डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
कोरोना की दूसरी लहर अब प्रदेश के नौ पर्वतीय जनपदों में भी आफत बनने लगी है। यहां हर दिन मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यही नहीं, संक्रमण दर भी बढ़ते खतरे का संकेत दे रही है। इस सबके बावजूद सिस्टम की सुस्ती नहीं टूट रही है। चिंता इस बात की है कि पहाड़ में जांच की रफ्तार बेहद कम है। नौ पर्वतीय जनपदों में हर दिन औसतन एक से डेढ़ हजार सैंपल की ही जांच की जा रही है। कहीं तो एक हजार सैंपल की भी जांच नहीं हो रही, जबकि ज्यादातर जिलों में संक्रमण दर 15 फीसद से ऊपर है। ऐसे में अधिकारी या तो इस ओर ध्यान नहीं दे रहे या फिर सब जानकर भी अंजान बने हुए हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में मामले बढ़ने पर खतरा इस बात का भी है कि वहां मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिलेगा, क्योंकि वहां स्वास्थ्य सेवाएं उतनी सुदृढ़ नहीं हैं। जब राजधानी दून में सिस्टम ध्वस्त हो गया है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना पहाड़ पर किस कदर कहर बरपाएगा। राज्य में कोरोना के आंकड़ों का अध्ययन कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष का कहना है कि पहाड़ में जिस तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है, उसे रोकने के लिए जांच में और तेजी लाने की आवश्यकता है। प्रदेश में हालात किस कदर भयावह होते जा रहे हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक संक्रमण दर का पांच प्रतिशत के ऊपर जाना ही काफी चिंताजनक है। राज्य के नौ में से आठ पहाड़ी जिलों में संक्रमण दर पांच फीसद से ऊपर है। शुरुआती चरण में मैदानी जिलों में ही ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे। पहाड़ में सबसे ज्यादा प्रभावित टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा और चंपावत हैं।
स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि पर्वतीय जनपदों में जांच की रफ्तार बेहद सुस्त है और संक्रमण दर बढ़ रही है। आसान भाषा में कहें तो कम जांच के बावजूद काफी ज्यादा लोग संक्रमित मिल रहे हैं। पिछले दिन का आकलन करने पर जो तस्वीर सामने आती है, उसके अनुसार इन चार जनपदों में संक्रमण की दर दस फीसद से ऊपर है। मामले बढ़ने का एक कारण प्रवासियों के लौटने को भी माना जा रहा है। यहां जांच की रफ्तार खासी सुस्त है, पर संक्रमण दर किसी बड़े खतरे का संकेत दे रही है। इनमें आठ जिले ऐसे हैं, जहां शुक्रवार को पॉजिटिविटी दर पांच फीसद से ऊपर रही है। जबकि जांच बहुत सीमित संख्या में किए गए हैं। सात जिले ऐसे हैं जहां पांच सौ से भी कम जांच हुई है।
कोरोना संक्रमण ने राज्य के पर्वतीय जिलों ने संक्रमण का खतरा बढ़ा दिया है। शुक्रवार को 2269 नए कोरोना मरीज नौ पर्वतीय जिलों में आए हैं। उत्तरकाशी में सबसे ज्यादा 531 और अल्मोड़ा, चमोली और टिहरी में तीन सौ से ज्यादा संक्रमित मिले हैं। राज्य में देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर और नैनीताल जिले में बेकाबू कोरोना संक्रमण के बाद अब पर्वतीय जिले में भी रिकार्ड केस सामने आने लगे हैं। सुदूरवर्ती उत्तरकाशी जिले में 24 घंटे में 531 केस चिंता को और बढ़ा रहे हैं। रुद्रप्रयाग में गुरुवार के मुकाबले केस में मामूली कमी जरूर आई है, पर यह राहत देना वाला कतई नहीं है। इन जिलों में संक्रमण के नए मामले उन परिस्थितियों में बढ़ रहे हैंए जब यहां से बढ़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए देहरादून और हल्द्वानी आ रहे हैं।इनमें अधिकांश मरीजों की आरटीपीसीआर जांच भी इन्हीं स्थानों पर होने की वजह से उनकी देहरादून और नैनीताल जिले में हो रही है। यानी पहाड़ में ऑनरिकार्ड जितने केस सामने आ रहे हैं संख्या उससे ज्यादा हो सकती है।
दूसरी चिंता पर्वतीय जिलों में मैदानी जिलों की तुलना में आरटीपीसीआर जांचें कम हो रही हैं। वहां, कोरोना लक्षण वाले मरीज उतनी संख्या में अभी अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में चुनौती बढ़ती है तो उससे निपटना उतना ही मुश्किल होगा। यह स्थिति भविष्य के लिहाज से अच्छी नहीं है। प्रधानमंत्री जहां टेस्ट, ट्रैक व ट्रीट पर जोर दे रहे हैं, सिस्टम इसी से दूर भाग रहा है। जिससे सिस्टम को पार पाना होगा। अन्यथा स्थिति विकट होती जाएगी।












