कमल बिष्ट।
श्रीनगर, गढ़वाल। न्यू डांग-ऐंठाणा, श्रीनगर गढ़वाल में निवास करने वाले गढ़वाली लेखक एवं गीतकार संदीप रावत एवं उनकी पत्नी लक्ष्मी रावत ने श्रीनगर गढ़वाल की गढ़वाली भाषा साहित्य को समर्पित आखर समिति को विस्तार देते हुए आखर चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में निष्पादित किया है। यह ट्रस्ट अब अपने उद्देश्यों एवं अपने संविधान के अनुरूप सार्वजनिक हितार्थ साहित्यिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक हितार्थ कार्य करेगा।
मुख्य न्यासकर्ता एवं संस्थापक के रूप में संदीप रावत एवं लक्ष्मी रावत ने आखर चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में जिन अन्य ट्रस्टियों को नियुक्त किया है, वे सभी ट्रस्टी आखर बोर्ड सदस्य के रूप में भविष्य में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने वाले हैं। इस ट्रस्ट में ट्रस्टी गीतेश सिंह नेगी सचिव डॉ नागेंद्र रावत उपाध्यक्ष, बिमल चन्द्र नेगी, विक्रम सिंह रावत, दीवान सिंह मेवाड़, श्रीमती रेखा चमोली कोषाध्यक्ष, श्रीमती बविता थपलियाल सह सचिव, श्रीमती अंजना घिल्डियाल अभी आखर बोर्ड सदस्य एवं ट्रस्टी हैं। इसमें कंचन पंवार आदि सामान्य सदस्य के रूप में हैं। मुख्य ट्रस्टी एवं संस्थापक होने के साथ इस ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष के रूप में भी संदीप रावत अपनी सेवाएं दे रहे हैं एवं जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं ।
आखर समिति की स्थापना 05 दिसम्बर 2016 को श्रीनगर गढ़वाल में इस आशय से की गई थी कि यह समिति गढ़वाली भाषा .साहित्य के क्षेत्र में एक नई सोच एवं नए विचारों के साथ कार्य करेगी। कदाचित यह अपने उद्देश्यों में सफल भी हुई एवं लगभग इन पाँच वर्षों में आखर अपनी पहचान बनाने में सफल रही।
आखर के पहले कार्यक्रम की शुरुआत 09 दिसम्बर 2016 को ओम पहाड़ी बहुगुणा द्वारा आयोजित डांग महोत्सव में गढ़वाली कवि सम्मेलन के रूप में हुई। इसके पश्चात फिर जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमा नहीं और छोटे बड़े 15 बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम आखर समिति द्वारा आयोजित किए गए।
29 अगस्त 2017 को श्रीनगर गढ़वाल में उत्तराखंड की 4 दिवगंत विभूतियों . चंद्र कुंवर बर्त्वाल, जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा, धर्मानंद उनियाल पथिक, डॉ उमा शंकर थपलियाल का स्मरण कर व्याख्यान माला आयोजित की।
श्रीनगर गढ़वाल में उत्तराखण्ड के मूर्धन्य लोक साहित्यकार, दिवंगत महान विभूति, सम्पूर्ण गढ़वाली लोक साहित्य के पहले संग्रह कर्ता एवं अनुवाद कर्ता, भाषाविद डॉ गोविन्द चातक की जयन्ती के सुअवसर पर 19 दिसम्बर 2017 से प्रतिवर्ष कार्यक्रम शुरू किया गया। गढ़वाली भाषा.साहित्य को समर्पित आखर समिति श्रीनगर गढ़वाल द्वारा नगर पालिका परिषद सभागार में एक भव्य कार्यक्रम करके डॉ चातक को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में विद्वत वक्ताओं ने डॉ गोविन्द चातक की जीवनी पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ गोविन्द चातक का लोक साहित्य में योगदान विषय पर भी अपनी बात रखी थी।
गढ़वाली भाषा एवं लोक साहित्य में डॉ गोविन्द चातक के भगीरथ योगदान से प्रेरणा लेकर डॉ गोविन्द चातक स्मृति व्याख्यान के आयोजन के साथ .साथ चातक परिवार के सहयोग से साहित्यकार डॉ गोविन्द चातक की जयन्ती के सुअवसर पर 19 दिसम्बर वर्ष 2018 से डॉ गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान आखर समिति द्वारा शुरू किया गया जो प्रतिवर्ष दिया जाता है और आगे भी ट्रस्ट द्वारा अनवरत जारी रहेगा।
यह सम्म्मान अभी तक डॉ गोविन्द चातक की जयन्ती पर प्रथम डॉ गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान डॉ नन्दकिशोर ढौंडियाल अरुण को ;वर्ष 2018 श्रीनगर गढ़वाल में, द्वितीय सम्मान गढ़वाली कथाकर गढ़वाली साहित्यकार मोहन लाल नेगी एवं प्रसिद्ध गढ़वाली अनुवादक बचन सिंह नेगी अब स्व को देहरादून में वर्ष .2019 संयुंक्त रूप से दिया गया एवं तृतीय सम्मान वर्ष 2020 का वरिष्ठ साहित्यकार ललित केशवान को इस वर्ष 19 दिसंबर 2021को में डॉण्गोविन्द चातक की जयन्ती के सुअवसर पर दिया जाएगा। साथ ही वर्ष .2021 का यह सम्मान भी इसी दिवस पर किसी वरिष्ठ गढ़वाली साहित्यकार को प्रदान किया जाएगा।
