फोटो– देवभूमि उत्तराखंण्ड के चारों धामों मे पसरा है सन्नाटा।
——————— प्रकाश कपरूवाण ————–
जोशीमठ।
उत्तराखण्ंड मे एक बार फिर कोविड कफ्र्यू एक सप्ताह के लिए बढा दिया गया है, इस बार भी चारधाम को लेकर पाबंन्दी जारी रहेगी, नए आदेश मे स्पष्ट किया गया है कि पर्यटक स्थलों मे भीड को नियत्रित करने का अधिकार डीएम को लेकिन चारधाम यात्रा पर पाबंन्दी जारी रहेगी। हाॅलाकि उच्चन्यायालय ने चारधाम यात्रा को लेकर अगली सुनवाई की तिथि 28जुलाई मुकर्रर की है।
,करोडो हिन्दुओं के आस्था के केन्द्र देवभूमि उत्तराखंण्ड के चारों धामों मे पंहुचने वाले सनातन धर्मावलंबी श्रद्धालुओं को कोरोना संक्रमण के कारण दर्शनों से बाधित किए रखा है, जबकि राज्य के पर्यटक स्थलों मे देशभर के विभिन्न राज्यों के पर्यटक पंहुचकर पहाडो की हसीन वादियों का लुफ्त उठा रहे है, तो कई पर्यटक देवभूमि के बुग्यालांे मे हुक्का व शराब पीकर हुडदंग भी कर रहे है।
उत्तराखण्ड राज्य की आर्थिकी का स्रोत ही पर्यटन व तीर्थाटन है, लेकिन यह समझ से परे है कि चारों धामों के साथ हेमकुंड साहिब-लोकपाल की यात्रा पर रोक और फूलों की घाटी,औली-गौरसों बुग्याल सहित अन्य ट्रैकिंग व पर्यटन स्थलों पर आवागमन जारी। हाॅलाकि चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार किया हुआ है, हाईकोर्ट चाहता है कि चारधाम यात्रा शुरू करने से पूर्व चारों धामों की ब्यवस्था कोविड संक्रमण के साथ ही संभावित तीसरी लहर को देखते हुए चाकचैबन्द की जाय,लेकिन सरकार राज्य की आर्थिकी की मजबूत रीढ समझे जाने वाले चारो धामों की ब्यवस्थाएं हाईकोर्ट की मंशा के अनुसार आखिर क्यों नही कर पा रही है!
इस वर्ष 18मई तक सभी चारों धामों के कपाट खुल चके थे, तब से करीब दो महीने का समय बीतने को है, लेकिन सरकार इन धामों मे कोविड संक्रमण को देखते हुए ब्यवस्थाएं जुटाने मे आखिर कहाॅ चूक कर रही है, जबकि चारों धामों सहित चारधाम यात्रा मागों पर लाखों परिवारों की आजिविका चारधाम यात्रा पर ही निर्भर है।
अकले चमोली जनपद की बात करे तो यहाॅ विश्व के सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बदरीनाथ से मात्र 22किमी0पहले गोविन्दघाट तक पंहुचकर पर्यटक विश्वधरोहर फूलों की घाटी तो पंहुच सकते हैं,लेकिन 22किमी0 की दूरी पर भगवान के द्वार के समीप पंहुचकर भी भगवान के दर्शन नही कर सकते, और तो और सिखों के पवित्रधाम हेमकुण्ड साहिब व हिन्दुओ का पवित्र तीर्थ लक्ष्मण मंन्दिर लोकपाल तथा फूलों की घाटी का मुख्य पडाव घाॅधरिया है,यहाॅ से फूलों की घाटी तो जा सकते है, लेकिन पाॅच किमी की दूरी पर हेमकुण्ड साहिब-लोकपाल नही जा सकते।
कमोवेश यही स्थिति आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की तपस्थली ज्योर्तिमठ-जोशीमठ की भी है, पर्यटक जोशीमठ से 12किमी की दूरी पर औली व गौरसों बुग्याल तो पंहुच सकता है,लेकिन जोशीमठ के एतिहासिक एंव पौराणिक धार्मिक स्थानों पर प्रवेश नही कर सकता, क्योकि राज्य सरकार द्वारा जारी कोविड गाइड लाइन का पालन किया जाना है।
अब जबकि जनपद चमोली मे कोरोना संक्रमण के मामले नगण्य है। ऐसे मे कम से कम जनपद वासियों से ही धामों की यात्रा शुरू कराने की पहल किया जाना बेहद जरूरी हो गया है। हाॅलाकि राज्य सरकार ने पूर्व मे ही जनपद वासियों के लिए यात्रा की शुरूवात करने के लिए एसओपी भी जारी कर दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद वह भी स्थगित हुई। पर सवाल यह है कि जब उच्च न्यायालय बार-बार चारो धामों मे कोविड संक्रमण को देखते हुए ब्यवस्था दुरस्त करने के निर्देश दे रहा है तो सरकार आखिर इस दिशा मे ठोस कार्यवाही कर न्यायालय को भरोसे मे क्यो नही ले पा रही है!
कुल मिलाकर सरकार व न्यायालय के फेर से अंजान चारो धामों व यात्रा मार्गों के लोग यह नही समझ पा रहे हैं कि कोरोना संक्रमण से चार धाम असुरक्षित व पर्यटक स्थल सुरक्षित कैसे हैं!
बहरहाल न्यायालय की चिन्ता अपनी जगह जायज हो सकती है, लेकिन सरकार को चारो धामों के कपाट खुलने के बाद से ही संभावित दूसरी व तीसरी लहर के अनुरूप धामों की ब्यवस्थाएं समय रहते करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा न किए जाने का खामियाजा पर्यटक स्थलों के नजदीक के धामों मे आजीविका की आस लगाए हजारों लोगो को भुगतना पड रहा है।












