डोईवाला। देहरादून एयरपोर्ट प्रशासन ने एक व्यक्ति के 07 करोड़ 50 लाख रुपए षड्यंत्र के तहत डकारने के मामले में निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए एक स्टे आर्डर जारी किया है। पीड़ित मनीष चक्रवर्ती ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि वह एयरपोर्ट पर कई वर्षों से काउंटर के द्वारा टैक्सी सर्विस संचालन का कार्य करते हैं उन्होंने वर्ष 2023 में एयरपोर्ट पर फूड एंड बेवेजर्स का टेंडर लिया था।
इस समय एयरपोर्ट पर विस्तारीकरण का कार्य चल रहा था बताया कि एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा उन्हें 430 स्क्वायर मीटर जगह देनी थी। उन्होंने एयरपोर्ट को टेंडर के तहत 7.50 करोड रुपए सुरक्षा राशि के रूप में दिए थे।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट द्वारा उन्हें जगह आवंटित नहीं की गई, काफी मशक्कत के बाद किचन सर्विस एरिया दिया गया। एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा साजिश के तहत उनके साथ इस बंद जगह के बिलिंग के रूप में दबाव बनाकर पैसे लिए गए। लगभग 11 महीने बाद जगह दी गई जिससे उन्हें भारी आर्थिक और मानसिक नुकसान का सामना करना पड़ा।
यह बिलिंग 2025 नवंबर से लागू होने की बात एयरपोर्ट अथॉरिटी ने की थी लेकिन एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर उनसे बिलिंग के पैसे वसूले गए और विरोध किया तो एयरपोर्ट प्रशासन ने टेंडर के रूप में उनकी सात करोड़ 50 लाख रुपए जमा राशि निकाल ली और किसी और कंपनी को टेंडर देने की तैयारी कर रहे है।
बैंक ने उनका खाता भी सील कर दिया है जिससे उन्हें लेनदेन प्रक्रिया में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अपने साथ धोखाधड़ी देखते हुए हाईकोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लेने पर एयरपोर्ट प्रशासन पर नियम विरुद्ध कार्य करने का मामला देखते हुए निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी और एक स्टे आर्डर जारी किया।
जून 27 को निकाला गया। मनीष ने बताया कि एयरपोर्ट प्रशासन हाई कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए उनके साथ छुपन छुपाई का खेल खेल रही है। एयरपोर्ट प्रशासन फोन और मेल का जवाब नहीं दे रही है। उन्हें एयरपोर्ट में दाखिल होने से भी रोक रही है बताया कि एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा उनके साथ आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है कहा कि उनके साथ अगर कुछ भी अनहोनी घटती है तो उसकी जिम्मेदारी जॉली ग्रांट एयरपोर्ट अथॉरिटी की होगी।