गैरसैंण। जी बी पंत यूनिवर्सिटी पर्यावरण एवं शिक्षण संस्थान कोसी कटार मल के बैज्ञानिक किरीट कुमार द्वारा गैरसैंण क्षेत्र के 21 गांवों में चल रही स्थानीय कृषि उत्पादों की गुणवता और कृषकों के क्षमता विकास एवं स्वरोजगार की दिशा में किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण और परीक्षण किया गया। इसके तहत फरकंडे गांव में 21 गांवों के महिला समूहों तथा सब्जी उत्पदकों की एक गोष्ठी इन्हेअर संस्था चिनौनी द्वारा आहूत की गई, जिसमें विभिन्न् गांवों की महिला किसानो ने प्रस्तुति दी।
फरकंडे की चंद्रा देवी ने बताया कि उन्होंने 33 हजार के चौलाई लडू उत्पादन कर लाभ कमाया है पूरा खर्चा करने के बाद अभी 15437 उनके खाते में जमा हैं। इंद्रा देवी ने बताया कि वह अभी तक 184 डिब्बे लहसुन ओर 45 डिब्बे मिर्च का अचार बेचकर अछा लाभ कमा चुकी हैं। पूर्व जिला पंचायत सदस्य हीरा सिंह फनियाल, पधान राजे सिंह, होशियार सिंह कुलागाड के गोबिंद सिंह आदि ने कहा कि वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर किसानों को लाभ हो रहा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में बंदर, सुअर आदि जंगली जानवरों के आतंक से किसान परेशान है। लहसुन और मटर का वह नुकसान कर गये है। रोक थाम के लिए उपाय किये जाने चाहिए। मठकोट के किसान ने बताया कि वह लगभग 15 हजार के मूर्गी चूजे बेच चुका है। सारकोट के राजे सिंह ने बताया कि काले भटों के दाने का साईज और मात्रा में बृद्धि होने से गांव के किसान खुश हैं। इस दौरान कीट समस्या, भंडारण? जैविक सब्जियों और अनाज के उत्पादन पर चर्चा की गई। इनहेअर के मनोज माहेश्वरी ने बताया कि क्षेत्र में 20 स्वयं सेवक उद्यमियों का चयन करना, फसल चक्र के अनुसार जमीनी स्तर पर लोगो को जोड़ना, कृषि क्षेत्र में बीज उपचार, पारंपरिक खेती में सुधार लाने और आचार, जूस, काले भटों का नमकीन, चौलाई लडू, कुकुट पालन, जैविक साक, सब्जीयां, झंगोरा, मंडुवा, वर्मी कम्पोस्ट के क्षेत्र में 21 गांवों और 11 फूड प्रोसेस केंद्रों का मार्ग दर्शन कर रहे हैं।
ब्लाक प्रमुख शशि देवी मुख्य अतिथि रही। संचालन चिन्मय शाह द्वारा किया गया। इस मौके पर दीप प्रकाश गौड़, जगदीश शर्मा, अनूप खुमारिया, कमला फनियाल, गीता रावत तथा हरेंद्र, बलवंत रावत, प्रेम सिंह सिराणी, सोबन सिंह, बबीता देवी मौजूद
रहे।












