डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
दुनियाभर में अलग.अलग तरीके के फूल पाए जाते हैं, उन्हीं में से एक गुड़हल या जवाकुसुम वृक्षों के मालवेसी परिवार से संबंधित एक फूलों वाला पौधा है। इसका वनस्पतिक नाम है हीबीस्कूस् रोज़ा साइनेन्सिस। इस परिवार के अन्य सदस्यों में कोको, कपास, भिंडी और गोरक्षी आदि प्रमुख हैं। यह विश्व के समशीतोष्ण, उष्णकटिबंधीय और अर्द्ध उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। गुडहल जाति के वृक्षों की लगभग २००-२२० प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ वार्षिक तथा कुछ बहुवार्षिक होती हैं। गुड़हल की कुछ प्रजातियों को उनके सुन्दर फूलों के लिये उगाया जाता है।
नीबू, पुदीने आदि की तरह गुड़हल की चाय भी सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। गुड़हल की एक प्रजाति ष्कनाफष् का प्रयोग कागज बनाने में किया जाता है। एक अन्य प्रजाति रोज़ैल का प्रयोग प्रमुख रूप से कैरिबियाई देशों में सब्जी, चाय और जैम बनाने में किया जाता है। गुड़हल के फूलों को देवी और गणेश जी की पूजा में अर्पित किया जाता है। गुड़हल के फूलों में, फफूंदनाशक, आर्तवजनक, त्वचा को मुलायम बनाने और प्रशीतक गुण भी पाए जाते हैं। कुछ कीट प्रजातियों के लार्वा इसका प्रयोग भोजन के रूप में करते हैं।
दक्षिण भारत के मूल निवासी गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल बालों की देखभाल के लिये करते हैं। इसके फूलों और पत्तियों को पीस कर इसका लेप सर पर बाल झड़ने और रूसी की समस्या से निपटने के लिये लगाया जाता है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने में भी किया जाता है। इस फूल को परंपरागत हवाई महिलाओं द्वारा कान के पीछे से टिका कर पहना जाता और इस संकेत का अर्थ होता है कि महिला विवाह हेतु उपलब्ध है। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार सफेद गुड़हल की जड़ों को पीस कर कई दवाएँ बनाई जाती हैं।
मेक्सिको में गुड़हल के सूखे फूलों को उबालकर बनाया गया पेय एगुआ डे जमाई का अपने रंग और तीखे स्वाद के लिये काफी लोकप्रिय है। अगर इसमें चीनी मिला दी जाय तो यह क्रैनबेरी के रस की तरह लगता है। डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं। ताइवान के चुंग शान मेडिकल यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि गुड़हल के फूल का अर्क दिल के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना रेड वाइन और चाय। इस फूल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मददगार होते हैं। विज्ञानियों के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुड़हल हीबीस्कूस् का अर्क कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। इसलिए यह इनसानों पर भी कारगर होगासाथ ही कुछ झाड़ियाँ और छोटे वृक्ष भी इसी प्रजाति का हिस्सा हैं। गुड़हल की दो विभिन्न प्रजातियाँ मलेशिया तथा दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय पुष्प के रूप में स्वीकार की गई हैं। गुड़हल का फूल गुड़हल मालवेसी परिवार से संबंधित एक प्रकार के फूलों वाला पौधा है जो कि समशीतोष्ण, उष्ण कटिबंधीय इलाकों में पाया जाता है।
गुड़हल का फूल बेहद ही लाभकारी और गुणकारी होता हैण् ये एक ऐसा फूल होता है जो कईं तरह के पोषक तत्वों से भरा रहता है। इस फूल में विटामिन सी, कैल्शियम, वसा आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। गुड़हल के फूल अलग.अलग प्रकार के रंगों में पाए जाते हैं। जैसे लाल, बैगनी, गुलाब और पीला आदि। इस फूल में कई तरह के विशेष औषधीय गुण पाए जाते हैं जिससे आपकी सेहत को काफी फायदा होता है आम तौर पर गुड़हल का पौधा व इसकी टहनियों में लगे रंग.बिरंगे फूल हर घर की शोभा बढ़ाते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में आम जनमानस इसके औषधीय गुणों से अंजान है। इसकी पत्तियां व फूल जीवनदायनी हैं। गुड़हल की पत्तियों व फूलों के सेवन से अनेक बीमारियों का उपचार संभव है। गुड़हल से बनी चाय कई रोगों के लिए रामबाण है।गुडहल एक पुष्पीय पौधा है।
आम तौर पर इसके नीले, लाल, गुलाबी, पीले फूल घरों और बगीचों की शोभा बढ़ाते हैं। गुड़हल के फूल में जड़ से लेकर पत्तियों तक कई तरह के औषधीय गुण है। गुड़हल का फूल बालों के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है। गुड़हल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग काफी सुदंर हो जाता है। गुड़हल का फूल केवल बाल ही नहीं बल्कि त्वचा से जुड़ी समस्याओं के निदान में भी काफी सहायक होता है। अगर आपके चेहरे पर किसी भी तरह से मुंहासे और दाग.धब्बे हैं तो इनको दूर करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा आप इसका शहद में मिलाकर भी उपयोग कर सकते हैं।
गुड़हल का फूल गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी है। अक्सर इसे बर्फ के साथ बिना चीनी मिलाकर आसानी से पी सकते है, क्योंकि इसमें कई तरह के मूत्रवर्धक गुण होते है। मुंह में छाले होने पर गुड़हल के पत्ते चबाएं। गुड़हल के फूल के जरिए आप शरीर में सूजन और जलन की समस्याओं से भी राहत पा सकते हैं। गुड़हल के फूल की पत्तियों को पीसकर अच्छी तरह से सूजन वाली जगह पर लगाए, जिससे सूजन की समस्या से आप कुछ मिनटों में ही छुटकारा पा सकते हैं। गुड़हल के फूल को सूखाकर इसे हर्बल चाय बनाने में उपयोग किया जाता है। इन सूखे फूलों को पानी में उबालकर चाय तैयार की जाती है। इस चाय के सेवन से मोटापे में राहत मिलती है और आपका मन भी एकाग्र हो जाता है। यह चाय दिल के मरीजों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी काफी ज्यादा सहायक होती हैण् इसके अलावा यह मेमोरी और एकाग्रता भी बढ़ाता है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही यह दिल के मरीजों के लिए भी अच्छी है। गुड़हल का फूल तमाम औषधीय गुणों से भरा हुआ है। गुड़हल के ताजे फूलों को हथेली में मसलकर इसके रस को बढ़िया कंडीशनर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉन्ग.गुजरात के आदिवासी गुड़हल के लाल फूलों को नारियल तेल में डालकर गर्म करते हैं और बालों पर इस तेल से मालिश करते हैं। बालों में गुड़हल के तेल से मालिश करने से बालों के टूटने और झड़ने की समस्या से निदान मिलता है
लेकिन जानकारी के अभाव में आम जनमानस इसके औषधीय गुणों से अंजान है। इसकी पत्तियां व फूल जीवनदायनी हैं। गुड़हल की पत्तियों व फूलों के सेवन से अनेक बीमारियों का उपचार संभव है। अपने घर गांवों को लौट रही इस भीड़ में पहाड़ अपने बंजर हो चुके खेतों के लिए हल तलाश रहा है। माना जा रहा है कि कोरोनोकाल के बहाने ही सही, पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम तो आएगी। यही दरकार भी है, पर सवाल यह है कि कैसे, क्या सरकार की मौजूदा योजनाओं और रीति.नीतियों से यह संभव है। रोजगार का जरिया बनाना इच्छाशक्ति ही है।