डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
अनानास जिसे पाइनएप्पल के नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा फल है, जो दिखने मे बाहरी रूप से सामान्य तौर पर हरे रंग का काटेदार फल होता है और अन्दर से पीले रंग का थोडा कड़क, खट्टा.मीठा व रसीला होता है। अनानास बहुत ही उपयोगी फल है। पहले के समय में यह फल कुछ सीमित अवधि में ही मिलता था, परन्तु बदलते समय के कृषि विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है और यही नहीं सभी फल बारह महीने मिलने लगे हैं। अनानास एक ऐसा फल है, जिसमे भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते है। कैंसर बहुत बड़ी बीमारी है पर फिर भी कई छोटी.छोटी चीजे कारगार सिद्ध हो जाती है, बड़ी.बड़ी बीमारियों में अनानास में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो, कैंसर के कीटाणुओं से लड़ने मे सहायक होती है। अनानास मे एक नेचुरल मिठास होती है, जिसे सीमित मात्रा मे एक शुगर पेशेन्ट भी ले सकता है और अपना शुगर लेवल नियंत्रित कर सकता है।
ख़ासतौर पर, लो डायबिटीज पेशेन्ट अपने डॉक्टर की सलाह से ले सकते है शरीर को स्वस्थ रखने के लिये पाचन क्रिया का सही होना बहुत ही आवश्यक है। शोध के अनुसार कहा जाता है कि अनानास मे भरपूर मात्रा मे फाइबर्स होते है, जो पाचन क्रिया मे सहायक होते हैं। अनानास में कुछ पोषक तत्व ऐसे होते हैं, जो बहुत ही कम फलों मे पाये जाते हैं। ऐसे तत्व कुछ बीमारियों मे बहुत उपयोगी सिद्ध होते है। उनमे से एक है बीटा.कैरोटीन नामक तत्व, जो अस्थमा रोगियों के लिये बहुत उपयोगी होता है। रक्तचाप जिसे ब्लडप्रेशर के नाम से जाना जाता है, एक सर्वे के माध्यम से पता चला है कि पोटेशियम की मात्रा से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। अनानास मे पोटेशियम होता है। अनानास में थायमिन, विटामिन्स, कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और फास्फोरस जैसे गुणों से भरपूर होता हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है इसमें विटामिन ए.सी और बीटा कैरोटीन से भरपूर होने के कारण इसका सेवन आंखों को स्वस्थ रखने और रोशनी बढ़ने में मदद करता है। इसी के साथ अगर इसका रोजाना सेवन किया जाए तो मोतियाबिंद जैसी समस्या से निजाता पाया जा सकता है। इसलिये अनानास का सेवन ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिये बहुत ही अच्छा होता है। हड्डियों की मजबूती के लिये पाइनएप्पल जूस बहुत ही अच्छा होता है, क्योकि इसमें सभी मिनरल्स और विटामिन की मात्रा होती है।
यह ख़ास कर बच्चों को माहिलाओ जिनकी हड्डिया कमजोर होती है, उनके लिये बहुत लाभदायक है। पाइनएप्पल का सेवन चाहे फ्रूट चार्ट के रूप मे या जूस के रूप मे कैसे भी करे, यह आखों के लिये बहुत फायदेमंद है। पाइनएप्पल एक प्राकृतिक औषधि के रूप मे उपयोग की जाती है। पथरी या किडनी स्टोन जिस के लिये पाइनएप्पल बहुत फायदेमंद रहता है। जिस भी व्यक्ति को स्टोन का प्रोब्लम हो वह प्रतिदिन एक पाइनएप्पल के चार से पांच पिस खाये या एक गिलास बिना शक्कर के पाइनएप्पल जूस पी सकता है। फल का निश्चित मात्रा मे सेवन बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। उसी तरह सामान्य रूप से सर्दी खासी, बुखार, गठिया जैसे रोग मे पाइनएप्पल का किसी भी रूप मे सेवन बहुत अच्छा माना जाता है।
इम्युनिटी पॉवर जिसे रोग प्रतिरोधक शक्ति कहा जाता है, जिसका संतुलन शरीर मे बना रहना बहुत आवश्यक है। यह बिगड़ने पर शरीर मे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जब कभी व्यक्ति अपनी क्षमता से अत्यधिक काम कर लेता तो उसे थकान महसूस होने लगती है या कमजोरी लगने लगती है। जूस और फ्रूट इसके लिये बहुत ही उपयोगी होते है और शरीर मे इम्युनिटी पॉवर बड़ाने मे मदद करते है। अनानास एक रसिला फल है, जिसमे प्रकृतिक मिठास होती है। इसके जूस या इसका फ्रूट चार्ट के रूप मे सेवन करने से शरीर मे कमजोरी महसूस नही होती है और इसे डाइट के रूप मे शामिल किया जा सकता है,, जोकि वजन कम करने मे सहायक होता है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर अनानास को सिर्फ खाया या जूस बनाकर पिया ही नहीं जा सकता बल्कि अपनी त्वचा व बालों पर मास्क बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
दुनिया भर में त्रिपुरा को सबसे बड़ा अनानास उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है। राज्य ने मई माह में 193.10 मेट्रिक टऩ अनानास को देश के विभिन्न राज्यों और बांग्लादेश को बेचा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दो साल पहले ही अनानास को त्रिपुरा का राजकीय फल घोषित किया था। त्रिपुरा के इस किसान को कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से अनानास की फसल दुबई के एक ग्राहक को बेचने पर स्थानीय दाम से तीन गुना अधिक दाम मिला है। आपदा को अवसर में बदलने में जुटे इन किसानों से हम भी ले सकते हैं सीख अनानास को औषधी पौधा कहा जाता है। इसमे न्यूट्रीशन के साथ.साथ स्वास्थवर्धक तत्वों की भरमार होती हैण् स्वाद के अलावा इसका प्रयोग सेहत के लिए भी हजारों सालों से दवाइयों में होता रहा है। भारत में इसका प्रयोग आमतौर पर भोजनए सलाद और मिठाइयों में होता है। इसके अंदर कैल्शियम और फाइबर की मात्रा अच्छी होती है, जिस कारण कमजोर और वृद्ध लोगों के लिए ये फायदेमंद हैण् अनानास की खेती भारत में लगभग हर स्थान पर की जा सकती है। हालांकि इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त माना गया है। अनानस की खेती 15 से 33 डिग्री के तापमान में अच्छे से हो सकती है, जिसका मतलब है कि पश्चिमी समुद्री तटीय क्षेत्र और उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में समुद्र तट से 1 हजार से 2 हजार फुट की ऊंचाई पर इसको आराम से उगाया जा सकता है।