• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड के गाँधी इंद्रमणि बडोनी

18/08/21
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
0
SHARES
586
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड राज्य का निर्माण एक बड़े जन आन्दोलन के रूप में हुआ है जिस में उत्तराखंड के हर वर्ग में अपनी महत्व पूर्ण भूमिका निभाई। उत्तराखंड के गाँधी के नाम से मशहूर इन्द्रमणि बडूनी ने इस पूरे जनांदोलन को एक दिशा दी और राज्य आंदोलन की कर्मभूमि बना ऋषिकेश जंहा से ये आंदोलन सांस्कृतिक रूप में निकल कर उत्तराखंड के गांव गांव से दिल्ली दरबार तक पहुंचा ।आज उत्तराखंड अपने प्रणेता इंद्रमणी बडूनी की पुण्यतिथि मना रहा है जो सपना इंद्र मणि बडोनी ने देखा था चंद सालो में उत्तराखंड अपने मूल उद्येश्य से भटक गया है। जो सपने राज्य निर्माण के समय पर थे ,जो आज भी अधूरे है पहाड़ आज भी बेरोजगारी -पलायन का शिकार है विकास की राह देख रहे है।

आज पुरे प्रदेश में इंद्र मणि बडूनी की पुण्यतिथि को संस्कृति उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। ऋषिकेश बडोनी की कर्मस्थली रहा है यही से राज्य आंदोलन की चिंगारी उठी थी शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में राज्य आन्दोलनकारी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे है।आज 18 अगस्त को उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास में ‘पहाड के गांधी’ के रूप में याद किए जाने वाले श्री इन्द्रमणि बडोनी जी की पुण्यतिथि है. मगर दुःख के साथ कहना पड़ता है कि उत्तराखंड की जनता के द्वारा इस जन नायक की पुण्यतिथि जिस कृतज्ञतापूर्ण हार्दिक संवेदनाओं के साथ मनाई जानी चाहिए उसका अभाव ही नजर आता है. इससे सहज में ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड की राजनीति आज किस प्रकार की विचारशून्य, स्वार्थपूर्ण और निराशा के दौर से विचरण कर रही है?

इतिहास साक्षी है कि जो कौम या समाज अपने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भुला देता है, श्री इन्द्रमणि बडोनी जी उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के मुख्य सूत्रधार थे. अगस्त का यह महीना वैसे भी स्वतंत्रता आंदोलन के वीर सेनानियों को उनके योगदान के लिए याद करने का विशेष महीना होता है. बडोनी जी के संदर्भ में अगस्त का महीना उनके राजनैतिक संघर्ष का खास महीना भी था. 2 अगस्त 1994 को उन्होंने पौड़ी प्रेक्षागृह के सामने आमरण अनशन का जन आंदोलन शुरू किया था और 7 अगस्त 1994 को उन्हें पहले मेरठ अस्पताल में और बाद में दिल्ली स्थित आयुर्विज्ञान संस्थान में जबरन भरती करवा दिया गया. इसी दौरान उत्तराखंड राज्य आन्दोलन पूरे पहाड में आग की तरह फैल चुका था. उत्तराखंड की सम्पूर्ण जनता अपने महानायक के पीछे लामबन्द हो गयी थी. बीबीसी ने तब कहा था, ‘‘यदि आपने जीवित एवं चलते फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड की धरती पर चले जायें. वहाँ गांधी आज भी अपनी उसी अहिंसक अन्दाज में विराट जन आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.’’

उत्तराखण्ड आंदोलन के प्रणेता इन्द्रमणि बडोनी राज्य निर्माण के लिए सन् 1980 में उत्तराखण्ड क्रांति दल में शामिल हुए. उन्हें पार्टी का संरक्षक बनाया गया.1989 से 1993 तक उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य प्राप्ति के लिए पर्वतीय अंचलों में व्यापक स्तर पर जनसम्पर्क अभियान द्वारा जन जागृति की मुहिम चलाई और लोगों को अलग राज्य की लडाई लडने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया. पूरे पहाड़ में व्यापक आंदोलन शुरू होने के बाद तन मन धन से समर्पित बडोनी जी ने स्कूल कालेजों में आरक्षण व पंचायती सीमाओं के पुनर्निधारण नीति का विरोध करते हुए 2 अगस्त 1994  को कलेक्ट्रेट कार्यालय पर आमरण अनशन शुरू कर दिया.

