• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

शिक्षक से शिकारी लखपत सिंह रावत पर बन रही फिल्म

29/04/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
44
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
पलायन उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या है. पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं की कमी और वन्यजीव और इंसानों के बीच संघर्ष के चलते भी पलायन होता है. पर्वतीय जिलों में हर साल बाघ और गुलदार दर्जनों लोगों की जान ले लेते हैं. इनसे लड़कर साहस की मिसाल पेश की थी उत्तराखंड फिल्म विकास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और जाने-माने फिल्म एवं टीवी कलाकार हेमंत पांडे एक नई फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं। इस फिल्म का नाम है ‘ए बोई बाघ’, जो उत्तराखंड के शिक्षक से शिकारी बने लखपत सिंह रावत के जीवन पर आधारित होगी। लखपत सिंह रावत ने, जिनपर अब फिल्म बनने जा रही है. इस फिल्म में बॉलीवुड एक्टर हेमंत पांडे नजर आएंगे. फिल्म का नाम ‘ए बोई बाघ’ है. यह फिल्म गढ़वाली, कुमाऊंनी और हिंदी में रिलीज होगी.लखपत सिंह रावत मूल रूप से गैरसैंण के रहने वाले हैं और सेवानिवृत्त शिक्षक हैं. उनके स्कूल के 12 बच्चों को बाघ ने मार दिया था. इसके बाद साल 2001 में वह कलम-किताबें छोड़कर शिकारी बन गए और उन्होंने 53 बाघ-तेंदुओं को मार गिराया. फिल्म के लीड एक्टर हेमंत पांडे ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि जिस तरह कश्मीर में आतंकियों ने हमला किया है, उसी तरह का आतंक पहाड़ में आदमखोर बाघ-तेंदुओं का होता है. वे कितने ही लोगों को अपना निवाला बना लेते हैं. यही वजह है कि उनके खौफ से लोग पलायन कर जाते हैं.उन्होंने कहा कि आदमखोर जानवर अब आबादी की ओर भी आने लगे हैं. पहाड़ों में देखा जाता है कि एक मां अपने बच्चों को पीठ पर बांधकर बर्तन धो रही होती है और बाघ उसके बच्चे को ले जाता है. हम मुंबई में फिल्मों में अभिनय निभाते हैं लेकिन हमारे पहाड़ के गांवों में असली हीरो रहते हैं, जिनके योगदान का उल्लेख सभी के सामने होना जरूरी है. अभिनेता ने कहा कि आज जिम कॉर्बेट को मशहूर शिकारी के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने 31 साल में 33 बाघ मारे थे लेकिन पहाड़ के शिकारी लखपत सिंह रावत, जो शिक्षक थे, उन्होंने 53 आदमखोरों का शिकार किया 2 छात्रों पर बाघ के हमले के बाद वह कैसे शिकारी बने, इसपर फिल्म बन रही है. राजधानी देहरादून से करीब 350 किलोमीटर दूर गैंरसैंण के ग्वाड़ मल्ला के रहने वाले लखपत सिंह रावत शिक्षक से शिकारी बने थे. उनके 12 स्टूडेंट्स को बाघ ने अपना निवाला बनाया था. लखपत सिंह के दादा लक्षम सिंह ब्रिटिशकाल में शिकारी थे. सेना से रिटायर होने के बाद भी अंग्रेज उन्हें शिकार के लिए बुलाया करते थे. उनके तीन चाचा फौज में थे. 12 बच्चों पर बाघ के हमले से उनका मन विचलित हुआ और उन्होंने शिकारी बनने का फैसला किया. अब जब भी कभी आदमखोरों के आतंक से लोग परेशान होते हैं, तो उन्हें ही बुलाया जाता है. उत्तराखंड का नाम बॉलीवुड में चमका रहे हेमंत पांडेय अब गढ़वाली भाषा में फिल्म बनाने जा रहे हैं। पांडेय जी के नाम से मशहूर हेमंत की आने वाली फिल्म का नाम ‘ओ ईजा बाघ’ है, जो एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस फिल्म के प्रमोशन के लिए हेमंत पांडेय पहुंचे थे। यह फिल्म लखपत सिंह रावत नामक शिकारी के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने बच्चों की सुरक्षा के लिए टीचर की नौकरी के अलावा शिकारी का काम भी किया। लखपत सिंह रावत जिम कॉर्बेट से भी बड़े शिकारियों में शुमार हुए हैं।रावत वह व्यक्ति हैं, जिनकी ओर पहाड़ी राज्य तब मुड़ता है, जब किसी नरभक्षी तेंदुए को मारना होता है। यह एक ऐसी समस्या है, जो बढ़ती आबादी और चित्तीदार बिल्ली के प्राकृतिक शिकार के विनाश के दबाव के कारण पैदा हुई है। जब कोई तेंदुआ इंसानों – आम तौर पर बच्चों – को उठा ले जाता है, तो राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा आधिकारिक परमिट जारी किया जाता है, जिससे रावत को जानवर को मारने की अनुमति मिलती है। रावत, जिन्हें मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया है, इन हत्यारों को खत्म करने की अपनी कुशलता के लिए पूरे राज्य में हीरो हैं।