डॉ.महेंद्र सिंह मिराल द्वारा गंगोत्री ग्लेशियर और उसके तमाम पर्यावरणीय पक्षों पर किये गए वैज्ञानिक शोध पर आधारित पुस्तक “Gangotri Glacier of Himalya Paradise in Peril” प्रकाशित होकर शीघ्र ही आप लोगों के बीच आ रही है। पुस्तक में शामिल विविध सामग्री को देखते हुए इस पुस्तक को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाना जा सकता है । इस सार्थक पहल के लिए मित्र डॉ.महेंद्र मिराल हार्दिक बधाई के पात्र हैं ।पुस्तक के संदर्भ में एक विशेष बात यह भी है कि डॉ.मिराल भूगोलवेत्ता होने के साथ ही कुशल साहसिक पथारोही भी हैं उन्होंने उच्च हिमालयी क्षेत्र में समय-समय पर कई जोखिम भरे पथारोहण सफलता पूर्वक सम्पन्न किये हैं जिनके वजह से इस पुस्तक की प्रमाणिकता और अधिक बढ़ना निश्चत है।
पुस्तक में लेखक द्वारा गंगा के उद्गम उस पर प्रचलित पौराणिक कथाये , गंगा की प्राचीन भारतीय संस्कृति, गंगा की धार्मिक मान्यताएं, ऐतिहासिक संदर्भ में गंगोत्री, स्थलीय भूगर्भीय अध्ययन, हिमनदों की स्थिति, ग्लोबल वॉर्मिंग का स्थानीय पर्यावरण में प्रभाव, स्थानीय वनस्पति एवं जीव-जंतु, स्थानीय भू अकृतियां तथा गंगोत्री ग्लेशियर के सिकुड़ने जैसे कई भौगोलिक बिदुओं को शामिल किया है l
इसके अलावा डॉ. मिराल ने इस पुस्तक में जलवायु परिवर्तन एवं हिमालय के क्षेत्र की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं व हिमालयी क्षेत्र में अनियोजित पर्यटन के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला हैl
साथ ही लेखक द्वारा हिमालयी भाग के साथ ही गंगा में हिम/बर्फ और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के प्रभावों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाने की कोशिश की गई है lहिमालय व गंगोत्री ग्लेशियर के कई महत्वपूर्ण व दुर्लभ चित्रो को भी पुस्तक में शामिल किया गया है। संस्मरण के रूप में गौमुख से बद्रीनाथ वाया कालिंदी खाल की अत्यंत साहसिक व रोमांचक हिम यात्रा का उल्लेख भी पुस्तक के फलक को विस्तार देता है । हिमालयी भौगोलिक परिवेश व पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित इस बहुमूल्य पुस्तक का प्रकाशन समय साक्ष्य, फालतू लाइन, निकट दर्शन लाल चौक, देहरादून द्वारा किया जा रहा है। आशा की जानी चाहिए कि यह पुस्तक हिमालय पर अध्ययन व शोध करने वाले अध्येताओं के लिए उपयोगी साबित होगी।
चंद्रशेखर तिवारी
देहरादून