कालांतर में उनका यह अनशन उत्तराखण्ड आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ.उनके इसी आमरण अनशन ने आरक्षण के विरोध को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में बदल दिया. बडोनी जी आंदोलन के दौरान गांधीवादी विचारों, सत्याग्रहपूर्ण सिद्धांतों और आंदोलन को नेतृत्व देने की अपनी विशिष्ट शैली के कारण स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधा बनकर एक क्रातिकारी नेता के रूप में भारतीय राजनीति में छाए रहे. वह अहिंसक आंदोलन के प्रबल समर्थक थे.उनके इसी क्रातिकारी व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए तब अमरीकी अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने स्व.इन्द्रमणि बडोनी जी को ‘पहाड के गॉधी’ की उपाधि दी थी.

‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने लिखा था–“उत्तराखण्ड आंदोलन के सूत्रधार इन्द्रमणि बडोनी की आंदोलन में उनकी भूमिका वैसी ही थी जैसी आजादी के संघर्ष के दौरान ‘भारत छाड़ो’ आंदोलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीवादी ने निभायी थी. जिसकी परिणति अंततः उत्तराखंड की स्थापना के रूप में हुई.” श्री इन्द्रमणि बडोनी जी को देवभूमि उत्तराखंड और अपनी संस्कृति के प्रति अगाध प्रेम था. उत्तराखंड हिमालय भ्रमण के दौरान उन्होंने ही भिलंगना नदी के उद्गम स्थल खतलिंग ग्लेशियर को खोजा था. उनका सपना पहाड को आत्मनिर्भर राज्य बनाने का था और उन्ही के प्रयासों से इस क्षेत्र में दुर्लभ औषधियुक्त जडी बूटियों की बागवानी प्रारम्भ हुई.

उनका सादा जीवन देवभूमि के संस्कारों का ही जीता-जागता नमूना था. वे चाहते थे कि इस पहाडी राज्य को यहां की भौगोलिक परिस्थिति व विशिष्ट सांस्कृतिक जीवन शैली के अनुरूप विकसित किया जाए. वर्ष 1958 में राजपथ पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर बडोनी जी ने केदार नृत्य की ऐसी कलात्मक प्रस्तुति की थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी उनके साथ थिरक उठे थे. युग पुरुष इन्द्रमणि बडोनी जी हिमालय के समान दृढ निश्चयी,गंगा के समान निर्मल हृदय,नदियों और हरे भरे जंगलों की भांति परोपकारी वृत्ति के महा मानव थे. उत्तराखंड के इस सच्चे सपूत ने 72 वर्ष की उम्र में 1994 में राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी उन्होंने बताया कि वन अधिनियम के विरोध में उन्होंने आन्दोलन का नेतृत्व किया और पेड़ों के कारण रुके पड़े विकास कार्यों को खुद पेड़ काट कर हरी झंडी दी.

1988 में तवाघाट से देहरादून तक की उन्होंने 105 दिनों की पैदल जन संपर्क यात्रा की.18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत अनंत यात्रा की तरफ महाप्रयाण कर गया. इसे भी हमारा दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस राज्य के लिए बडोनी जी ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया उसके अस्तित्व में आने से पहले ही वह हमें नेतृत्व विहीन करके चला गया.आज हमारे बीच बडोनी जी जैसे नेता होते तो उत्तराखंड की ऐसी दुर्दशा नहीं होती. उत्तराखंड की ‘अगस्त क्रांति’ के इस जननायक को उनकी पुण्यतिथि पर हम समस्त उत्तराखंडवासी अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. 1961 में वो गाँव के प्रधान बने. इसके बाद जखोली विकास खंड के प्रमुख बने. बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा में तीन बार देव प्रयाग विधानसाभ सीट से जीतकर प्रतिनिधित्व किया.

