चंद्रशेखर तिवारी
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र देहरादून के तत्वाधान में आज दिनांक 10 अगस्त, 2019 को होटल इन्द्रलोक में पुस्तक चर्चा का एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सुपरिचित अंग्रेजी लेखिका नयनतारा सहगल की दो पुस्तकों व्हैन द मून शाइन्स बाय डे तथा द फेट ऑफ बटरफ्लाइज पर चर्चा की गयी।
उत्तराखण्ड शासन के पूर्व मुख्य सचिव श्री सुरजीत किशोर दास जी ने इन पुस्तकों का परिचयात्मक विवरण दिया और लेखिका नयनतारा सहगल के रचना संसार और उनके व्यक्तित्व पर जानकारी प्रदान की। दून पुस्तकालय एवम् शोध केन्द्र के निदेशक प्रो. बी.के.जोशो ने कार्यक्रम में आये लोगों का स्वागत करते हुए लेखिका नयनतारा सहगल की इन पुस्तकों को साहित्यिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण कृति बताया। पुस्तकों की लेखिका नयनतारा सहगल ने पुस्तक के कथानकों और उनमें शामिल महत्वपूर्ण पात्रों और उनके चारित्रिक विशेषताओं के तमाम प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों ने पुस्तक की लेखिका से पुस्तक के संदर्भ में जबाब सवाल भी किये।
इस कार्यक्रम में देहरादून नगर के स्थापित साहित्यकार एलन सिली, अरविंद्र कृष्ण मेहरोत्रा, मोनिका ताल्लुकेदार, राज कंवर, डॉ.इंदु सिंह, सहित साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र से जुडे लोग, समाजसेवी व पुस्तकालय के सदस्य तथा दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के चंद्रशेखर तिवारी, डाॅ, मनोज पंजानी, सुन्दर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर व मधन सिंह समेत शहर के कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
नयनतारा सहगल सहगल अंग्रेजी की लेखिका हैं और वे नेहरू परिवार की सदस्य हैं। उनके अंग्रेजी उपन्यास रिच लाइक अस 1985 के लिए उन्हें 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है ।
व्हैन द मून शाइन्स बाय डे नयनतारा सहगल का स्पीकिंग टाइगर द्वारा प्रकाशित एक डायस्टोपियन व्यंग्य कथा है। इसकी कहानी हमें एक अलग भारत में ले जाती है। एक ऐसा देश जिसने अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को खो दिया है और धर्म अलगाव और भेदभाव के नाम पर राजनीति होती है। कहानी का नायक रेहाना पुस्तक क्लब से जुड़ा है, उसके 3 अन्य दोस्त हैं। वे पुस्तक क्लब विभिन्न प्रकार की किताबें पढ़ते हैं। दोस्तों के युद्ध.विरोधी विचार उन्हें मुश्किल में डालते हैं। इस तरह कई रोमांचक कथानकों के साथ कहानी आगे बढ़ती जाती है।
द फेट ऑफ बटरफ्लाइज नयनतारा सहगल का सामयिक उपन्यास है। उनका यह उपन्यास भारत की शासन व्यवस्था पर केन्द्रित है। उपन्यास में एक नीति.निर्माण प्रकोष्ठ की भूमिका महत्वपूर्ण तरह से दिखायी देती है। मिराजकर नाम का पात्र इस प्रकोष्ठ का नेतृत्व करता है। उपन्यास में सहगल के राजनीतिक विचार स्पष्ट रुप से मुखरित हुए हैं। नयनतारा सहगल ने अपराधियों और पीड़ितों के चरित्रों को बेहद गहराई के साथ उकेरने की कोशिस की है। उपन्यास का शीर्षक तितलियों को पकड़ने करने की एक पद्धति पर आधारित है। यह उपन्यास वर्तमान और निकट आने वाले समय की स्थितियो व घटनाक्रमों के सन्दर्भ में सजग करने का प्रयास करता है।