रुद्रप्रयाग। एक साल पहले अधिकारियों के भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और अनियमितता की शिकायत की गई। रुद्रप्रयाग जिले से की गई शिकायत पर देहरादून जिले के सीडीओ से पूछा गया। देहरादून के सीडीओ द्वारा जिले से संबंधित मामला न होना बताया गया तो शिकायत को ही खारिज कर दी गई। इस पूरे मामले में एक साल से अधिक का समय लग गया, शिकायतकर्ता अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
रुद्रप्राग के नरेंद्र सिंह कंडारी ने 28 फरवरी 2021 को प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास उत्तराखंड को एक शिकायती पत्र भेजा। रुद्रप्रयाग जिले में लोकपाल मनरेगा के चयन प्रक्रिया पर उन्होंने सवाल उठाए। इस पद के लिए शिकायतकर्ता ने आवेदन किया था। लेकिन उन्हें नियुक्ति के लिए बनाए गए तीन लोगों के पैनल में भी जगह नहीं दी गई, जबकि 30 साल के सामाजिक जीवन के दौरान उन्होंने अपने अनुभवों की फेहरिश्त आवेदन के दौरान लगाई थी। नरेंद्र सिंह कंडारी ने दावा किया कि वह 2019 से चमोली जिले में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्टेट के कार्यों का निर्वहन कर रहे हैं। इसके लिए उनका चयन उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित समिति ने द्वारा किया गया था। इसके साथ ही चमोली जिले में किशोर न्याय बोर्ड के कार्यों का भी निर्वहन कर रहे हैं। इसके बावजूद लोकपाल मनरेगा पद पर चयन के लिए उनके अनुभव को दरकिनार कर कम अनुभवी लोगें को तीन लोगों के पैनल में रखा गया और उनका चयन किया गया।
इसकी शिकायत उन्होंने पीएम पोर्टल में भी की। लेकिन पीएम पोर्टल ने रुद्रप्रयाग से संबंधित शिकायत को सीडीओ देहरादून को भेज दिया। इस शिकायत पर कोई कार्यवाही किए बिना सीडीओ देहरादून के इस उत्तर के आधार पर निपटा दिया गया, जिसमें सीडीओ देहरादून का कहना है कि पत्र संख्या 416 दिनांक 23-05-2022 द्वारा प्रेषित आख्या शिकायत के संबंध में अवगत कराना है कि शिकायत रुद्रप्रयाग जनपद से संबंधित है, इस पर देहरादून जिले से कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है।
इसी आधार पर शिकायत का निपटारा कर दिया गया। एक साल से कार्यवाही की आश में भटक रहे शिकायतकर्ता के लिए यह निराशाजनक वाकया है। शिकायतकर्ता ने भी सही जगह पर शिकायत की, निपटारा करने वाली इकाई ने दूसरे जिले को शिकायत भेज कर श्किायत पर ही मिट्टी डाल दी। चुटकी में शिकायतों को निपटाने के बड़े-बडे दावे करने वाली एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर यह सवालिया निशान खड़े करता है।