कोरोना बच्चों के लिए बहुत बड़ा संकट लेकर आया है। बच्चे घर से बाहर नहीं जा सकते, स्कूल नहीं जा सकते, बाजार नहीं जा सकते, रिश्तेदारी में अपनों के घर नहीं जा सकते। करीब डेढ़ साल से बच्चे यह सब झेल रहे हैं। कोरोनाकल में उत्तराखंड बच्चों के लिए सबसे अधिक खराब स्थान बनकर उभरा है। कहा जा रहा है कि तीसरा चरण बच्चों के लिए सबसे अधिक खराब होगा। लेकिन दूसरे चरण में ही उत्तराखंड के हजारों बच्चे संक्रमित हुए हैं। तीसरे चरण में क्या होगा? बच्चों पर इसका क्या असर होगा? कोई नहीं जानता, लेकिन यह डरा जरूर रहा है।
हमारे मास्टर देवाशीष उर्फ डूग्गू भी अन्य बच्चों की तरह इन्हीं हालातों से जूझ रहे हैं। वह तो एक बार परिवार के साथ पाजिटिव भी आ गए थे, लेकिन उन्होंने बड़ी हिम्मत के साथ इन हालातों का सामना किया। पिछली बार जब कोरोना के पहले चरण का प्रभाव कम हो रहा था, स्कूल-कालेज खुलने लगे थे, उन्हें पास होकर दूसरी कक्षा में जाने का मौका मिला, यह क्षण देखने लायक था। उन्होंने स्कूल पहुंचकर अपनी मम्मी के फोन से अपनी नानी को वीडियो काल किया और बहुत अधिक उत्साहित होकर स्कूल में आने के इस मौके को कुछ इस तरह प्रदर्शित किया, जैसे किसी बंदिश से छूटकर स्कूल आए हुए हैं। लेकिन उसके बाद कोरोना के दूसरे दौर ने हालात को और बदतर बना दिया।
अब मास्टर डुग्गू घर में बैठकर कुछ इस तरह समय व्यतीत कर रहे हैं। वह पोछा लगाकर, आटा गूंथकर और योगासन का अभ्यास कर अपना समय बेहतर तरीके से गुजार रहे हैं। कोरोना के शुरूआती दौर से ही वह इसके खिलाफ सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पहले साबुन से हाथ धोकर किस तरह कोरोना से बचा जा सकता है, इसका भी खूब प्रचार किया था। मजबूरी है, इससे अलावा और कोई चारा भी नहीं है। अन्य बहुत सारे बच्चे भी इसी तरह समय का सदुपयोग कर रहे होंगे।