दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम महासचिव, पीण्सीण् जोशी ने भारत सरकार से प्रथक उत्तराखण्ड राज्य गठन करने का एक ज्ञापन भारत सरकार को सोपा। पेशावर काण्ड के नायक व प्रसिद्द स्वतन्त्रता सेनानी चन्द्र सिह गढ्वाली ने भी प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु के समक्ष प्रथक पर्वतीय राज्य की मांग का एक ग्यापन दिया।
१९५५ में २२ मई नई दिल्ली मे पर्वतीय जनविकास समिति की आम सभा सम्पन्न हुई। उत्तराखण्ड क्षेत्र को प्रस्तावित हिमाचल प्रदेश में मिला कर वृहद हिमाचल प्रदेश बनाने की मांग की गई। १९५६ पृथक हिमाचल प्रदेश बनाने की मांग राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा ठुकराने के बाबजूद गृह मन्त्री गोविन्द बल्लभ पन्त ने अपने बिशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुये हिमाचल प्रदेश की मांग को सिद्धांत रूप में स्वीकार किया गया, किन्तु उत्तराखण्ड के बारे में कुछ नहीं किया।
दो सिंतबर को उत्तराखण्ड आंदोलन का वो दिन है, जिसे उत्तराखण्डवासी कभी नहीं भूल पायेगं। जब दो सितंबर 1994 की वह दर्दनाक सुबह याद कर शरीर में आज भी सिहरन दौड़ जाती है। दो सितंबर की सुबह मौन जुलूस निकाल रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। फायरिंग के कारण शांत रहने वाली पहाड़ों की रानी मसूरी के वातावरण में बारूदी गंध फैल गई। आज भी उस दर्दनाक घटना को याद करने वालों की रूह कांप जाती है। मसूरी के झूलाघर के शहीद स्थल में पिछले 26 सालों से लगातार शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। पुलिस की गोली से घायल पुलिस उपाधीक्षक उमाकांत त्रिपाठी ने सेंट मेरी अस्पताल में दम तोड़ दिया। पुलिस और पीएसी का कहर यहीं नहीं थमा, इसके बाद कर्फ्यू के दौरान आंदोलनकारियों का उत्पीड़न किया गया। दो सितंबर से करीब एक पखवाड़े तक चले कर्फ्यू के दौरान लोगों को जरूरी सामानों को तरसना पड़ा। आंदोलन का मसूरी में नेतृत्व कर रहे वृद्ध नेता स्वर्गीय हुकुम सिंह पंवार को पुलिस दो सितंबर को बरेली जेल ले गई। जुलूस में उनके युवा पुत्र एडवोकेट राजेंद्र सिंह पंवार को गोली लगी और वे बुरी तरह जख्मी हो गए। कुछ सालों तक उनकी आवाज ही गुम हो गई। उनका इलाज एम्स दिल्ली में हुआ, लेकिन अफसोस सक्रिय आंदोलनकारियों में आज तक उनका चिह्नीकरण नहीं हो पाया और 2020 में उनकी मौत हो गई।
दो सितंबर 1994 को उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर सैकड़ों की तदाद में लोग एक सितंबर 1994 को खटीमा में राज्य आंदोलनकारियों पर गोली चलाकर 7 लोगों की जान ले लीए जिसके विरोध में मसूरी के हजारों लोग सडकों पर उतरे थे और यहां पर भी 6 लोगों को प्रदेश निर्माण को लेकर शहादत दी थी, लेकिन सड़कों पर उतरे हजारों आंदोलनकारियों पर बरसी गोलियों को 26 बरस हो गए हैं। पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर मसूरी गोलीकांड में 6 आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी थी।
पुलिस ने आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें दो ट्रकों में ठूंसकर देहरादून स्थित पुलिस लाइन भेज दिया था। यहां उन्हें अमानवीय यातनाएं दी गई और फिर सेंट्रल जेल बरेली भेज दिया गया। कई आंदोलनकारियों पर वर्षों तक अदालत में मुकदमे चलते रहे। वहीं आंदोलनकारियों के जिस सपने को लेकर उत्तराखंड बनाने की कल्पना की थी, वह आज पूरा नहीं हो पाया है। पहाड़ से पलायान होने के कारण गांव के गांव खाली हो गये हैं। बेरोजगारी बढ़ गई है। युवा परेशान हैं। वहींए 1994 के आंदोलन में मौजूद लोगों का चिन्हीकरण नहीं हो पाया है। जिससे आंदोलनकारी मायूस हैं। वहीं, प्रदेश के कई बडे नेता मसूरी आते हैं और शहीदों को श्रद्वाजलि अर्पित करते हैं, लेकिन सवाल है कि क्या शहीदों का उत्तराखंड बन पाया।
प्रदेश के गांव और पहाड खाली हो गए हैंण् युवा गांव से पलायन कर चुके हैंए कई सरकारें आईं और गईं लेकिन किसी ने भी पहाड़ के दर्द को नहीं समझाण् सब ने मात्र अपना फायदा देखाए जिस कारण आज प्रदेश के शहीद और आंदोलनकारी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैंण् इस आंदोलन ने राज्य गठन की भूमिका तैयार कीए सपने देखने की मासूम सी इच्छा को जन्म दिया और इन सपनों को हकीकत में बदलने का उत्साह और साहस दिया। यह आंदोलन ही थाए जिसमें राज्य ने अपनी मातृ शक्ति की ताकत का अहसास किया और युवाओं के उत्साह को स्वीकार किया। यह देखना सुखद है कि मसूरी में शहीद स्मारक के अलावा टिहरी जिले के गजा में भी मुख्य चौराहे पर बेलमती चौहान की प्रतिमा स्थानीय लोगों ने लगाई है। यह इस बात का द्योतक है कि सरकार याद रखे ना रखे पर जनता अपने शहीदों को याद रखती है।
6 आन्दोलनकारियों के अलावा मसूरी गोलीकांड में पुलिस के डीण्एसण्पीण् उमाकांत त्रिपाठी भी मारे गएण् उनके बारे में कहा जाता है कि वे आन्दोलनकारियों पर गोली चलाये जाने के पक्षधर नहीं थेण् इसलिए पीण्एण्सीण् वालों ने उन्हीं पर गोली चला कर मौत के घाट उतार दिया। वैसे देखा जाए तो उत्तराखंड आन्दोलन में जहां पर भी दमन हुआ पुलिस ने बिना उकसावे के पूर्व नियोजित षड्यंत्र के तहत किया। यह आन्दोलनकारियों को सबक सिखाने के साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की निगाह में स्वयं की फरमाबरदारी सिद्ध करने के लिए भी किया गया, जिस दिन मसूरी में गोलीकांड हुआ उसी दिन पौड़ी में आन्दोलनकारियों की रैली थी। वहीँ खटीमा और मसूरी में गोली चलने की खबर सुनाई दी थी। पूरा पौड़ी आन्दोलनकारियों से पटा हुआ थाण् ऊपर नीचे सब सडकों पर उत्तराखंड राज्य की मांग के लिए उत्साह से लबरेज लेकिन सुस्पष्ट दिशा की तलाश करता आन्दोलनकारियों का हुजूम थाण् वर्ष 2000 से शुरू हुई यह यात्रा अब 20 साल का सफर पूरा कर चुकी है। इस सफर में उत्तराखंड कभी तनकर खड़ा हुआ और कभी टूट.बिखर कर फिर उठ खड़ा हुआ लोगो की भावनाओं के अनुरूप राजधानी की तलाश।शहीद हुए आंदोलनकारियों को न्याय दिलाने की बातें करते रहे हैंण् लेकिन जिन मोर्चों पर न्याय की इस लड़ाई को असल में लड़ा जाना थाए वहां आंदोलनकारियों की मजबूत पैरवी करने वाला कभी कोई रहा ही नहींण् नतीजा यह हुआ कि न्यायालयों से लगभग सभी मामले एक.एक कर समाप्त होते चले गए और दोषी भी बरी हो गएण् बेहद गिने.चुने जो मामले आज भी न्यायालयों में लंबित हैंए उनमें भी यह उम्मीद अब न के बराबर ही बची है कि दोषियों को कभी सजा हो सकेगीण्जब सत्याग्रह ने न्यायालयों में लंबित उत्तराखंड आंदोलन से जुड़े मामलों की पड़ताल की तो यह कड़वी हकीकत सामने आई कि प्रदेश के शहीदों को बीते 25 सालों में न तो कभी न्याय मिला है और न ही अब इसकी कोई उम्मीद ही बची है। इस राज्य को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस पर उत्तराखंड आन्दोलन की शहादतों का तो असर कम है पर राज्य आन्दोलन के दौर की अराजकता और दिशाहीनता अभी भी अपने चरम पर है। इस कामना के साथ मसूरी गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि कि हम राज्य को जनता के सपनों का उत्तराखंड बना सकें, धींगामुश्ती और अराजकता से मुक्त राज्य बना सकें।

