पूर्व राष्ट्रपति की जयंती
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 मे तमिलनाडु के रमेश्वरम् के निकट धनुष्कोडी नामक ग्राम मे हुआ था। रामेश्वरं वही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जहाँ त्रेता युग में भगवान राम ने सागर तट पर शिवलिंग की स्थापना की थी। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन, दादा का नाम पाकिर तथा परदादा का नाम अबुल था, इसी कारण इनका नाम अब्दुल पाकिर जैनुल अबदीन अब्दुल कलाम पड़ा एवं माता का नाम श्रीमती आशियांमा था। अब्दुल कलाम अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे, उनकी एक बहन भी थी। माता पिता दोनों ही धार्मिक विचारो के थे। डॉक्टर अब्दुल कलाम को आकाश मे पछियो की उड़ान बहुत अच्छी लगती थी। उनके घर से रामेश्वरम मंदिर 10 मिनट के रास्ते पर था, वे अक्सर वहा जाया करते थे। रामेश्वरम् मंदिर के मुख्य पुजारी उनके पिता के दोस्त थे। वे दोनों घंटों-घंटों धर्म और अध्ययन पर बाते करते थे।
अब्दुल कलाम बचपन से ही बहुत होनहार थे। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे जो रामेश्वरम आये हिंदु तीर्थ यात्रियो को एक छोर से दुसरे छोर पर छोड़ते थे। जिससे परिवार का भरण.पोषण होता था परंतु 1914 में पम्बन पुल के उदघाटन के साथ ही उनके परिवार का व्यापार पूरी तरह से बंद हो गया और समय के साथ.साथ उन्होंने अपनी सारी जमीन भी खो दी थी। उनके परिवार की स्थिति खराब हो गयी इन्ही कारण उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे।अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई.लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे।
उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लियाए जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। कलाम इस मामले मे पूरी तरह सतर्क थे की इंजिनियरिंग की पड़ाई किसी बहुत अच्छे कॉलेज से ही करनी चाहिए आधे.अधूरे ज्ञान वाले शिक्षक से पड़ना उन्हे पसंद नही था। दक्षिण भारत मे उन दीनो एम आई टी बहुत प्रषिद्ध था। बस उन्होने एम आई टी मे दाखिला ले लिया जहा उन्होने अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकी अभियांत्रिकी की पढाई की। जब कलाम किसी उच्च कक्षा के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। वहा के डीन उनकी प्रगति से नाखुश थे और उन्होंने कलाम को शिष्यवृत्ति रद्द करने की धमकी भी दी और 3 दिनों में सही तरह से प्रोजेक्ट बनाने कहा। उस समय कलाम अपनी अन्तिम्रेखा पर थे। लेकिन आखिर में उन्होंने डीन को खुश कर ही दिया और अंत में डीन ने कहा, मैंने तुम्हे बहुत मुश्किलों और बाधाओ में डाल दिया था, इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन डीआरडीओ में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ष्इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए।
पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्नए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक गैर राजनीतिक व्यक्ति रहे। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रपति भवन के द्वार उनके लिए स्वतरू खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता हैए उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था।
उनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए एक महान् आदर्श, बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है। भारतीयों के दिलों में जनता के राष्ट्रपति और भारत के मिसाइल मैन के रुप में हमेशा जावित रहेंगे! मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है।