रावत बेशक लोगों की जान बचाते हैं, लेकिन उनका पेशा दिल दहला देने वाला है। वे तेंदुए के बारे में कहते हैं, “यह एक शानदार जानवर है।” “लेकिन एक बार जब यह लोगों को मारना और खाना शुरू कर देता है, तो हमारे पास कोई विकल्प नहीं रह जाता।” रावत एक कुशल निशानेबाज हैं और जंगल के तौर-तरीकों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। 2002 में जब एक दुष्ट तेंदुए ने कुछ महीनों में एक दर्जन बच्चों को मार डाला और खा गया, तो उन्हें यह काम करने का मौका मिला। तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।रावत यह स्पष्ट करने में कठिनाई महसूस करते हैं कि उन्हें हत्या करना पसंद नहीं है: “यह तो करना ही होगा। उन लोगों के बारे में सोचें जिन्होंने अपने बच्चों को नरभक्षियों के कारण खो दिया है।” उनका मानना ​​है कि तेंदुओं को रेडियो कॉलर लगाने से यह सुनिश्चित करने में बहुत मदद मिलेगी कि यदि किसी विशेष क्षेत्र में कोई नरभक्षी दिखाई देता है तो गलत जानवर को न मारा जाए, ऐसा उनके अनुसार पूरी सावधानी के बावजूद भी हो सकता है।रावत सबसे पहले तेंदुए का पता लगाता है, हाल ही में देखे गए तेंदुए और शिकार को अपने दिमाग में रखता है। वह आम तौर पर कुछ दिनों के भीतर जानवर के स्थान पर पहुँच जाता है। फिर झाड़ियों में बैठना, कभी-कभी गाय या बकरी के शिकार के ऊपर बैठना, जिसके बारे में संदेह से परे यह दुष्ट जानवर है, या किसी ऐसी जगह पर जहाँ यह अक्सर आता-जाता रहता है।तेंदुए आमतौर पर दिनभर अपनी मांद में छिपे रहते हैं और शाम ढलते ही रात भर घूमना शुरू कर देते हैं।इसलिए, यह खराब रोशनी में, पल-पल रात में ढलती जा रही रोशनी में है, रावत को चुपचाप एक नरभक्षी का इंतजार करना है, उसे देखना है, एक लक्ष्य बनाना है, और जानवर को वहीं गोली मार देनी है, जहां वह खड़ा है। उसके पास एक ही गोली है, पहली, और उसे मार देना चाहिए, क्योंकि तेंदुए की प्रतिक्रिया और गति बिजली की तरह होती है। लेकिन रावत के पास शिकारियों द्वारा गढ़ी जाने वाली कोई भी लंबी-चौड़ी कहानी नहीं है: हां, असफलताएं भी थीं, लगभग उतनी ही जितनी सफलताएं, लेकिन हार मानना ​​कोई विकल्प नहीं था।न ही वह शिकार को खेल की तरह ले सकता है, क्योंकि यह आनंद के लिए हत्या नहीं है, राज-युग का शौक जिसने देश की बाघ आबादी को लगभग खत्म कर दिया था, इससे पहले कि अवैध शिकार और लगातार बढ़ती मानव संख्या ने काम पूरा करने की कोशिश की। बचने की अपनी संभावनाओं को बराबर करने और अपने मिशन को पूरा करने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए, रावत जब भी संभव हो एक शक्तिशाली सर्चलाइट का उपयोग करता है। एक तेंदुए की सामान्य प्रतिक्रिया प्रकाश का सामना करना और गुर्राना है, जिससे रावत को 2,000 फीट प्रति सेकंड की गति से उस पर गोली चलाने का मौका मिल जाता है।यह कोई आधुनिक, उच्च क्षमता वाली राइफल नहीं है जिसका वह इस्तेमाल करता है। न ही यह कोई पुरानी हस्तनिर्मित यूरोपीय क्लासिक है जो उसे अपने शिकारी पिता से विरासत में मिली है। रावत अपनी भारतीय आयुध फैक्ट्री की .315 बोल्ट एक्शन राइफल की कसम खाता है। यह एक पुरानी कैलिबर है, और उसे भारत में निर्मित गोला-बारूद पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसकी गुणवत्ता कई लोगों को संदिग्ध लगती है। रेंज में मिसफायर कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन जब आपकी निगाहें एक आदमखोर पर होती हैं जो आपके गले से एक छलांग दूर है, तो इसके अप्रिय परिणाम हो सकते हैं। और यह लखपत की अच्छी किस्मत का एक पैमाना है: शिकार के इतने सालों में उसे एक भी मिसफायर नहीं हुआ है।2016 में रामनगर में आदमखोर बाघिन को तलाशने में विभाग के पसीने छूट गए थे। देश में पहली बार हेलीकॉप्टर तक से तलाश की गई थी। हवन-यज्ञ के अलावा भंडारा तक करवाया गया। इस ऑपरेशन में करीब 70 लाख खर्च हुए थे। जिसके बाद लखपत ने इसके आतंक से निजात दिलाई थी। अब हल्द्वानी के रानीबाग व काठगोदाम में आदमखोर की दहशत को लेकर वन विभाग ने लखपत से संपर्क साधा था *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

