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पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठा और रूचिकारक फल है चीकू

05/01/20
in उत्तराखंड, हेल्थ
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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
चीकू भारत में एक सामान्य फल है जो कि आपको हर दुकान पर मिल जाएगा। यह स्वाद में मीठा होता है। यह कई देशों में मिलता है। चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है। चीकू भूरे पीले रंग का सुगंधित, रसदार बहुत मीठा फल है, जो थोड़ा दानेदार एवं पौष्टिकता से भरपूर होता है तथा मुख्य रूप से लम्बा गोल, साधारण लम्बा और गोल आकार का फल है। गोल चीकू की अपेक्षा लम्बे चीकू श्रेष्ट माने जाते हैं। गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। चीकू फल शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक है। कच्चे चीकू बिना स्वाद के और पके चीकू बहुत मीठे और स्वादिष्ट होते हैं।
चीकू उष्णकटीबंधीय सदाबहार वक्ष है, जिसमें फल वर्ष में दो बार प्रति पेड़ लगभग 500 से 1000 तक फल लगते हैं। चीकू में एंटी आक्सीडेंट यौगिक पालीफिलोलिक टेनिर होता है जो जीवाणु विराेधी, विषाणु विरोधी और परजीवी विरोधी है। यह रसायन अतिसारीय रक्त स्त्राव रोधक, जो बवासीर के लिए अति उपयोगी औषधि का काम करता है। चीकू गेस्ट्राटीस, आंत्र शोथ और आंत विकारों में बहुत लाभकारी है। पके चीकू में पोटेशियम, तांबा, लोहा, विटामिन ए, बी, सी, फोलेट, नियासिन और पेन्टोथेनिक अम्ल आदि खनिज बहुतायत भरपूर मात्रा में होने से वे शरीर की चयापयच प्रक्रिया क्रियांवित कर स्वास्थ्य लाभ पहुंचाते हैं। चीकू में बीटाक्रप्टोजेनथीन जो कि फेफड़ों के कैंसर होने के खतरे को कम करता है। चीकू एनिमिया होने से रोकता है। चीकू फल शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीूकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।
भारत में सपोटा या चीकू मनीलकारा आचरस एक लोकप्रिय फल है। इसका जन्म स्थान मेक्सिको और मध्य अमेरिका माना जाता है। इसका फल खाने में सुपाच्य, कार्बोहाइड्रेट 14 से 21 प्रतिशत, प्रोटीन, वसा, फाइबर, खनिज लवण, कैल्शियम और आयरन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है और इसका प्रयोग खाने के साथ.साथ जैम व जैली आदि बनाने में किया जाता है। चीकू को मैदानी क्षेत्रों, घाटियों और निचले पवर्तीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। चीकू उष्ण कटिबन्धीय फल है तथा 800 मीटर की ऊंचाई तक इसे व्यापारिक स्तर पर उगाया जा सकता है। गर्म जलवायु और 125 से 250 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र इसके लिए अत्यन्त उपयुक्त हैं, अर्थात फल के बेहतर विकास और चीकू की खेती के लिए 11 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70 प्रतिशत आर एच आर्द्रता वाली जलवायु अच्छी मानी जाती है। इस तरह की जलवायु में इसकी फलत साल में दो बार होती है, जबकि शुष्क जलवायु में यह पूरे साल भर में केवल एक ही फसल देता है। यह पाले के प्रति अधिक संवेदनशील है, इसलिए आरम्भ के वर्षों में सर्दियों में पौधों को ठण्ड और पाले से बचाना जरूरी होता है। देश में चीकू की 41 किस्में हैं, जिसमें काली पट्टी, पीली पट्टी, भूरी पट्टी, झूमकिया, ढोला दीवानी, बारामासी और क्रिकेट वाल आदि किस्में अधिक उगाई जाती है। इसके फल आकार बड़ा, गोल, गूदा मीठा और दानेदार होता है। काली पट्टी भी अधिकतर क्षेत्रों में उगाई जाती है। काली पट्टी लोकप्रिय आहार उद्देश्य किस्म है, पत्ते बड़े तथा फल आयताकार या गोल होते है। इसकी मुख्य फलत सर्दियों के मौसम में आती है, उपज 350 से 400 फल प्रति पेड होती है। बारामासी यह किस्म उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है, इसके फल गोल और मध्यम होते हैं, यह 12 महीने उपज देने वाली किस्म है। ये फल न सिर्फ स्वाद, बल्कि सेहत की दृष्टि से कम अहमियत नहीं रखते। उपेक्षा का दंश झेल रहे है। आम, केला, चीकू, खट्टे नींबू, काली मिर्च, नारियल, हल्दी, अदरक, काजू के उत्पादन में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर हैं।
सिक्किम देश का पहला राज्य था। सिक्किम ने लम्बे समय तक मिट्टी की उर्वरकता बनाये रखने, पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, स्वस्थ जीवन और हृदय सम्बन्धी खतरे को कम करने के मकसद से इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया था उत्तराखंड ने जैविक खेती में मिसाल पेश की है, राज्य ने एक बार फिर से भारत का मान बढ़ाया है।

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