Share123SendTweet77
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

बुधवार को चमोली जिले में सात नए मामले आए

Next Post

एक दिन में रिकार्ड 836 संक्रमित मिले, आंकड़ा पहुंचा 21234

Related Posts

उत्तराखंड

डोईवाला: सिंचाई नहर बंद होने से गन्ने की कई बीघा फसल सुखी, किसानों ने दी आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी

November 17, 2025
8
उत्तराखंड

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड”

November 17, 2025
5
उत्तराखंड

जियो थर्मल पॉलिसी बनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य: डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम

November 17, 2025
8
उत्तराखंड

उत्तराखंड पहाड़ों के लिए अब आर्थिक और राजनीतिक संकट

November 17, 2025
6
उत्तराखंड

प्रख्यात चिकित्सक डाँ सुदर्शन सिंह भण्डारी के आकस्मिक निधन से पैनखंडा जोशीमठ एवं दसोली क्षेत्र शोक की लहर

November 17, 2025
14
उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखण्डी अधिवक्ताओं के साथ संवाद किया

November 16, 2025
13

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67506 shares
    Share 27002 Tweet 16877
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45757 shares
    Share 18303 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38034 shares
    Share 15214 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

डोईवाला: सिंचाई नहर बंद होने से गन्ने की कई बीघा फसल सुखी, किसानों ने दी आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी

November 17, 2025

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत को इंडियन केमिकल सोसाइटी वर्ष 2025 का “आचार्य पी. सी. राय मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड”

November 17, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.