रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
यह हम नहीं बल्कि रुद्रप्रयाग के लोगों द्वारा कही जा रही है’…………..
रुद्रप्रयाग आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों की तारीखे जैसे नजदीक आ रही हैं, वैसे ही राजनीतिक दलों में टिकट बंटवारे को लेकर भी गहन.मंथन जारी है।
आज हम बात जनपद रुद्रप्रयाग की कर रहे, जहाँ पर दो विधानसभा सीटें हैं। रुद्रप्रयाग विधानसभा और केदारनाथ विधानसभा।
यहॉ पर प्रमुख दो दलों भाजपा.कांग्रेस में टिकट को लेकर उठापटक चल रही है, छोटा जनपद होने के बाद भी यहॉ दोनों दलों को टिकट देने में बड़ी मस्कत करनी पड़ रही है।
पहले हम रुद्रप्रयाग विधान सभा की बात कर लें..यहॉ पर भाजपा व कांग्रेस अभी तक अपने प्रत्याशियों के नाम तय नहीं कर पाये हैं, बीजेपी में सीटिंग विधायक सहित कई नाम सामने आये हैं। वही कॉग्रेस के भी बुरे हाल हैं, अपने ठोस निर्णय से बहुत पीछे हैं।
वही रुद्रप्रयाग मे चर्चाओं का बाजार गर्म है कि कांग्रेस रुद्रप्रयाग सीट से किसी बाहरी नेता को टिकट देने के मूड में हैं, तो दावेदार सदस्यों का कहना है कि पार्टी हाई कमान को जिले के ही किसी मूल निवासी व जमीनी कार्यकर्ता को ही प्राथमिकता देनी होगी। वरना विरोध की आवाजें उठानी लाजमी है।
यही हाल बीजेपी का केदारनाथ विधानसभा में है, यहॉ पर कुछ दिनों से किसी बाहरी प्रत्याशी के आने की चर्चा फैल रही है, ऐसे में अन्य दावेदारों में निराशा होना भी लाजमी है। जबकि दावेदारी करने वालों की लंबी लिस्ट भी थी। आखिर ये सभी इस लायक नहीं रहे क्या?
रुद्रप्रयाग के आम सामाजिक लोगों का मानना है कि कॉग्रेस पार्टी जहाँ पूर्व विधायक रहे टिहरी के मातबर सिह कंडारी के नाम की चर्चा गरमा रही है, तो बीजेपी केदारनाथ से पौड़ी के ड़ा हरक सिंह रावत पर दाँव खेल सकती है।
जबकि मातबर सिह कंडारी व हरक सिह रावत आपस मे साठू भाई भी हैं, तो क्या रुद्रप्रयाग जिला दोनों पार्टियों की नजर में लावारिश तो नहीं हैं. यहॉ जो भी आये जहाँ से आये चुनाव लड़कर चले जाये, यहॉ के कार्यकर्ता केवल पोस्टर व निजी स्वार्थ की राजनीति करते रहेगे।
जब हमें केदारनाथ विधानसभा के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं से इस बारे में जानना चाहा तो सभी पार्टी के निर्देश को मानने तक सीमित दिखे।कहा समय आने पर उचित फैला लेंगे।
बेशक रुद्रप्रयाग विधान सभा में जरूर नेताओं व कार्यकर्ताओं ने अपनी अलग अलग राय दी है, ज्यादातर का कहना है कि बाहरी पैरासूट नहीं थोपे जाने चाहिए।
वही आम जनता व समाजसेवी कहते है कि रुद्रप्रयाग का कोई नेता दूसरे जिले में जाकर जरा चुनाव लड़े, चाहे कॉग्रेस का हो या भाजपा का। तो रुद्रप्रयाग में नेता इस काबिल नहीं रहे या नेता धनबल के आगे बिक जाते हैं।
अब यह सवाल आम जनता से लेकर वोटर के सामने खड़ा है कि रुद्रप्रयाग जिले में ही क्यों बाहरी जिलों के लोग अपनी दावेदारी करने आते हैं, क्या यह के ही लोग राजनीति में असफल है।
इस पर क्षेत्रीय दलों को सुन्दर मौका तो मिल ही जायेगा, चुनावों में प्रचार का हथियार बनाने को।