डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
भीमताल के पिनरौ गांव में छोटा कैलाश मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। यहां बड़ी तादाद में भोलेनाथ के भक्त पूजा.अर्चना के लिए पहुंचते हैं। सावन महीने में और महाशिवरात्रि को यहां विशेष पूजा का आयोजन होता है। दूर दराज से लोग पूजा.अर्चना के लिए पहुंचते हैं। मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को तीन किमी चढ़ाई भटेलिया से चढ़नी होती है। वहां पहुंचकर श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे विराजे शिवलिंग की पूजा करते हैं।
मान्यता है कि यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मुरादें पूजी होती हैं। भगवान शिव के धाम छोटा कैलाश में हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर पहुंचने वाले भक्त इस साल छोटा कैलाश में पार्वती कुंड के दर्शन कर सकेंगे। साथ ही भक्त पार्वती कुंड में सूक्ष्म स्नान करने के साथ ही पूजा.अर्चना कर सकेंगे। इसके लिए मनरेगा के तहत 5ण्34 लाख की लागत से बन रहा पार्वती कुंड 90 प्रतिशत बनकर तैयार हो गया है।बता दें कि पूर्व में रहे सीडीओ विनीत कुमार की पहल पर छोटा कैलाश में पार्वती कुंड बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई थी। इसके बाद तत्कालीन सीडीओ ने मनरेगा के माध्यम से पार्वती कुंड का निर्माण कार्य शुरू कराया था। ताकि छोटा कैलाश में आने वाले भक्त कुंड में स्नान के साथ पूजा.अर्चना कर सकें।
बीडीओ दिनेश दिगारी ने बताया कि छोटा कैलाश में पार्वती कुंड का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि कुंड के बनने से छोटा कैलाश को एक अलग पहचान मिल सकेगी। भीमताल स्थित छोटा कैलाश मंदिर की बड़ी मान्यता है। बताया जाता है सतयुग में शिव कैलाश प्रवास में जाते समय एक बार यहां विश्राम के लिए रूके थे। मान्यता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। बताया जाता है कि महादेव शिव और माता पार्वती ने इस स्थान पर प्रवास किया था। प्रवस के दौरान उनको जल की आवश्यकात पड़ती तो यहां पर जल की उपलब्धता न होने से उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों से यहां जलकुंड का निर्माण किया। जिसे भक्तों ने द्वारा पार्वती कुंड ना दिया जाता है।
जिला पंचायत सदस्यों ने अपनी निधि से 14.5 लाख रुपये एकत्र कर लिए हैं। एकत्रित धन से भटेलिया से लेकर आदि कैलाश तक बने दो फिट के मार्ग को चौड़ा कर लगभग चार फिट किया जाएगा। इतना ही नहीं इस मार्ग पर जहां गिरने का खतरा था वहां रेलिंग बनाई जाएगी। साथ ही मार्ग के किनारे श्रद्धालुओं के बैठने के लिए भी व्यवस्था की जाएगी और मंदिर का सौंदर्यीकरण भी इसी धन से किया जाएगा। वर्तमान में मंदिर जाने के लिए भटेलिया से सीधे मंदिर तक तीन किमी तक चढ़ाई है तथा पैदल मार्ग की चौड़ाई काफी कम होने से श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं कई स्थानों में पैदल मार्ग का एलाइमेंट ठीक नहीं होने के कारण भी लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं। ऊंचाई होने के कारण कई स्थानों में गहरी खाई आदि भी हैए लेकिन अब इन सब परेशानियों से श्रद्धालुओं को जल्द ही राहत मिलेगी। सभी औपचारिकता पूरी कर ली गई है। शिवरात्रि के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा। अमृतपुर से जंगलियागाँव भीमताल को जोड़ने वाला यह रास्ता प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। जंगल की नीरवता में पक्षियों का कलरव सुनना बेहद उम्दा अनुभव प्रदान करता हैण् रास्ते में पड़ने वाले गाँव ठेठ पहाड़ के परिवेश को रच देते हैं। पहाड़ी ढलानों पर बहुत मेहनत के साथ तैयार किये गए सीढ़ीदार खेत वातावरण को और दिलकश बना देते हैं। जैसे.जैसे आप पहाड़ी रास्ते के घुमावों पर चलते हुए ऊँचाई की तरफ बढ़ते जाते है वैसे.वैसे आँखों को दिखाई देने वाली पर्वत श्रृंखलाओं का दायरा विस्तृत होता जाता है। छोटा कैलाश मंदिर को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने कराया जाय।