आइए हम जानते हैं महासू महाराज प्रवास यात्रा के बारे में। कश्मीर से हनोल की महासू महाराज की प्रवास यात्रा का एक लंबा क्रम है। हनोल में प्रकटीकरण के बाद बोटा महाराज हनोल में ही विराजित रहते हैं, जबकि चालदा महाराज जौनसार बावर, उत्तरकाशी एवं हिमाचल प्रदेश में प्रवास करते हैं।
चालदा महाराज की प्रवास यात्रा का इतिहास लंबा है, परंतु ब्रिटिश सरकार ने चालदा महाराज के प्रवास को दो भागों में विभक्त कर दिया। एक भाग साटी बिल, मतलब जौनसार बावर एवं आंशिक हिमाचल का क्षेत्र, जिसके वजीर दीवान सिंह हैं, जो बावर क्षेत्र के बास्तील गांव के निवासी हैं। दूसरा भाग पासी बिल मतलब उत्तरकाशी जनपद व हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र। जिसके वजीर जयपाल सिंह हैं, जो ठडीयार गांव के निवासी हैं। यहां यह बात ध्यान रखने वाली है कि चालदा महाराज के बजीर महाराज के प्रवास यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं। कहां पर कब प्रवास होना है यह तय करने का अधिकार वजीर को ही है। बजीर को बोलांदा महासू भी कहा जाता है।
इसी अनुसार चालदा महाराज 12 वर्ष तक साटी की तरफ प्रवास करेंगे और ठीक 12 बरस पासी की तरफ प्रवास करेंगे। परंतु यह निश्चित है कि जब साठी की तरफ का प्रवास पूर्ण हो जाएगा, तो एक रात के लिए महाराज हनोल रुकेंगे। इसी प्रकार जब पासी साइट का प्रवास पूर्ण होगा उसके बाद भी एक रात्रि के लिए महाराज हनोल रुकते हैं। फिर नए सिरे से प्रवास का क्रम जारी होता है।
चालदा महाराज की प्रवास यात्रा बावर क्षेत्र के कोटी गांव से प्रारंभ होती है। हर स्थान पर महाराज के रुकने की समय सीमा भी निर्धारित है, परंतु परिस्थितिवश महाराज के निर्धारित स्थानों पर रुकने की सीमाएं आगे पीछे भी हो जाती है। महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम कोटि से प्रारंभ होता है और टोस नदी के पार देवधार खत के मुन्धोल में 1 साल के लिये विराजित होते हैं। इसके पश्चात हिमाचल प्रदेश के थ्रोच में 1 वर्ष, जानोगी चोपाल 1 वर्ष, कोटी कनासर 1 वर्ष, मोहन खत 1 वर्ष, समालटा 1 वर्ष, हाजा दसोऊ पसगांव जेस्ट खत मानी जाती है, 2 वर्ष, मसक खत भरम 1 वर्ष, किस्तुड खत लखोऊ 1 वर्ष और फिर वापस चालदा महाराज पुनः कोटी बावर प्रवास पर आते हैं। जहां 6 माह तक रुकते हैं।
इसके पश्चात पासी तरफ की यात्रा प्रारंभ होती है एक रात हनोल रुकने के पश्चात देवता टडीयार उत्तरकाशी के लिए प्रस्थान करते हैं। फिर यात्रा का क्रम प्रारंभ होता है बुटाणु बंगाण पीगंल पट्टी 1 वर्षए जीवां कोटीगाड 1 वर्षए बामसु मासमोर पट्टी 1 वर्षए वितरी गांव फतेहपुर वक्त 2 वर्षए खसधार हिमाचल प्रदेश 2 वर्षए भरसाठा धार जुब्बल हिमाचल प्रदेश 1 वर्षए सराजी जुब्बल हिमाचल प्रदेश 1 वर्षए बुटाणु उत्तरकाशी 1 वर्षए और फिर एक रात के लिए टडीयार और तत्पश्चात एक रात के लिए चालदा महाराज हनोल मे प्रवास करेंगे। 24 वर्ष में यात्रा का यह क्रम पूरा होता है इसके पश्चात फिर कोटि बावर से चालदा महाराज की यात्रा का दूसरा चक्र प्रारंभ होता है।
वहीं बताया जा रहा है खत मजियारना के समालटा गांव में 67 वर्ष बाद चालदा महाराज पहुंचे। महोना से महाराज के प्रस्थान के दौरान 7 खतों ने नम आंखों से विधाई दी, वहीं दूसरी ओर खत मजियारना, उतपालटा आदि में महाराज को लेकर श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दिखी और महाराज के साथ भारी संख्या में भक्तजनों की अपार भीड़ देखने को मिली।