प्रवासियों के साथ कोरोना के आयात की आशंका पहले ही जताई जा रही थी, वह अब सच साबित हुई है। चार लोग, जो मुंबई तथा देश के दूसरे स्थानों से उत्तराखंड आ रहे थे, उन्हें कोरोना पाजिटिव पाया गया है। देश तथा विदेश से करीब दो लाख लोग उत्तराखंड आ रहे हैं, जिनके आने का क्रम शुरू हो गया है, यदि उनके स्वास्थ्य जांच में थोड़ी सी चूक हुई तो यह उत्तराखंड में कोरोना की आंधी लेकर आ सकता है। उधमसिंह नगर जिले में इस तरह की एक बड़ी लापरवाही हो भी चुकी है। दो कोरोना पाजिटिव को लापरवाही की वजह से घर भेज दिया गया था और जांच रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उन्हें वापस अस्पताल लाया गया। संभव है वे अपने परिवार में किसी को संक्रमित कर चुके हों।
कोरोना के चार पाजिटिव 9 मई को उधमसिंह नगर जिले में चिन्हित हुए हैं। जिस राज्य में कोरोना का संक्रमण बहुत धीमा हो वहां चार पाजिटिव का एक साथ मिलना बड़ी बात है। यह उत्तराखंड के कोरोना आंकड़े को बूस्ट करने वाला है। इन चार कोरोना कोरियर के सामने आने के साथ उधमसिंह नगर जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही भी उजागर हुई है। जिसमें मुंबई से आए दो कोरोना संक्रमितों को आइसोलेशन वार्ड से डिस्चार्ज कर दिया गया था, उनके घर पहुंचने के बाद पता चला कि दोनों की रिपोर्ट पाजिटिव है। उन्हें घर से फिर अस्पताल लाया गया। संभव है इस दौरान कोरोना से उनके घर का कोई और व्यक्ति भी संक्रमित हुआ हो।
उत्तराखंड में अपने घरों को आने के लिए अब तक करीब एक लाख अस्सी हजार लोगों ने पंजीकरण किया है। करीब 23 हजार से अधिक लोग उत्तराखंड लाए जा चुके हैं, उनके आने का क्रम जारी है। घर आने के इच्छुक लोग देश के विभिन्न हिस्सों से आ रहे हैं, कुछ रेड जोन के क्षेत्र भी हैं। जैसे कि पहले भी आशंका जताई जा रही थी कि इन लोगों में संक्रमण की संभावना हो सकती है, वह सच साबित हुई है। अपने घर आने से किसी को नहीं रोका जा सकता है, संकट के समय व्यक्ति अपने घर की शरण में ही तो आता है। लेकिन घर आने वालों की प्रापर जांच बहुत आवश्यक है। यदि जांच में कहीं भी लापरवाही हो गई तो यह पहाड़ के कोरोना मुक्त जिलों में कोरोना के प्रसार का कारण बन सकते हैं।
उधमसिंह नगर में जिस तरह की लापरवाही हुई है, उसे सबक मानकर दूसरे लोग उससे सीख लें। इस तरह की लापरवाही दोहराई न जाए। इसके पुख्ता इंतजाम किए जाएं। तभी उत्तराखंड को इस कोरोना संकट से बचाया जा सकता है।