नैनीताल । प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश प्रीतू शर्मा की अदालत ने मां की नृशंस हत्या करने वाल पुत्र के कृत्य को दुर्लभतम श्रेणी का अपराध माना, तीन दिन पहले उसे हत्या को दोषी माना गया था, अब हत्यारे पुत्र को फांसी की सजा और दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। साथ ही बीचबचाव करने वालों पर प्राणघातक हमला करने के जुर्म में उसे आजीवन कारावास की सजा दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि माँ को पृथ्वी में ईश्वर से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है, उसी मां की गर्दन पर दराती से उतारने वाले पुत्र के साथ उदारता नहीं दिखाई जा सकती। कोर्ट ने कहा कि इस अपराध ने तो न्यायिक विवेक को झकझोरा है, सामाजिक विवेक को भी चोट पहुंचाई है। कोर्ट ने इस आदेश की प्रति सजा को कन्फर्म करने हेतु हाईकोर्ट भेजने साथ ही आरोपी को उच्च न्यायालय में अपील करने के जिए 30 दिन का समय दिया। कोर्ट ने मृतका के वृद्ध पति के भरण पोषण के लिए सरकार से निर्धारित मानकों के अनुसार सहायता देने की संस्तुति भी की है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा के अनुसार सोबन सिंह पुत्र कुंवर सिंह ग्राम उदयपुर रैकवाल चोरगलिया ने 7 अक्टूबर 2019 को थाने में अपने लड़के डिगर सिंह के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज करायी। उसकी पत्नी जोमती देवी और उसका पुत्र डिगर सिंह भी घर पर थे। इस दौरान अभियुक्त का अपनी माता जोमती देवी से किसी बात को लेकर विवाद होने गया। अभियुक्त डिगर सिंह ने दराती से अपनी माता पर प्रहार किया, उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। जोमती की मौके पर मृत्यु हो गयी। ग्राम प्रधान इन्द्रजीत सिंह ने घटना की सूचना पुलिस को दी। इस दौरान पड़ौसियों ने अभियुक्त डिगर सिंह को पकड़ने का प्रयास किया तो उसने परिवारजनों और पड़ौसी इन्द्रजीत सिंह के उपर भी कुल्हाड़ी से जानलेवा हमला कर उन्हें चोट पहुंचायी। आरोपी को तीन दिन पूर्व हत्या का दोषी ठहराया गया था। जिसे ब मृत्युदंड की सजा दी गई है।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने अभियोजन तथ्यों को साबित करने के लिए कुल 12 गवाह पेश किए, जिनमें अभियुक्त का पिता, बहू एवं पडोसी शामिल हैं।