• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

सोने की खान साबित हो सकती है गुच्छी की खेती

24/02/20
in उत्तराखंड, हेल्थ
Reading Time: 1min read
0
SHARES
843
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपराओं ही नहीं, यहां के खान.पान में भी विविधता का समावेश है। गुच्छी एक कवक है, जिसके फूलों या बीजकोश के गुच्छों की तरकारी बनती है। चीन में इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों से शारीरिक रोगों-क्षय को ठीक करने के लिए किया जा रहा है। गुच्छी मशरूम में 32.7 प्रतिशत प्रोटीन, 2 प्रतिशत फैट, 17.6 प्रतिशत फाइबर, 38 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट पाया जाता है, इसीलिए यह काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। गुच्छी मशरूम से प्राप्त एक्सट्रैक्ट की तुलना डायक्लोफीनेक नामक आधुनिक सूजनरोधी दवा से की गई है। इसे भी सूजनरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है। इसके प्रायोगिक परिणाम ट्यूमर को बनने से रोकने और कीमोथेरेपी के रूप में प्रभावी हो सकते हैं। गठिया जैसी स्थितियों होने वाले सूजन को कम करने के लिए मोरेल मशरूम एक औषधीय एक रूप में काम करती है। ऐसा माना जाता है कि मोरेल मशरूम प्रोस्टेट व स्तन कैंसर की संभावना को कम कर सकता है, यह स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर है।
भारत और नेपाल में स्थानीय भाषा में इसे गुच्छी, छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है। गुच्छी चंबा, कुल्लू, शिमला, मनाली सहित हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के जंगलों में पाई जाती है। गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है इसे हिंदी में स्पंज मशरूम भी कहा जात है। खासतौर पर कश्मीरए हिमाचलए उत्तराखंड व हिमालय के ऊंचे हिस्सों में पैदा होने वाली गुच्छी की सब्जी पहाड़ों पर बिजली की गडग़ड़ाहट व चमक से बर्फ से निकलती है अगर इसका लगातार सेवन किया जाए तो काफी वर्षों तक जवान और स्वस्थ रहा जा सकता है। अमूमन अधिक ऊंचाई वाले ठंडे देवदार या चीड़ के जंगलों में ही ये उगती है। हिमाचल में इसके दाम 10 से 15 हजार रुपए प्रतिकिलो के करीब हैं जबकि दिल्ली में गुच्छी प्रतिकिलो 40 हजार से अधिक दामों में खरीदी जाती हैं। यही कारण है कि इसे दुनिया की सबसे महंगी सब्जी कहा जाता है।
भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरीका, यूरोप, फ्रांस, इटली और स्विजरलैंड जैसे देशों में भी गुच्छी की काफी डिमांड है। जंगलों में इसके दिखाई देने का समय अप्रैल से मई माह तक का होता है। गुच्छी जिसे चेयऊ भी कहा जाता है वो हिमाचल के कुल्लू, किन्नौर, रोहड़ू और चंबा में अधिक पाया जाता है। कश्मीर और उत्तराखंड के जंगलों में इसे पाया जाता है। भारत की सबसे उम्दा और कीमती गुच्छी कुल्लू और रोहड़ू की ही मानी जाती है। बंजार मेले में जंगलों में पाई जाने वाली जड़ी बूटी गुच्छी के अच्छे दाम मिलने से घाटी के लोगों में खुशी का माहौल है। इस बार हुई भारी बर्फबारी से जंगलों में गुच्छी की भी अच्छी पैदावार हुई है। वर्षो से अपनी व गुच्छियों के व्यापार के लिए मशहूर है और मेले के दौरान अन्य राज्यों से दर्जनों व्यापारी घाटी का रुख करते हैं। कई वर्ष से सही समय पर वर्षा व हिमपात न होने से जंगलों में पाई जाने वाली ज्यादातर दुर्लभ जड़ी बूटियां विलुप्त होने के कगार पर थी। घाटी में कई ऐसे स्थान हैं। जहां पर नमी न रहने के कारण जड़ी बूटियों का अस्तित्व खत्म हो गया।
जलवायु में बदलाव आने पर वनों की बहुमूल्य औषधियां गुच्छी, हथपंजा, वन ककड़ी, पतीश, शींगली, मींगली व अन्य का अस्तित्व नष्ट होने के कगार पर था। लेकिन घाटी में हुई भारी बारिश व बर्फबारी से जड़ी बूटियों के लिए संजीवनी बनकर आई है। स्थानीय ग्रामीण का कहना है कि जंगलों में गुच्छी काफी मात्रा में मिल रही है और मेले में भी दस हजार रुपये प्रतिकिलो दाम व्यापारी दे रहे हैं। ऐसे में अबकी बार गुच्छी से ग्रामीणों को बेहतर कमाई की उम्मीद है। वहीं, बंजार मेले में गुच्छी का व्यापार करने पहुंचे व्यापारी नोखू राम, मोहनी, सोहल का कहना है कि प्रथम दिन गुच्छी का मूल्य नौ हजार से बढ़ कर दस हजार रुपये तक पहुंच गया है। आने वाले दिनों में मूल्यों में वृद्धि हो सकती है। इसे जड़ी.बूटी भी माना जाता है जिसमें विटामिन बी और सी की प्रचुर मात्रा होती है। इसके महंगे होने के कारण नियमित रूप से इस्तेमाल करना मुश्किल है लेकिन अगर किया जाए तो इससे आप दिल की तमाम बीमारियों से बच सकते हैं।
ब्लड प्रेशर, चर्म रोग, शारीरिक दुर्बलता यहां तक की कैंसर की प्रथम और दूसरी स्टेज में भी दवा का काम करती है इसके दावे किए जाते हैं। यही कारण है कि इस सब्जी से बनी सूप की डिमांड पांच सितारा होटलों में खूब रहती है। केंद्र व राज्य सरकार को गुच्छी के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चीन से एक कदम आगे बढ़ाना होगा। बहरहाल, चीन में गुच्छी को खाद इत्यादि से तैयार किया जाता है और हिमाचल में यह सब्जी प्रकृति की देन है। अब सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कौन सी माटी की सब्जी अधिक पौष्टिक होगी। जंगलों में गुच्छी ढूंढने के काम में बढिया मुनाफा मिलने से लोगों को बेसब्री से गुच्छियों के उगने के सीजन का इंतजार रहता है। बेरोजगार युवक.युवतियां गुच्छियां ढूंढकर अच्छी खासी आमदनी कमा लेते हैं।
