सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
उत्तराखण्ड में जन्मे छायावाद के महान चितेरे एवं हिमालय की गोद से निकले कवि चन्द्र कुँवर बर्त्वाल का जन्म दिवस 20 अगस्त 1919 से आज तक हम लोग मनाते आ रहे हैं, मगर सच में इस महान हिमवंत कवि चन्द्र कुँवर बर्त्वाल को हम वो सम्मान दे रहे हैं जिनके वे हकदार थे।
हिमवंत कवि स्व चन्द्र कुँवर बर्त्वाल ने छोटी सी उम्र में ही हिंदुस्तान में अपनी लेखनी से हर भारतीय के दिलों में जगह बना दी थी। मगर इस महान छायावादी कवि को क्या पता था कि जो प्यार व लोकप्रियता इनको मिल रही है, उसका जीवन इतनी जल्दी यादों में दफन हो जायेगा।

साथियो हैरानी तब हो जाती है जब अपने ही नीति नियंताओं की बेरुखी व उदासीनता के चलते अपने ही घर में ऐसे महान कवि की यादों को भी भुला दिया जा रहा हो।
हिमवंत कवि चन्द्र कुँवर बर्त्वाल की कर्मस्थली जहाँ पर उन्होंने क्षणिक जीवन में महान कवितायें व लेख लिख कर पूरे हिंदुस्तान में अपनी पहचान बनाई, इस कर्मस्थली पंवालिया भीरी रुद्रप्रयाग को आज भी इंतजार है कि कब यहॉ पर चितेरे कवि की यादों का भव्य संग्राहलय बनेगा।
ऐसा नहीं कि कवि को याद नहीं किया जाता हो, हर साल उनके जन्मदिवस व पुण्यतिथि पर जगह जगह कार्यक्रम होते हैं। उनकी मूर्ति पर फूलमालाएं भी खूब डाली जाती हैं, मगर एक दिन के कार्यक्रम से उनकी जीवनी नहीं समझी जा सकती है।
इस महान हिमवंत कवि को समझने.पढने के लिए जरूरी है इनकी रचनाओं का एक बड़ा म्यूजिम/संग्राहलय बने जहाँ पर 21वी शताब्दी का हर युवा उनके विचारो को पढ़ सके।

पंवालिया को राज्य में प्रमुख स्थान मिले इसपर समय.समय पर हमारे नीति नियन्ता, नेताओ ने बड़ी.बड़ी बाते घोषणाएं तो जरूर की भीड़ के सामने, मगर दुबारा पलट कर कवि की कर्मस्थली को देखा तक नहीं, इससे बड़ा अपमान हिमवंत कवि का क्या हो सकता है?
कल 20 अगस्त को हिमवंत कवि स्वण्चन्द्र कुँवर बर्त्वाल की 102वी जन्मदिन दिवस है, नेता, समाज सेवी, बड़े बड़े साहित्यकार, रंगकर्मी, कवि लोग फिर उनकी जगह.जगह पर प्रतिमाओं पर फूल चढ़ते और फोटो लेते जरूर दिखेगे, मगर आजतक किसी ने भी कवि की कर्मस्थली पंवालिया जो वर्षो से खण्डर पडा है उसे भव्य यादो का संग्राहलय बनाने की पहल नही करी।
कवि की कुछ दिल छूने वाली कविताये, रचनाए आप भी पढ़ लीजिये….
बेशक हर साल कवि के अति चाहने वाले कुछ लोगों द्वारा लोक मंच नाम की संस्था जरूर पंवालिया में जाकर उन्हें याद करती रहती है।
संस्था के सदस्य समाज सेवी नरेंद्र सिह कंडारी कहते हैं कि बड़ा दुख होता है कि आज तक हिमवंत कवि चन्द्र कुँवर बर्त्वाल को वो स्थान नहीं मिल सका जिसके वे सही हकदार थे, ऐसे महान कवि की कर्मस्थली को देखकर अपनो पर भी रोना आता है।
वही मानवेन्द्र सिह बर्त्वाल कहते हैं कि शहरों में एक दिन कवि को याद करने वालों से निवेदन है कि आओ हम सब मिलकर कवि की कर्मस्थली पंवालिया मे राज्य का भव्य संग्राहलय बनाने में योगदान दें, ताकि हमारी अपनी सरकारों की नींदें खुले।
महान छायावाद के हिमवंत कवि चन्द्र कुँवर बर्त्वाल की 102 वें जन्मदिवस पर उन्हें शत.शत नमन करते है🌻🙏🇮🇳












