फोटो–रैणी मे धरने मे बैठे लातपा हुए लोगो के परिजन।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट मे लापता हुए लोगों के परिजनो के सब्र का बाॅध टूटा। पाॅच दिनों से लापता लेागांे को ना ढूढे जाने से गुस्साए परिजनांे ने रैणी में सडक पर बैठकर ही धरना शुरू कर दिया। बीआरओ के चीफइंजीनियर द्वारा मानमनोबल करने के बाद ही किसी तरह वे धरने से उठे।
रैणी मे ऋषिंगा मे बना 13मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट मे इसमे कार्य कर रहे कार्मिक इस जलजले मे कही समा गये थे। रैणी से अब तक कुल चार लोगो के शव ही मिल सके थे। जबकि अभी पचास से ज्यादा लोग दलदल मे समाए है। पाॅच दिनो से रैस्कूय चल रहा है, लेकिन अभी तक भी कोई परिणाम नही निकल सका। पंजाब, हिमाचंल, उत्तर प्रदेश से पंहुचे उनके परिजनो को उस वक्त सब्र का बाॅध टूट गया जब लापता लोगो की तलाश मे ढिलाई देखी गईं।
दरसअल इस स्थान मे एनडीआरएफ, आईटीबीपी व एसडीआरएफ तो मौजूद है, लेकिन मशीने जो काम कर रही है वे बीआरओ की मशीने हैं जो सिर्फ मानवाता के नाते इस कार्य मे लगी है। अन्यथा बीआरओ की पहली प्राथमिकता सडक संपर्क से कट चुके 13गाॅवो के साथ भारत-तिब्बत सीमा को रोउ कनेक्टिविटी देना है। इस बात पर परिजनो का गुस्सा था। उनका कहना था कि शासन-प्रशासन उनकी सुध नही ले रहा है। मौके पर जो बीआरओ की मशीने कार्य कर रही है वो भी हमारे द्वारा आग्रह करने पर ही कर रही है। उनका कहना था कि वो शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चके है।
धरने पर बैठे एक परिजन ने कहा कि सात फरवरी की घटना के बाद 9फरवरी तक भी लापता हुए सगे संबधी की मोबाइल घंटी बज रही थी। उन्होने इसकी जानकारी भी प्रशासन को दी कि सर्विलाॅस पर लगाकर इसकी लोकेशन की जानकारी ली जाय। लेकिन उनकी भी नही सुनी गई।
इस दौरान वैकल्पिक पुल निर्माण कार्य मे ब्यवधान को देखते हुए बीआरओ के चीफइंजीनियर एएस राठौड ने परिजनो द्वारा कार्य मे बाधा डाले जाने की सूचना से मुख्य मंत्री को भी दूरभाष से अवगत कराया। चीफइंजीनियर ने धरने पर बैठे परिजनो को समझाते हुए कहा कि उनका मुख्य कार्य सडक संपर्क को शुरू करना है इसके लिए उन्होने पर्याप्त मशीने मौके पर बुलाई है। और मानवता के नाते तीन मशीनो को लापता हुए लोगो की तलाश मे लगाया हैं। लेकिन इसके बाद भी कार्य मे ब्यवघान डाला जा रहा है वो उचित नही है। काफी मानमनोबल के बाद धरना समाप्त कर सडक से उठे परिजन तब किसी तरह बीआरओ का कार्य शुरू हो सका।