• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

घटते जंगल बढ़ती भीड़ में कई गुना बढ़ा खतरा

14/08/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
3
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में इस साल मानसूनी बरसात ने अपना कहर बरपाया है. जिसके कारण आज उत्तरकाशी का एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत कस्बा पूरी तरह मलबे के भीतर समा गया. ऐसे में पर्यावरण से जुड़े लोग इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं. जिसमें वे पेड़ों के कटान से लेकर पर्यटन के नाम पर पहाड़ों में बढ़ रही भीड़ को भी एक बड़ा कारक मान रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी नेटिजन्स भी आपदा के पीछे पर्यावरण को नजरअंदाज़ करना एक वजह मान रहे हैं.पर्यावरणविद् इसको लेकर क्या कहते हैं..जब-जब पहाड़ों में दैवीय आपदा की घटनाएं होती है तो अक्सर लोग समाधान से ज्यादा सवालों पर चर्चाएं करते हैं. ऐसा क्यों हो रहा है? कब तक ऐसा ही होता रहेगा? विकास के नाम पर अंधाधुध पेड़ों के कटान इसके पीछे के कारण हैं? ये कई प्रश्न हैं जो लोगों को जहन में घूम रहे हैं. उत्तराखंड में बीते 20 वर्षों में तकरीबन 1.8 लाख हेक्टेयर जंगलों को काटा गया है, जिसका असर बायोडायर्सिटी, स्थानीय मिट्टी की पकड़ से लेकर जल संरक्षण तक पर पड़ा है. इसके साथ ही, हिमालयी बर्फ का तेज़ी से पिघलना और ईको सिस्टम पर भी असर पड़ा है. गौरतलब है कि वनों के कटान से पहाड़ों से निकलने वाली जलधाराएं भी विलुप्ति की कगार पर खड़ी हो रही हैं. इसके अलावा, जंगलों के बीच रह हे वन्यजीव भी अब आबादी वाले इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे जंगली जानवरों के हमलों की संख्या में इज़ाफा देखा गया है. उत्तराखंड वन विभाग और केंद्रीय पर्यावरण के अनुसार, पिछले 20 सालों में (2005-2025)  के बीच तकरीबन 1.8 लाख हेक्टेयर वन भूमि कई डेवलपमेंट के कामों के लिए काटी गई हैं. अवनीश राय ने कहा कि विकास के नाम पर वनों को काटना ठीक नहीं है. क्योंकि इसका असर स्थानीय मौसम पर भी पड़ता है. अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में इसकी बड़ी कीमत हमें चुकानी होगी. गौरतलब है कि उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी समेत प्रदेशभर के कई इलाकों में लैंडस्लाइड की घटनाएं होती रहती हैं, जो एक चिंता का विषय है. पहाड़ों की खूबसूरती के दीदार के नाम पर बढ़ता पर्यटन भी एक चुनौती बन गया है. पिछले 20 सालों में राज्य में आने वाले टूरिस्टों का आंकड़ा कई गुना बढ़ा है, जो 2005 में तकरीबन मात्रा 1.5 करोड़ था. ये बढ़कर 5 करोड़ के पार हो गई है. यानी वाहनों की आवाजाही और पर्यटकों की बढ़ती चहलकदमी के कारण पहाड़ियों पर दबाव बढ़ा है. गौरतलब है कि उत्तराखंड की स्थानीय जनसंख्या लगभग 1.1 करोड़ है. गौरतलब है कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मार्ग पर स्थित तोताघाटी पर पड़ी बड़ी-बड़ी दरारें भी अब एक चिंता का विषय बन गई है. इसी रूट पर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक हर साल पहुंचते हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, 13 अगस्त को देहरादून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत और बागेश्वर में भारी से ज्यादा भारी बारिश हो सकती है. इससे जलभराव, भूस्खलन (लैंडस्लाइड) और सड़कें बंद होने जैसी दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं. ये वो जिले हैं जहां बारिश का कहर सबसे ज्यादा महसूस होगा. इसी वजह से यहां रेड अलर्ट जारी किया गया है. रेड अलर्ट का मतलब सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि संभावित खतरा और नुकसान भी है. इस आपदा की अनुमानित वजह 3 से 5 अगस्त के बीच हुई अत्यधिक भारी बारिश है। उत्तर भारत में मानसून और उसके सक्रिय चरण के कारण जिले के कुछ हिस्सों में एक ही दिन में लगभग 30 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई। शहर में आए पानी के प्रकोप और उसकी मात्रा से ऐसा लग रहा है कि यह एक अचानक हुई घटना थी, जिससे राज्य के अधिकारियों ने इसे ‘बादल फटना’ घोषित कर दिया। हालांकि, आधिकारिक पूर्वानुमानकर्ता, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) इसे जिस तरह से परिभाषित करता है, उसमें इसका एक बहुत ही खास अर्थ होता है। 