ShareSendTweet
Previous Post

चार धाम यात्रा को ध्यान में रखते हुए मोबाइलाइजेशन अभ्यास किया

Next Post

अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज कण्वघाटी में कैच द रैन कार्यक्रम हुआ उत्साहपूर्वक संपन्न

Related Posts

उत्तराखंड

बादल फटने से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए थराली के उपजिलाधिकारी पंकज भट्ट राजस्व विभाग की टीम भौरियाबगड़ पहुंचे

June 26, 2025
7
उत्तराखंड

खेता मानमती गांव में बादल फटने से एक सीमेंट स्टोर नष्ट, खेतों एवं खड़ी फसलों को भारी नुकसान

June 26, 2025
3
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में हुआ प्रेम साहिल के गज़ल संग्रह लहू में जल तरंग का लोकार्पण

June 26, 2025
5
उत्तराखंड

अलविदा आंदोलनों के पुरोधा

June 26, 2025
7
उत्तराखंड

उत्‍तराखंड में ग्लेशियर झीलें बजा रही खतरे की घंटी गहन आत्मचिंतन की आवश्यकता

June 26, 2025
4
उत्तराखंड

उत्‍तराखंड में ग्लेशियर झीलें बजा रही खतरे की घंटी गहन आत्मचिंतन की आवश्यकता

June 26, 2025
5

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

बादल फटने से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए थराली के उपजिलाधिकारी पंकज भट्ट राजस्व विभाग की टीम भौरियाबगड़ पहुंचे

June 26, 2025

खेता मानमती गांव में बादल फटने से एक सीमेंट स्टोर नष्ट, खेतों एवं खड़ी फसलों को भारी नुकसान

June 26, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.