डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला:
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर में हुआ था। कलाम को ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता था। उन्होंने लोगों को सही मायने में जीना सिखाया, वे कहते थे कि, सफ़ल व्यक्ति वही होता है जो जीवन में चाहें कितनी भी विकट परिस्थिति क्यों न आन पड़े, बावजूद इसके वो अपने सपने के पीछे दौड़ना नहीं छोड़ते। उन्हें पूरा कर लेने का वो पक्का इरादा ही उन्हें जीवन में आने वाली उलट परिस्तिथियों का सामना करने की हिम्मत देता है।
कलाम के प्रोत्साहन से लबरेज़ उनके यही विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। और आगे भी करते रहेंगे।15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम अंसार परिवार में इनका जन्में कलाम के पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, और न ही उनकी आर्थिक स्तिथि ज़्यादा ठीक थी। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। बस इसी से परिवार का गुजर बसर चला करता था।संयुक्त परिवार में रहने पर अब्दुल कलाम के परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि, कलाम खुद पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे।
अब्दुल कलाम के जीवन के प्रथम शिक्षक उनके पिता ही थे, जिनका उनपर बहुत गहरा प्रभाव रहा। कलाम के पिता भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन पैसों की तंगी और इतने बड़े परिवार की जिम्मदारियों का भली भांति निर्वहन करना और उनके दिए संस्कार आगे चलकर अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई थी।1972 के दशक में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था।
इस प्रकार भारत ने भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब सदयस्ता हांसिल की।यूं तो अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपनी विचारधारा का वर्णन किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनते देखना चाहते थे।कलाम कर्नाटक भक्ति संगीत हर दिन सुनते थे और हिंदू संस्कृति में विश्वास करते थे। इन्हें 2003 व 2006 में “एमटीवी यूथ आइकन ऑफ़ द इयर” के लिए नामांकित किया गया था।
साल 2011 में आई हिंदी फिल्म, आई एम कलाम में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलाम के सकारात्मक प्रभाव को परदे पर उतरा गया। इस फ़िल्म की ख़ास बात ये रही कि, उनके सम्मान में वह बच्चा छोटू जो एक राजस्थानी लड़का है खुद का नाम बदल कर कलाम रख लेता है। 1998 में एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। भारत रत्न से सम्मानित होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले कलाम को बधाई दी थी। वाजपेयी और कलाम की मुलाकात कई साल पहले हुई थी।साल 1980 में एसएलवी 3 के सफलतापूर्ण प्रक्षेपण के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें प्रमुख सांसदों से मुलाकात के लिए बुलाया था।
यहां अटल बिहारी वाजपेयी भी पहुंचे थे। ‘बीबीसी’ के मुताबिक, कलाम को जब इसके बारे में बताया गया तो वह थोड़े नर्वस हो गए थे। सतीश धवन से उन्होंने कहा था कि मेरे पास न सूट है और न ही जूते हैं, ले-देकर सिर्फ चप्पल ही है। सतीश धवन ने मुस्कुराते हुए कलाम को जवाब दिया था, ‘कलाम तुमने तो पहले से ही सफलता का सूट पहना हुआ है। इसलिए पहुंच जाना।’ 90 का दशक भारतीय राजनीति के लिहाज से काफी उथल-पुथल का दौर रहा।
राम मंदिर आंदोलन पर सवार होकर बीजेपी सरकार बनाने में तो कामयाब हो गई थी, लेकिन वाजपेयी को कुछ ही दिनों में इस्तीफा देना पड़ गया था। दूसरी बार जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कलाम को मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता भेजा था।एक दिन विचार करने के बाद कलाम अटल बिहारी वाजपेयी से मिले। यहां उन्होंने विनम्रतापूर्वक इस पद को अस्वीकार किया। एपीजे अब्दुल कलाम ने रक्षा शोध और परमाणु परीक्षण कार्यक्रम का हवाला दिया। दो महीने बाद पोखरण में परमाणु विस्फोट के बाद स्पष्ट हो गया कि कलाम ने वो पद क्यों स्वीकार नहीं किया था।
सपने वो नहीं हैं जो आप नींद में देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने देते, इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं, अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा, अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं तो पहले आपको सूरज की तरह तपना होगा. आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है’. जनवादी राष्ट्रपति, जिन्होंने विज्ञान से लेकर राजनीति तक कई क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी’कलाम न सिर्फ एक राजनेता, एयरोस्पेस साइंटिस्ट थे, बल्कि एक शिक्षक भी थे.
वो चाहते थे कि दुनिया उन्हें एक शिक्षक के तौर पर याद करे. देश के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की. डॉ कलाम के विचार हमेशा युवाओं के लिए प्रासंगिक बने रहेंगे. उनके विचारों ने पूरे देश को एक नई ऊर्जा प्रदान की थी. ‘राष्ट्रपति रहते हुए भी उन्होंने अपने जीवन में बदलाव नहीं किया, यही उनको महान बनाता था. डॉ कलाम सभी पार्टियों सब धर्मों में लोकप्रिय रहे’. वह अग्नि और पृथ्वी मिसाइल के विकास और संचालन के प्रमुख थे.
यही वजह है कि उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है. पोखरण परमाणु परिक्षण में डॉ. कलाम ने अहम भूमिका निभाई थी.कलाम को सूट पहनना कतई पसंद नहीं था, इसलिए वो औपचारिक कार्यक्रमों से चिढ़ते थे. उन्हें ऐसे कपड़े नहीं पसंद थे, जिसमें खुद को सहज नहीं पाते थे. उन्हें भारत और विदेश के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त थे.
उन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की नए और मजबूत भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध, कलाम साहब ने अपना पूरा जीवन भारत के भविष्य के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया.आज डॉ कलाम की जयंती पर युवा उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके विचारों को याद कर रहा है. भारत रत्न डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम, एक महान वैज्ञानिक, युवा पीढ़ी के मार्गदर्शक, मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति, की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। परमाणु शक्ति के क्षेत्र में दिए उनके अतुलनीय योगदान को देश हमेशा याद रहेंगे।










