न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। त्रिवेंद्र कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड के विधायकों की निधि से दो साल के लिए महज एक.एक करोड़ की कटौती का ही फैसला लिया गया। विधायकों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी कटौती की गई है। अलबत्ता दायित्वधारियों के वेतन.भत्तों में कोई कटौती नहीं होगी। त्रिवेंद्र कैबिनेट पूरी तरह से केंद्र की मोदी कैबिनेट की तरह तमाम फैसले नहीं ले सकी।
दो घंटे तक चली कैबिनेट की इस बैठक में लिए गए फैसलों के बारे शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट की तर्ज पर ही त्रिवेंद्र कैबिनेट ने भी विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी कटौती का फैसला किया है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि भत्तों आदि के बारे में भी केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार ही फैसला होगा। उन्होंने साफ कर दिया गया कि सरकारी दायित्ववालें नेताओं के वेतन में कटौती पर कोई फैसला नहीं हुआ।
केंद्र ने जहां सांसदों की निधि दो साल के लिए पूरी तरह से स्थगित की है। वहीं उत्तराखंड में विधायकों की निधि में से केवल एक.एक करोड़ की कटौती दो साल के लिए होगी। यहां बता दें कि एक विधायक को उसकी निधि में सालाना साढ़े तीन करोड़ रुपये मिलते हैं।
शासकीय प्रवक्ता ने बताया कि करोना संकट से निपटने के लिए सरकार ने व्यापक स्तर पर तैयारियां की हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि लाकडाउन अवधि में कमी आदि पर कोई भी फैसला लेने के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ही अधिकृत कर दिया है।
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विधायकों का यह योगदान ऊंट के जीरे की तरह होगा
जब देश संकट में हो तो लोग अपनी क्षमतानुसार योगदान देने के लिए आगे आते हैं। चमोली की देवकी देवी जैसे लोग तो अपने जीवन से सारी पूंजी तक दे डालती हैं। इन हालात में सबसे पहले निगाहें चुने गए माननीयों पर जाती है। जैसे विधायकों तथा सांसदों का क्या योगदान होगा? बात उत्तराखंड विधायकों की करें तो फिलहाल उनका योगदान ऊंट के मुंह में जीरा लगता है।
पिछले महीने गैरसैंण में आयोेजित हुए बजट सत्र में चुपचाप विधायकों का वेतन 120 प्रतिशत बढ़ा दिया गया था। 1 लाख 57 हजार करीब वेतन पा रहे विधायकों को इस बढ़ौतरी के बाद दो लाख 75 हजार का वेतन मिलने लगा। अब यदि इसमें 30 प्रतिशत कटौती इस वेतन में होती है तो यह करीब 85000 की होगी। जो बढ़े हुए वेतन से काफी कम होगी। इस कटौती के बाद भी उत्तराखंड के विधायकों को लाभ ही होगा। यह कटौती सिर्फ एक साल की होगी, एक साल बाद उन्हें वही बढ़ा हुआ वेतन मिलने लगेगा। यही नहीं केंद्र सरकार ने सांसद निधि दो साल तक के लिए स्थगित कर दी है, लेकिन उत्तराखंड के विधायकों की निधि में से एक साल में एक करोड़ ही कटौती होगी। बाकी निधि बनी रहेगी।