10 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे में कम से कम 10 सेंटीमीटर की भारी बारिश आमतौर पर बादल फटने की श्रेणी में आती है। इन ऊंचाइयों पर मौसम संबंधी रडार के अभाव का मतलब है कि आईएमडी इस किस्म की गणना करने में असमर्थ है। इसलिए, यह बहुत मुमकिन है कि पिछले 48 घंटों से लगातार हो रही भारी बारिश ने मिट्टी को ढीला कर दिया हो और पहाड़ी व ऊबड़-खाबड़ इलाके ने भारी मात्रा में पानी के साथ मिलकर बड़ी मात्रा में गाद बहा दी हो। जान, आजीविका और संपत्ति के नुकसान मद्देनजर यह सिर्फ अकादमिक रुचि का विषय लग सकता है कि यह एक आकस्मिक घटना थी या धीरे-धीरे बढ़ती समस्याओं का नतीजा। इसे ‘बादल फटने’ के रूप में वर्गीकृत करने से राज्य के अधिकारी खुद को असहाय बता सकते हैं। एकबारगी जब ऐसे वाकये को एक अजीबोगरीब घटना के रूप में पेश कर दिया जाता है, तो यह घटना सिर्फ ‘प्रार्थनाओं’ और ‘गहरी उदासी’ के रूप में सार्वजनिक अधिकारियों की ओर से सोशल मीडिया पर सहानुभूति और पूर्व-निर्धारित सांकेतिक राशि के वितरण के रूप में ही सामने आती है। हालिया घटनाओं से पता चलता है कि ये सब कतई असामान्य नहीं है। जलवायु परिवर्तन ने अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की आशंकाओं को बढ़ा दिया है और इसलिए, पहाड़ों में शुरू की गई बुनियादी ढांचे की कई परियोजनाएं और इनके परिणामस्वरूप निकलने वाला मलबा ऐसी वर्षा की स्थिति में गुप्त विस्फोटकों की तरह काम करते हैं। राहत कार्यों के बाद, राज्य सरकार को – जैसे ही हालात अनुकूल हों – जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली अपरिहार्य क्षति को कम करने के लिए राज्य के महत्वपूर्ण स्थानों पर मलबे और गाद के संचय की समीक्षा करनी चाहिए। निर्माण कार्य केवल परोक्ष नहीं बल्कि अपरोक्ष रूप से भी प्रकृति को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि हर निर्माण से रेडिएशन निकलता है, जो वायुमंडल में जाकर तापमान बढ़ाता है. जिस इलाके में अधिक निर्माण होता है, वहां का औसत तापमान आसपास के क्षेत्रों से ज्यादा पाया जाता है. यह तापमान वृद्धि बादलों के बनने और बरसने के तरीके को भी बदल देती है. ग्लोबल वार्मिंग, जंगलों की कटाई और अंधाधुंध निर्माण का संयुक्त असर अब पहाड़ों पर साफ दिखने लगा है. पहले जहां बादल महीनों में बनकर हल्की-हल्की बारिश देते थे, अब वहीं अचानक कुछ घंटों में घिरकर भारी तबाही मचा रहे हैं.विशेषज्ञों की चेतावनी है कि अगर यह रफ्तार नहीं थमी, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड और अन्य हिमालयी राज्यों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं कई गुना बढ़ सकती हैं. स्थानीय पर्यावरणविद भी मानते हैं कि अब समय आ गया है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कायम किया जाए.योजनाबद्ध व टिकाऊ निर्माण, जंगलों का संरक्षण और पहाड़ी इलाकों में निर्माण पर सख्त नियंत्रण ही इस संकट से बचने का एकमात्र रास्ता है. अन्यथा, न केवल पहाड़ों की खूबसूरती, बल्कि वहां की जिंदगियां भी गंभीर खतरे में पड़ जाएंगी. विकास की रफ्तार और बढ़ते पर्यटन के बीच अगर पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो उत्तराखंड जैसे संवेदनशील हिमालयी प्रदेश में आपदाओं का खतरा और बढ़ता रहेगा। अब समय है सतर्कता और संतुलित विकास का ताकि प्राकृतिक सुंदरता और जीवन दोनों को बचाया जा सके। उत्तराखंड केवल एक राज्य नहीं, यह हिमालय की आत्मा है। अगर हम इसी गति से पहाड़ काटते रहे, नदियों को बांधते रहे और पर्यटन को उद्योग बनाते रहे, तो अगली पीढ़ी केवल तस्वीरों में नैनीताल और धराली को देखेगी।हमें एक सामूहिक समझदारी, स्थानीय नेतृत्व, युवाओं की सक्रियता और नीति-निर्माताओं की ज़िम्मेदारी की ज़रूरत है। वरना ये पहाड़ चुप नहीं रहेंगे। वे चीखेंगे, वे बहेंगे, और वे हमें चेताएंगे—बार-बार।हिमालय यदि जीवित रहा, तो जीवन बचेगा। नहीं तो विकास की रफ्तार ही हमारी विनाशगाथा बन जाएगी। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/08/Video-1-Naye-Sapne-1.mp4
Previous Post

