प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवाकेन्द्र सुभाषनगर में सत्संग में राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी मंजू बहन ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हरेक के जीवन में स्नेह ही अति आवश्यक चीज़ है इसलिए स्नेह के बिना जीवन नीरस अनुभव करते हैं। स्नेह इतनी ऊँची वस्तु है जो आज लोग स्नेह को ही भगवान मानते हैं क्योंकि परमात्मा प्यार का अनुभव नहीं है।
अब जबकि परमात्म बाप इस सृष्टि पर आये है तो सभी बच्चों को प्रैक्टिकल जीवन में साकार स्वरूप से स्नेह दिया हैं, दे रहे हैं तब अनुभव नहीं होते हुए भी यही समझते हैं कि स्नेह ही परमात्मा है। तो परमात्मा बाप की पहली देन स्नेह है। स्नेह की पालना ने आप सब को ईश्वरीय सेवा के योग्य बनाया है। स्नेह ने कर्मयोगी, स्वतः योगी बनाया है।
इसी स्नेह ने हद के त्याग को भाग्य का अनुभव कराया है। इसी स्नेह के आधार पर किसी भी प्रकार के तूफान तोहफा अनुभव करते हैं, मुश्किल को अति सहज अनुभव करते हैं। इसी ईश्वरीय स्नेह ने अनेक टुकड़े हुई दिल को एक से जोड़ लिया है सदा समर्थ बना दिया। दुख दर्द की दुनिया से सुख की, खुशी की दुनिया में परिवर्तन कर लिया। इतना महत्व है इस ईश्वरीय स्नेह का। जो महत्व को जानते हैं वही महान बन जाते हैं। राजयोग के नियमित अभ्यास से जीवन मंे ईश्वरीय स्नेह सहज ही अनुभव होता है।