डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
सरोवर नगरी नैनीताल में आगजनी की घटनाओं से निपटने की तैयारियों पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. हाल ही में शहर की ऐतिहासिक इमारत ओल्ड लंदन हाउस में दो बार लगी आग ने फायर सेफ्टी सिस्टम की हकीकत उजागर कर दी है. राहत और बचाव कार्य के दौरान सामने आया कि कई फायर हाइड्रेंट या तो बंद पड़े हैं या उन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. ऐसे में अगर भविष्य में कोई बड़ी आग लगती है, तो राहत कार्य करना बेहद मुश्किल हो सकता है.अग्निशमन विभाग की हालिया जांच में सामने आया कि शहर के कुल 83 फायर हाइड्रेंटों में से 17 अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं, जबकि 10 हाइड्रेंट पिछले एक दशक से खराब पड़े हैं. यानी इस वक्त नैनीताल में सिर्फ 56 हाइड्रेंट ही सक्रिय हैं. यह स्थिति उस शहर के लिए बेहद चिंताजनक है, जहां पुराने भवन, तंग गलियां और लकड़ी के निर्माण आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं.सरोवर नगरी नैनीताल में आगजनी की घटनाओं से निपटने की तैयारियों पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. हाल ही में शहर की ऐतिहासिक इमारत ओल्ड लंदन हाउस में दो बार लगी आग ने फायर सेफ्टी सिस्टम की हकीकत उजागर कर दी है. राहत और बचाव कार्य के दौरान सामने आया कि कई फायर हाइड्रेंट या तो बंद पड़े हैं या उन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. ऐसे में अगर भविष्य में कोई बड़ी आग लगती है, तो राहत कार्य करना बेहद मुश्किल हो सकता है.अग्निशमन विभाग की हालिया जांच में सामने आया कि शहर के कुल 83 फायर हाइड्रेंटों में से 17 अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं, जबकि 10 हाइड्रेंट पिछले एक दशक से खराब पड़े हैं. यानी इस वक्त नैनीताल में सिर्फ 56 हाइड्रेंट ही सक्रिय हैं. यह स्थिति उस शहर के लिए बेहद चिंताजनक है, जहां पुराने भवन, तंग गलियां और लकड़ी के निर्माण आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं.सरोवर नगरी नैनीताल में आगजनी की घटनाओं से निपटने की तैयारियों पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. हाल ही में शहर की ऐतिहासिक इमारत ओल्ड लंदन हाउस में दो बार लगी आग ने फायर सेफ्टी सिस्टम की हकीकत उजागर कर दी है. राहत और बचाव कार्य के दौरान सामने आया कि कई फायर हाइड्रेंट या तो बंद पड़े हैं या उन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. ऐसे में अगर भविष्य में कोई बड़ी आग लगती है, तो राहत कार्य करना बेहद मुश्किल हो सकता है.अग्निशमन विभाग की हालिया जांच में सामने आया कि शहर के कुल 83 फायर हाइड्रेंटों में से 17 अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं, जबकि 10 हाइड्रेंट पिछले एक दशक से खराब पड़े हैं. यानी इस वक्त नैनीताल में सिर्फ 56 हाइड्रेंट ही सक्रिय हैं. यह स्थिति उस शहर के लिए बेहद चिंताजनक है, जहां पुराने भवन, तंग गलियां और लकड़ी के निर्माण आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. अग्निशमन अधिकारी के निर्देशन में फायर सर्विस और जल संस्थान की संयुक्त टीम ने को नगर के कई इलाकों का निरीक्षण किया. जांच के दौरान टीम को कई स्थानों पर हाइड्रेंट के ऊपर दुकानों, ठेलों और निर्माण कार्यों का अतिक्रमण मिला. अधिकारियों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में आगजनी की घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है, ऐसे में सभी हाइड्रेंटों का चालू रहना अत्यंत आवश्यक है. खराब हाइड्रेंटों की मरम्मत और अतिक्रमण हटाने के लिए नगर पालिका और जल संस्थान को पत्र भेजा गया है. उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की है कि फायर हाइड्रेंट के ऊपर कोई सामान न रखें और न ही निर्माण करें, क्योंकि किसी भी अग्निकांड की स्थिति में यही हाइड्रेंट राहत और बचाव कार्य की पहली कड़ी साबित होते हैं. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. यदि समय रहते हाइड्रेंटों को दुरुस्त नहीं किया गया, तो किसी बड़ी दुर्घटना के समय नैनीताल की सुरक्षा भगवान भरोसे रह जाएगी. यह मामला न सिर्फ लापरवाही दिखाता है, बल्कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है.। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*