श्रीनगर गढ़वाल में आखर समिति ने लगभग तीन वर्ष पूर्व 23 सितम्बर 2018 को गढ़वाली भाषा .साहित्य के इतिहास में पहले विशुद्ध गढ़वाली कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया। उसी गढ़वाली कवयित्री सम्मेलन के विचार फलस्वरूप ही संदीप रावत एवं गीतेश सिंह नेगी के सम्पादन में गढ़ कवयित्रियों की कविताओं के पहले वृहद संकलन आखर दिसा. धियाण्यूं को पैलो वृहद गढ़वाळि कविता संग्रै प्रकाशित हुआ।
गढ़. कवयित्रियों की कविताओं के पहले वृहद संकलन आखर दिसा धियाण्यूं को पैलो वृहद गढ़वाळि कविता संग्रै का लोकार्पण दिनाँक 16 अगस्त 2020 को नगर पालिका सभागार ;श्रीनगर गढ़वाल में मातृ शक्ति की प्रतीक मुख्य अतिथि नगर पालिका परिषद की प्रथम महिला माननीय अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल, वरिष्ठ कवयित्री उमा घिल्डियाल और डॉ कविता भट्ट शैलपुत्री द्वारा आखर समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में किया गया।
इस ऐतिहासिक वृहद गढ़वाली संग्रह को गढ़वाली की पहली कवयित्री एवं प्रख्यात समाज सेविका स्व विद्यावती डोभाल को समर्पित किया गया। स्व विद्यावती डोभाल से लेकर वर्तमान में गढ़वाली कविता के क्षेत्र जितनी भी महिलाएं कलमरत हैं, इस वृहद आखर संग्रह में संकलित हैं। नई पीढ़ी अर्थात स्कूल व कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं की गढ़वाली कविताओं को भी गढ़वाली कवयित्रियों की रचनाओं के इस वृहद संग्रह श्आखर श् कवियित्री संकलन में शामिल किया गया ।
आखर समिति द्वारा फरवरी माह वर्ष 2021 में उत्तराखंड मातृभाषा अभियान चलाया गया, जिसमें उत्तराखंड के सभी रैबासी प्रवासियों से इस अभियान में शामिल होने की धै. धाद लगाई गई, यानि आह्वान किया गया। इस अभियान की संकल्पना आखर के गीतेश सिंह नेगी की थी। 21 फरवरी 2021 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आखर द्वारा महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इन कार्यक्रमों के अतरिक्त लगभग इन साढ़े चार वर्षों के दौरान आखर द्वारा गढ़वाली भाषा साहित्य के क्षेत्र में एक नई सोच के साथ अन्य कार्य करने का पूरा प्रयास किया गया। साथ ही कुछ नए गढ़वाली लेखकों व गढ़वाली कवयित्रियों को एक मंच देने का प्रयास किया गया।
इस 14 नवम्बर को आखर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा अपना पहला कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह नेगी लॉज, बिलकेदार, श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में समाज सेवीए वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले, विज्ञान .गणित शिक्षण में नवाचारी प्रयोग करने वाले एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदर्श शिक्षक स्वण्शिवदर्शन सिंह नेगी की जयंती के उपलक्ष्य पर उनकी स्मृति में इस वर्ष शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान की शुरुआत की गई।
इस वर्ष प्रथम शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान वर्ष 2021 विद्यालयी शिक्षा स्तर पर विज्ञान के क्षेत्र में नवाचारी प्रयोग करने हेतु एवं अपने छात्रों को राज्य के साथ राष्ट्रीय स्तर पर पहचान व प्रतिभाग करवाने हेतु राइंक मंजाकोट, चौरास के प्रवक्ता डॉ अशोक कुमार बडोनी को प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप डॉ बडोनी को अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, आखर स्मृति चिह्न एवं पाँच हजार एक सौ रुपए की नगद धनराशि भेंट की गई। यह सम्मान समारोह स्व शिवदर्शन सिंह नेगी की धर्मपत्नी एवं अवकाश प्राप्त शिक्षिका श्रीमती विमला नेगी के सहयोग से आयोजित किया गया। आगे भी यह सम्मान ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाएगा। विज्ञान शिक्षिकों हेतु यह सम्मान शुरू करने की संल्पना एवं योजना ट्रस्ट के संस्थापक संदीप रावत द्वारा की है।