1977 का चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा और जीता भी. 1980 में उन्होंने उत्तराखंड क्रांति दल का हाथ थामा और जीवन भर उसके एक्टिव सदस्य रहे. उत्तर प्रदेश में बनारसी दास गुप्त के मुख्यमंत्रित्व काल में वे पर्वतीय विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे. बडोनी ने 1989 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. यह चुनाव बडोनी दस हजार वोटो से हार गये, कहते हैं कि पर्चा भरते समय बडोनी की जेब में मात्र एक रुपया था जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ब्रह्मदत्त ने लाखों रुपया खर्च किया.1988 में उत्तराखंड क्रांतिदल के बैनर तले बडोनी ने 105 दिन की पदयात्रा की. यह पदपात्रा पिथौरागढ़ के तवाघाट से देहरादून तक चली. उन्होंने गांव के घर-घर जाकर लोगों को अलग राज्य के फायदे बताये.

1992 में उन्होंने बागेश्वर में मकर संक्रांति के दिन उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण घोषित कर दी.कला और संस्कृति से बेहद लगाव रखने वाले बडोनी ने ही पहली बार माधो सिंह भंडारी नाटक का मंचन किया था. उन्होंने दिल्ली और मुम्बई जैसे बड़े शहरों में भी इसका मंचन कराया. शिक्षा क्षेत्र में काम करते हुये उन्होंने गढ़वाल में कई स्कूल खोले, जिनमें इंटरमीडियेट कॉलेज कठूड, मैगाधार, धूतू एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय बुगालीधार प्रमुख हैं.माना जाता है कि सहस्त्रताल, खतलिंग ग्लेशियर, पंवालीकांठा ट्रेक की पहली यात्रा इन्द्रमणि बडोनी द्वारा ही की गयी.वह ज्यादा दिनों तक अपनी स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकता.उन्हें पौड़ी में दो अगस्त 1994 से आमरशन अनशन शुरू करने के लिए भी याद किया जाता है। उनकी गिरफ्तारी के बाद आंदोलन ने नयी गति पकड़ ली और केंद्र पर अलग राज्य के गठन के लिए दबाव बढ़ा। इसके बाद नौ नवंबर 2000 को नए राज्य का गठन हुआ, लेकिन बडोनी अपनी इस कामयाबी को देखने के लिए जीवित नहीं रहे और उनका 18 अगस्त 1999 को निधन हो गयापहाड़ के इस गांधी को कोटि कोटि नमन!!

ShareSendTweet
Previous Post

धामी सरकार ने अपसरों को एक बार फिर फैंटा

Next Post

सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत स्वयं पहुँचे डायट डीएलएड को समर्थन देने

Related Posts

उत्तराखंड

ग्रामोत्थान परियोजना से प्रदेश के 10 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका को मिला सहारा

July 13, 2025
8
उत्तराखंड

यक्षवती नदी संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्वैच्छिक पहल शुरू

July 13, 2025
63
उत्तराखंड

हरेला पर्व के उपलक्ष्य में किया पौधारोपण

July 13, 2025
31
उत्तराखंड

अब राज्य में सरकारी सेवाओं में चयन का आधार केवल और केवल मेरिट, प्रतिभा व योग्यता है: धामी

July 12, 2025
17
उत्तराखंड

जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर छात्र-छात्राएं

July 12, 2025
16
उत्तराखंड

राष्ट्रीय खेलों के बाद उत्तराखंड में खेलों की नई उड़ान, सीएम धामी ने दिए लिगेसी प्लान पर तेज़ कार्यवाही के निर्देश

July 12, 2025
10

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

ग्रामोत्थान परियोजना से प्रदेश के 10 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका को मिला सहारा

July 13, 2025

यक्षवती नदी संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्वैच्छिक पहल शुरू

July 13, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.