जोशीमठ ब्लॉक के प्रमुख पद पर कांग्रेस के अनूप नेगी 28 मत लेकर विजियी हुए

Next Post

फोटो फिजिक्स लैब के संस्थापक, प्रतिभा की खान थे प्रो. डीडी पंत

Related Posts

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने दी प्रदेश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

August 14, 2025
2
उत्तराखंड

फोटो फिजिक्स लैब के संस्थापक, प्रतिभा की खान थे प्रो. डीडी पंत

August 14, 2025
6
उत्तराखंड

जोशीमठ ब्लॉक के प्रमुख पद पर कांग्रेस के अनूप नेगी 28 मत लेकर विजियी हुए

August 14, 2025
5
उत्तराखंड

थराली में प्रवीण पुरोहित, नारायणबगड़ में गणेश चंदोला,देवाल में तेजपाल सिंह रावत बने ब्लॉक प्रमुख चुने गए

August 14, 2025
6
उत्तरकाशी

घटना के संभावित कारणों को जानने के लिए शासन के द्वारा गठित विशेषज्ञों की टीम बुधवार को धराली पहॅूंची

August 13, 2025
7
उत्तराखंड

सीएम धामी ने देहरादून में जनप्रतिनिधियों, युवाओं, छात्र – छात्राओं, महिलाओं एवं बच्चों के साथ तिरंगा यात्रा का नेतृत्व किया

August 13, 2025
9

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/08/Video-1-Naye-Sapne-1.mp4

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मुख्यमंत्री ने दी प्रदेश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ

August 14, 2025

फोटो फिजिक्स लैब के संस्थापक, प्रतिभा की खान थे प्रो. डीडी पंत

August 14, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.