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01-रैणी में सेना ने तैयार किया नया पैदल ब्रिज।
02-ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील से पानी का रिसाव करते हुए राहत एजेंसियों के जाॅबाज।
03- तपोवन वैराज साइट पर ब्लास्ट कर धौली गंगा के प्रवाह को सही दिशा में ले जाने का प्रयास।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। तपोवन टनल में शवों को तलाशने का काम जारी। लेकिन 180मीटर टी प्वांइट तक 17वें दिन भी नही पंहुचा जा सका। इधर रैणी मे सेना ने एक और ब्रिज तैयार कर लिया है। जिसमे आम आवागमन के साथ पशुओ का भी आवागमन हो सकेगां। ऋषिं गंगा के मुहाने पर बनी झील से पानी का रिसाव शुरू हुआ।
एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520मेगावाट की विद्युत परियोजना की टनल के टी-प्वाइंट पर 17वें दिन भी नही पंहुचा जा सका। बताया जा रहा है कि 17वें दिन दोपहर से पहले दो से तीन डंपर मलबा निकालने के बाद पानी भर जाने से कार्य नही हो सके। राहत व बचाव कर्मी भी पानी कम होने का इंतजार करते रहे। देर सांय तक भी पानी की मात्रा कम नही हो सकी थी। इस तरह 17दिन बीतने के बाद भी उन 35लोगो तक नही पंहुचाा जा सका जो घटना के दिन टनल के अंन्दर 180मीटर टी-प्वाइंट पर कार्य कर रहे थे।
इधर सेना की बंगाल इंजीनियर यूनिट ने रैणी मे एक और ब्रिज तैयार कर लिया है। जिसे एनिमल ट्राॅसपोर्ट ब्रिज कहा जाता है। इस ब्रिज के बन जाने के बाद अब आवागमन विना जोखिम के किया जा सकेगा। इसके अलावा अब इस ब्रिज से बार्डर पर जाने वाले घोडे-खच्चरों व अन्य पशुओ का आवागमन भी सुगमता से हो सकेगा। पूर्व मे सेना द्वारा जिस ब्रिज का निर्माण किया गया था,उससे रस्सियों के सहारे आर-पार होना पडता था। अब नया ब्रिज लाॅच किए जाने के बाद मोटर पुल तैयार होने तक आवागमन इस पुल से किया जा सकेगा।
दूसरी ओर आईटीबीपी,एनडीआरएफ व अन्य राहत एजेंिसयंो ने पूरे परीक्षण के बाद ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झाील से पानी का रिसाव शुरू कर दिया है। यहाॅ से बडे-बडे पेड जो अवरोधक बने हुए थे, सुरक्षा बलो ने उन्है हटाकर पानी का रिसाव शुरू कराया। इस बीच तपोवन मे वैराज साइट पर बह कर आए बडे बोल्डर को ब्लास्ट से तोडा गया ताकि पानी का बहाव पूर्ववत बना रहे।