मशरूम प्रजाति की गुच्छी आजकल अमीर घरों की पहली पसंद है। गुच्छी अप्रैल से जून माह के बीच ज्यादा उगती है और ज्यादा समय टिकती भी है। बारिशों के दौरान पैदा होने वाली गुच्छी अधिक समय तक नहीं चल पाती है।इसमें बहुत जल्दी ही फंगस आ जाती हैस भारतीय बाजार में बिकने वाली गुच्छी क्वालिटी के मामले में विदेशी माल से कमतर है क्योंकि चाइनीज गुच्छी अच्छे माहौल में पैदा होने की वजह से ज्यादा अच्छी दिखती है। गुणों की बात की जाए तो अपने औषधीय गुणों के कारण भारतीय गुच्छी अपना वर्चस्व बनाए हुए है। चीन की गुच्छी को तैयार किए जाने के बाद उनके व्यापार में काफी गिरावट आई है। उनका कहना है कि केंद्र व राज्य सरकार को गुच्छी के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चीन से एक कदम आगे बढ़ाना होगा। बहरहाल, चीन में गुच्छी को खाद इत्यादि से तैयार किया जाता है और हिमाचल में यह सब्जी प्रकृति की देन है।
अब सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कौन सी माटी की सब्जी अधिक पौष्टिक होगी। इसे विश्व में सब से मंहगी सब्जी मानी जाती है गुच्छी ढूंढने के काम में मिलने वाले बढिय़ा मुनाफे को देखते हुए क्षेत्रवासी बेसब्री से गुच्छियों के उगने के सीजन का इंतजार करते हैं। क्षेत्र में रहने वाले नेपाली मजूदरों के अलावा बेरोजगार युवक.युवतियां भी गुच्छियां ढूंढ कर अच्छी खासी आमदनी कर लेते हैं। विदेशों में अच्छी मांग प्रदेश के अलावा हिमाचलए उत्तराखंड और कश्मीर में भी गुच्छी को दूसरे देशों को निर्यात होता है। कुल्लू जिला में अमरीकाए यूरोपए फ्रांसए इटली व स्विट्जरलैंड को गुच्छी भेजी जाती है उत्तराखंड में यदि गुच्छी की पैदावार व्यावसायिक तौर पर की जाए तो वह यहां के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाली यह सोने की खान साबित हो सकती है।जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुच्छियों की अच्छी खासी मांग रहती है और इनके दाम भी अच्छे खासे मिलते हैं जिसमें 30 से लेकर 40 हजार रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से भी दाम मिलते हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को व्यापारियों द्वारा लूटा जा रहा है। लेकिन अब जल्द ही ऊंचे पहाड़ों में रहने वाले लोग गुच्छी इकठ्ठा कर लेते हैं जिनसे ये कंपनियां और होटल 10 से 15 हजार रुपए प्रतिकिलो के भाव से खरीदती हैं। उत्तराखंड में चीन सीमा के करीब गुच्छी के खेत देखने को मिल सकते हैं। ऐसी को यदि बागवानी रोजगार से जोड़े तो अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग हैण् क्षेत्र में अरसे से वन संपदा का अवैध रूप से कारोबार हो रहा है। प्रियंगुल, बनूनी, कैंथली, ददरियाड़ा, जोत और काहरी बीट में ग्रामीण काफी मात्रा में गुच्छियां एकत्रित करते हैं। हालांकि, इन बीटों में इक्का दुक्का कारोबारियों के पास ही परमिट है, जो गुच्छी की खरीद फरोख्त कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ कारोबारी बिना परमिट के ही अवैध रूप से कारोबार करके खूब मुनाफा कमा रहे हैं। इससे रॉयलिटी के रूप में वन विभाग के खाते में जमा होने वाली राशि विभाग को नहीं मिल पा रही है। वन विभाग की ओर से ऐसे कारोबारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सूत्रों की मानेंम तो इस धंधे में जुटे ज्यादातर लोगों के पास कोई परमिट नहीं है और वे कम मूल्य पर ग्रामीणों से जड़ी बूटियां खरीदकर पड़ोसी राज्य पंजाब में भारी भरकम दामों पर बेच रहे हैं। इससे सरकार को लाखों का चूना लग रहा है यदि इस दिशा में सरकार द्वारा सकारात्मक पहल की जाती है तो उत्तराखण्ड के लिए सुखद ही होगा।
पहाड़ों में प्राकृतिक तौर पर उगने वाली जड़ी.बूटियों का वजूद खतरे में पड़ गया है। इन बेशकीमती जड़ी.बूटियों की पांच दर्जन से अधिक प्रजातियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अवैज्ञानिक तरीके से हो रहा इन जड़ी बूटियों का दोहन इनकी विलुप्तता के लिए खतरा है। ऐसे में इन औषधीय बूटियों का वनों से अस्तित्व ही मिट जाएगा। पूरे हिमालय क्षेत्रों में 1748 जड़ी बूटियों में से 339 पेड़ प्रजातिए 1029 शाखा और 51 टेरिटो थाईटस प्रजातियां हैं। प्रदेश में जड़ी बूटियां की करीब 645 प्रजातियां है। ऐसी को यदि जड़ी बूटियों को रोजगार से जोड़े तो अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग रहती है। किसी भी राज्य के सही नियोजन के लिए आवश्यक है कि उसके पास वास्तविक आंकड़े हों तभी भविष्य की रणनीति तय की जा सकती है। काल्पनिक फर्जी आंकड़ों के आधार पर यदि योजनाएं बनाई जाती है तो उससे आवंटित धन का दुरपयोग ही होगा। अपनी जिम्मेदारियों का समुचित निर्वहन कर बेशकीमती जड़ी.बूटियों से कमा रहे बेहतर मुनाफा योजनाएं बनाई जाती है तो पर्वतीय क्षेत्रों द्वारा फल उत्पादन को बढ़ावा मिल में की जा सकती है।

