लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट
जोशीमठ (उरगम घाटी): हिमालय में स्थित लोकपाल हेमकुंड 15500 फीट ऊंचाई पर सप्तश्रृंग पर्वत पर स्थित है गुरुवाणी में लिखा गया है कि जहां 7 चोटिया हो और पांडू राजा ने तप कमाया था वही स्थान लोकपाल हेमकुंड है एक मान्यता के अनुसार यहां पर भगवान शेषनाग स्वयं विराजमान होते हैं त्रेता युग में लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी आज भी यहां पर श्री लक्ष्मण जति जी का मंदिर विद्यमान है इसी स्थान पर मान्यता है कि गुरु गोविंद सिंह ने यहां आकर तपस्या की थी उन्हें हिमालय की दिव्य शक्ति प्राप्त हुई थी।
लोकपाल के बारे में भ्यूँडार के नंदा सिंह बताते थे कि यहां भगवान शेषनाग का परम स्थान रहा है इसे स्थान पर सिखों के दसों गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने तपस्या की थी। वे यह भी बताते थे जब तक लक्ष्मण मंदिर में कोई भी श्रद्धालु दर्शन करने नहीं जाएंगे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो सकती है। लोकपाल मंदिर का जीर्णोद्धार माननीय सतपाल जी महाराज पर्यटन मंत्री के द्वारा किया गया था लोकपाल हेमकुंड के लिए प्रथम जत्था 19 मई को गोविंदघाट गुरुद्वारा से हेमकुंड के लिए रवाना होगा। 22 मई को हेमकुंड गुरुद्वारा की कपाट खोल दिए जाएंगे। इसी दिन हिंदुओं के पवित्र स्थान लोकपाल के भी कपाट आगामी अक्टूबर माह तक खोल दिए जाएंगे।
यह दो संस्कृति का को जोड़ने वाला पवित्र स्थान लोकपाल और हेमकुंड अपने में महत्व रखता है और पांडु पर्व मैं लिखा गया है कि एक बार जब पांडव अज्ञातवास के समय हिमालय में निवास कर रहे थे उन दिनों गोविंद घाट के पास पांडव एवं द्रोपति निवास करती थी 1 दिन पुष्पावती नदी से एक ब्रह्म कमल वह कर आ रहा था तो द्रोपती ने भीम से कहा कि मुझे इस पुष्प वाटिका में जाना है और वहां से फूल चुन के लाना है ऐसी लोक मान्यता है कि स्वयं द्रोपति फूलों की घाटी मैं जाकर के ब्रह्म कमल को लेकर आई थी और उन्होंने लोकपाल के दर्शन किए थे फूलों की घाटी एवं लोकपाल हेमकुंड कई युगों से विद्यमान है। विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी इसी क्षेत्र में विद्यमान है। यहां यात्रा के लिए जहां हिंदू सिख दोनों संप्रदाय के लोग यात्रा करते हैं अन्य समुदाय के लोग भी फूलों की घाटी देखने के लिए हर वर्ष यहां पहुंचते हैं।