डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
भारत का मोबाइल संचार इतिहास 1995 की उस एक कॉल से शुरू हुआ था, और आज यह एक डिजिटल राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है। क्या आपने कभी सोचा था कि एक दिन मोबाइल फोन हमारी पहचान, हमारी सुविधा, हमारा ऑफिस, और हमारी शिक्षा का माध्यम बन जाएगा ? शायद नहीं। लेकिन आज, न केवल यह मुमकिन है, बल्कि यह हमारी हकीकत है। यह सब संभव हो पाया है उस पहले कॉल, तकनीकी नवाचार, प्रतिस्पर्धी बाज़ार और भारत के दूरदर्शी नेतृत्व की बदौलत। सीमांत जिले पिथौरागढ़ की संचार सेवा पूरी तरह राम भरोसे चल रही है. कहीं लोगों को टावर शुरू कराने के लिए आमरण अनशन पर बैठना पड़ रहा है तो कहीं सरकारी विभागों के कर्मचारी सिग्नल ढूंढकर सरकारी कामकाज निपटा रहे हैं. लचर संचार सेवा से सीमाओं के सुरक्षा में लगे जवान भी परेशान हैं.नेपाल सीमा से लगे गांव ध्याड़, बलतड़ी, तड़ीगांव, पिपलतड़ा, टाकुला, बौनको, जायल आदि गांवों में पिछले चार दिनों से फोर जी सेवा के नेटवर्क नहीं आ रहे हैं. लोगों को चोटियों पर चढ़कर सिग्नल ढूंढने पड़ते हैं. बलतड़ी गांव के पोस्ट आफिस और एएनएम सेंटर में इससे कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. पोस्ट ऑफिस में तैनात कर्मचारी ने बताया कार्यालय में सिग्नल नहीं आ रहे हैं. डाकघर का कामकाज निपटाने के लिए उन्हें काली नदी के किनारे दूसरी संचार कंपनियों के सिग्नल से काम चलाना पड़ रहा है. सीमा क्षेत्र में तैनात एसएसबी जवान भी कमजोर सिग्नल के चलते परेशान हैं. जवान अपने घरों में बातचीत नहीं कर पा रहे हैं.समाजसेवी ने कहा बीएसएनएल के अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी दिक्कत दूर नहीं की जा रही है. बीएसएनएल के एसडीई मोहम्मद खालिद ने कहा तकनीकी खराबी के चलते फोर जी सेवा में समस्या आ रही है. इसके लिए देहरादून से विभागीय टीम आ रही है. शीघ्र समस्या ठीक कर ली जाएगी.सीमांत तहसील मुनस्यारी के दाखिम गांव में लगा बीएसएनएल का मोबाइल टावर दो वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका है. कई बार मांग उठाने के बाद भी टावर नहीं लगने से खिन्न ग्रामीणों ने अब अनशन शुरू कर दिया है. अनशनकारियों के समर्थन में कई ग्रामीणों ने धरना भी दिया. धरना स्थल पर हुई सभा में ग्रामीणों ने कहा दाखिम गांव में दो वर्ष पूर्व बीएसएनएल टावर लगा दिया गया था. इस ग्रामीणों ने कहा जब तक टावर चालू नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा. पोस्ट ऑफिस की सेवाओं की बात करें तो विभाग वर्तमान में देश-विदेश में पार्सल, मनी ऑर्डर, रजिस्टर्ड डाक, स्पीड पोस्ट, ई-पोस्ट पोस्टल आदि सेवाएं दे रहा है. पोस्ट ऑफिस घर-घर गंगाजल भी पहुंचा रहा है.उत्तराखंड के कई गांवों में पोस्ट ऑफिस आज भी संचार का एकमात्र माध्यम है, जहां कनेक्टिविटी की समस्याएं हैं.वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड में डाकघर कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में भी काम कर रहा है, जहां जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, बीमा योजना आदि के लिए आवेदन कर सकते हैं. डाकघर में आधार केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां आधार कार्ड में संशोधन किया जाता है.पोस्ट ऑफिस बैंकिंग सेवाएं दे रहा है, जिसमें सही जन-कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें बेटियों के लिए सुकन्या योजना और किसानों के लिए किसान विकास पत्र जैसी योजनाएं जनता को लाभ दे रही हैं. इस तरह पोस्ट ऑफिस कई तरह की सेवाएं जनता को दे रहा है. डिजिटल के युग में पोस्ट ऑफिस भी अपडेट हो गया है. अब ‘पोस्टमैन मोबाइल ऐप’ के माध्यम से ग्राहक सामान वितरण से जुड़ी कोई भी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. दुनिया भर में मोबाइल लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है. वर्तमान स्थिति ये है कि आज युवा अधिकतर समय मोबाइल पर बिताते हैं. आज के इस दौर में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचा होगा, जिसके पास मोबाइल फोन न हो. लेकिन उत्तराखंड के एक या दो नहीं बल्कि गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी मौजूद नहीं है. अब भारत सरकार की 4जी सेचुरेशन स्कीम के तहत आस जागी है कि अगले कुछ सालों में इन गांवों के लोग भी देश दुनिया से जुड़ सकेंगे. साथ ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र से सूचना का आदान-प्रदान आसानी से हो सकेगा. टावर से 15 गांवों के लोग लाभान्वित होने थे, लेकिन दो वर्ष बाद भी टावर को चालू नहीं किया गया है. टावर शुरू नहीं होने से लोगों को संचार सुविधा नहीं मिल पा रही है.डिजिटल क्रांति के दौर में लोग मोबाइल का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. पिछले दो वर्षों में बीएसएनएल के अधिकारियों, प्रशासन और क्षेत्रीय सांसद के सामने कई बार मांग रखी जा चुकी है, लेकिन टावर को चालू करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई. ग्रामीणों ने कहा कि मजबूरन उन्हें अनशन पर बैठने के लिए बाध्य होना पड़ा है. भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा तथा सार्वजनिक व्यवस्था के लिए भी डिजिटल अर्थव्यवस्था ही काम आने वाली है. मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने से भारतीय उद्यमियों को बाजार में नए अवसर मिलेंगे. इससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सफल बनाने की कोशिशें सफल होंगी. सरकार भी इस बात को समझ रही है, इसलिए उसने भारतीय एप्लीकेशन डेवलपर्स और इनोवेटर्स को प्रोत्साहित करने के लिये ‘डिजिटल इंडिया आत्मनिर्भर एप इनोवेशन चैलेंज’ लॉन्च किया था. अब भारत को इस डिजिटल अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सेदार बनने का प्रयास मजबूती से करना चाहिए. इस मिशन में भारतीयों की विशाल संख्या का लाभ मिल सकता है, इसके लिए भी योजना होनी चाहिए. अभी जो शुरुआती मदद मिल रही है, इनका उपयोग संभावनाओं का पता लगाने और आवश्यक अवसर उपलब्ध कराने में किया जाना चाहिए. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*