ShareSendTweet
Previous Post

जनगणना अधिकारियों को दिया गया दो दिवसीय प्रशिक्षण

Next Post

दर्दनाक हादसा: ऑल्टो कार अनियंत्रित होकर 200 फीट गहरी खाई में गिरी, तीन लोगों की मौत

Related Posts

उत्तराखंड

मंत्री ने मृतक उपनल कर्मचारी के परिवार को दिए 50 लाख

August 6, 2025
51
उत्तराखंड

24 घंटों से हो रही मूसलाधार बरसात पिंडर घाटी में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

August 6, 2025
11
उत्तराखंड

ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने कोटद्वार में लगातार भारी वर्षा से उत्पन्न परिस्थितियों का सभी विभागों संघ किया स्थलीय निरीक्षण

August 6, 2025
8
उत्तरकाशी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, राहत कार्यों की समीक्षा की

August 6, 2025
13
उत्तरकाशी

केंद्र और राज्य सरकार ने राहत- बचाव अभियान में झौंकी ताकत

August 6, 2025
14
उत्तरकाशी

धराली में युद्धस्तर पर चल रहे राहत और बचाव कार्य

August 5, 2025
43

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मंत्री ने मृतक उपनल कर्मचारी के परिवार को दिए 50 लाख

August 6, 2025

24 घंटों से हो रही मूसलाधार बरसात पिंडर घाटी में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

August 6, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.