शंकर सिंह भाटिया/प्रकाश कपरूवाण
देहरादून/बदरीनाथ। केदारनाथ-बदरीनाथ पर अगाध आस्था रखने वाले प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा सत्रहवीं लोक सभा चुनाव के अंतिम चरण से ठीक पहले हो रही है। 23 तारीख को मतगणना के बाद इस चुनाव के नतीजे भी आ जाएंगे। माना जा रहा है कि 144 चुनावी सभाओं को संबोधित करने के करीब दो महीने से भी अधिक के अपने थका देने वाले व्यस्त सेड्यूल बाद बदरी-केदार की शरण में जाकर वे आध्यात्मिक तरीके से इस थकान को मिटाना चाहते हैं, वहीं बदरी-केदार के आर्शीवाद से वह चुनाव में विजय भी प्राप्त करने का मनसूबा पाले हुए हैं। लेकिन जाने-अंजाने में वह जिस मिथक को तोड़ने जा रहे हैं, वह उन्हें सत्ता से दूर करने वाला है। एक मिथक प्रचलन में है कि अब तक जो भी राजनेता हवाई मार्ग से बदरीनाथ गया, उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 मई को केदारनाथ में रात्रि विश्राम के बाद 19 मई को बदरीनाथ आएंगे। बदरीनाथ में उनका हैलीकाप्टर माणा स्थित सेना के हैलीपैड पर उतरेगा। इस हवाई मार्ग में हेलीकाप्टर बदरीनाथ मंदिर के ऊपर से होकर माणा तक जाएगा। बदरीनाथ में हवाई मार्ग से आने वाले नेताओं के लिए बहुत लंबे समय से एक मिथक बना हुआ है, जो भी राजनेता वायुमार्ग से बदरीनाथ पहुंचता है, उसके हाथ से सत्ता छिटक जाती है। इसके कई उदाहरण मौजूद हैं।
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी इस मिथक के शिकार हुए हैं। 1996 में भाजपा-बसपा की सरकार सत्तारूढ़ थी। तत्कालीन पर्यटन मंत्री कलराज मिश्र हेलीकाप्टर से बदरीनाथ गए थे, उनके वापस लखनऊ पहुंचने से पहले मायावती ने समर्थन वापस ले लिया और सत्ता जाती रही। भगत सिंह कोश्यारी जब अंतरिम सरकार में मुख्यमंत्री थे, वह भी कैबिनेट मंत्री केदार सिंह फोनिया के साथ हेलीकाप्टर से बदरीनाथ गए थे। उसके बाद चुनाव में न भाजपा की सरकार सत्ता में आई और केदार सिंह फोनिया कभी मंत्री नहीं बन पाए।
यही वजह थी कि उसके बाद मुख्यमंत्री बने नारायण दत्त तिवारी यदि कभी बदरीनाथ गए तो लामबगड़ हेलीपैड पर ही उतरे, वहां से कार से बदरीनाथ गए। भुवन चंद्र खंडूड़ी तथा हरीश रावत ने भी यही किया। जब वे ऐसा कर रहे थे तो यह मिथक उनके विचार में था।
क्या मोदी के सिपाहसलारों को इस मिथक की जानकारी नहीं है? या फिर वे इस मिथक की परवाह करने को तैयार नहीं हैं? क्या वे मोदी की भक्ति के आगे इस मिथक को दरकिनार करने की हिम्मत दिखा रहे हैं? यदि मोदी माणा स्थित सेना के हेलीपैड पर उतरते हैं तो इस मिथक का परिणाम आने में सिर्फ 23 मई तक का समय शेष है। क्या अंतिम समय में मोदी के लैंड करने का कार्यक्रम बदलता है? यदि नहीं बदलता है कि यह मिथक 23 मई को क्या नतीजा लेकर आता है? यह देखने वाली बात होगी।