डा.हरीश चंद्र अन्डोला
भाष्कराचार्य ने पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक ग्रन्थ सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय रचा था, जबकि सदियों से हमें बताया जाता रहा है कि पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण की खोज न्यूटन ने तब की थी जब उन्होंने एक वृक्ष से सेव का फल ज़मीन पर गिरते देखा था। आप को ये जानकर हैरानी होगी कि गुरुत्वाकर्षण का नियम न्यूटन से 500 साल पहले भारतीय महर्षि भाष्कराचार्य ने खोजा था !
कि मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो, विचित्रावतवस्तु शक्त्य। आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं, गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या। आकृष्यते तत्पततीव भाति, समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे।
भुवनकोश अर्थात् पृथ्वी में विचित्र आकर्षण शक्ति है। पृथ्वी अपनी आकर्षण शक्ति से भारी पदार्थों को अपनी ओर खींचती है और इसी आकर्षण के कारण पदार्थ जमीन पर गिरते हैं। पर जब आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगे, तो कोई कैसे गिरे, आकाश में पदार्थ निरावलम्ब रहते हैं क्योंकि वहां विविध ग्रहों की शक्तियां वस्तुओं का संतुलन बनाए रखती हैं। हमारे देश में अपनी प्राचीन खोजों और स्थापनाओं का मज़ाक उड़ाने का एक फैशन चल गया है! ज़रुरत इस बात कि है कि हमारे वेदों, महाकाव्यों से लेकर मध्यकालीन वैज्ञानिकों आर्यभट्ट और भास्कराचार्य के ग्रंथों में जो कुछ छिपा है, उनमें निरूपित वैज्ञानिक सत्यों को कसौटी पर कस कर दुनिया के सामने लाया जाय।