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01- कपाट बन्द किए जाने के बाद मंन्दिर की परिक्रमा करते श्रद्धालु ।
02-फ्यूॅला नारायण धाम का प्रवेश द्वार ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। पूरे विधि-विधान के साथ बन्द हुए हिमालयी धाम फ्यूॅलानारायण के कपाट। श्रद्धालु बडी संख्या में रहे मौजूद।
प्ंांच बदरी एवं पंच केदारों की धरती उर्गम घाटी के शीर्ष पर करीब दस हजार फीट की ऊॅचाई पर स्थित हिमालयी घाम भगवान फ्यॅूलानारायण के कपाट पूरे धािर्मक रीति-रिवाज व मान्य परंपराओं के अनुसार तय मुहुर्त पर बन्द कर दिए गए। भगवान फ्यूॅलानायण के कपाट प्रतिवर्ष श्रावण संक्राति के पर्व पर खोले जाते है, और नन्दाष्टमी पर्व पर बन्द किए जाते है।
भगवान नारायण का मंन्दिर उच्च हिमालयी बुग्याल के बीचों-बीच एक सुरम्य स्थान पर है। यहॉ पूजा पंरपरा भी अनूठी है, यहॉ पुरूष पुजारी के साथ महिला पुजारिन भी होती है,, जो गॉव के द्वारा अपने क्रम के अनुसार नियुक्त होते है। मान्य धार्मिक परंपरानुसार प्रतिदिन भगवान नारायण के स्नान के जल व श्रृगांर के लिए पुष्प महिला पुजारिन द्वारा ही लाऐ जाते है, इसमे भी नियम है कि महिला पुजारिन के रूप मे दस वर्ष से कम आयु की कन्या अथवा 55वर्ष से अधिक की महिला ही पुजारिन हो सकती है। इस वर्ष पुरूष पुजारी के रूप मे हरीश चौहान व महिला पुजारिन के रूप मे गोदाम्बरी देवी नियुक्त हुए थे, जो श्रावण संक्राति से अनवरत धाम मे रहकर पूजा पंरपरा का निर्वहन करते रहे। कपाट बन्द होने के मौके पर उपस्थिति सभी श्रद्धालुओ ने मंन्दिर की परिक्रमा की घंटी व शंख बजाते हुए गॉव की ओर लौटे।












