गढ़वाली भाषा के जाने माने साहित्यकार श्री बचन सिंह नेगी का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन पर उत्तराखंड के लेखकों, पत्रकारों ने शोक जताया है।
उन्होंने कहा नेगी के साहित्यिक योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। लोकल भाषा के लिए शोध संस्थान खोलने की बात की बात हुई है।
कोरोनो महामारी के चलते सभा करना या इकठ्ठा होना संभव नहीं था। इस लिये जो लोग नेगी जी को जानते हैं उनके बीच मे फोन कांफ्रेंस कर श्रद्धा जंली दी गई। वक्ताओ ने उन्हें भाषा का मर्मज्ञ विद्वान बताया।
साहित्यकार श्री महावीर रवांलटा ने नेगी के निधन को गढ़वाली साहित्यिक गतिविधियों के लिए भारी क्षति बताया। उन्होंने कहा नेगी ने खामोशी के साथ एक भाषा की लौ जला के रखी। देहरादून उनके लेखन को नहीं जानता था। जो एक भूल थीं।
श्रीनगर गढ़वाल से वरिष्ठ लेखक डॉ अरुण कुकसाल ने बताया कि श्री बचन सिंह नेगी के मूल साहित्य का दुर्भाग्य से प्रचार प्रसार नही हो पाया। उन्होंने कहा जिसके सामाजिक संबंध नहीं होंगे तो उनके साहित्यिक कृतियों को लोग पढ़ेंगे नहीं यह दुर्भाग्य है।
डॉ कुकसाल ने उन्हें श्री विधासगर नोटियाल जी के समकक्ष का साहित्यकार माना। वरिष्ठ पत्रकार व लेखक श्री जय सिंह रावत ने उन्हें गढ़वाली अनुवाद का मर्मज्ञ विद्वान माना। उनकी कृतियों को बढ़ावा देने की बात कहीं।
श्री रावत ने कहा नेगी जी को लॉक डाऊन खत्म होने के बाद श्रद्धांजलि सभा के रूप में याद किया जाएगा। 19 दिसम्बर 2019 को श्री गोविंद चातक जी की जयन्ती पर श्री बचन सिंह नेगी को आखर समिति श्रीनगर ने सम्मानित किया था। उत्तराखंड में यह उनका पहला सम्मान था। श्रीनगर से आखर समिति के अध्यक्ष श्री संदीप रावत ने बताया कि इतने मोटे मोटे ग्रन्थों का अनुवाद करना बहुत कठिक है। श्री नेगी ने यह करके दिखाया। श्री रावत ने कहा किए नेगी ने उन्हें सूरज दिखाया है। वह आगे गढ़वाली भाषा के लिए काम करते रहेंगे।
टिहरी से वरिष्ठ पत्रकार श्री महिपाल सिंह नेगी ने बताया कि वह एक माह से श्री बचन सिंह नेगी की पुस्तक पढ़ रहे थे। उन्होंने बताया किए बौराडी से विक्रम कवि लखनऊ शिफ्ट हुए थे। उन्होंने 200 किताबे उन्हें दान की। इसमें कुछ किताबें श्री बचन सिंह नेगी की थीं।
श्री महिपाल ने बताया कि उनकी पुस्तकें उनके जीते जी एक माह पहले तक पढ़ना एक दुखद वाकया रहेगा। लेकिन हम उन्हें पुस्तक पढ़ कर याद करते रहेंगे। युगवाणी के संपादक श्री संजय कोठियाल ने कहा किए नेगी जी ने भजन सिंह, मोहनलाल नेगी जैसा कार्य गढ़वाली साहित्य के लिए कार्य किया है। उन्होंने भाषा का एक कदम आगे बढ़ाया। वह हमेशा याद किये जायेंगे।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने नेगी के निधन को साहित्यिक जगत के लिए छति माना। उन्होंने यह दुख की बात है हम नेगी को उनके न रहने पर याद कर रहे हैं।
पौड़ी से लेखक श्री नरेन्द्र कठैत ने बताया कि नेगी जी के गढ़वाली भाषा के लिए कार्य बेमिसाल था। एक लोकल भाषा का शोध केंद्र पहाड़ में बनाया जाना चाहिए। ताकि नेगी की किताबें वहां सुरक्षित रह सके। लेखक श्री शूरवीर रावत ने कहा कि नेगी जी गढ़वाली साहित्य लोगों के लिये छोड़ दिया है। लोगों को कद्र करनी चाहिए। और उस साहित्य को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
श्री चन्दन सिंह नेगी, डॉ सत्य नंद बडोनीए श्री चन्द्र दत्त सुयाल और जाने माने इतिहास कार डॉ यशवंत सिंह कटोच ने भी नेगी जी को फोन कांफेंस पर इस श्रद्धाजंली सभा का आयोजन पत्रकार शीशपाल गुसाईं ने किया था। श्री गुसाईं ने कहा कि इस संकट की घड़ी में नेगी जी का जाना दुखद है।
शीशपाल गुसाईं