देहरादून। दून घाटी में एक रात की तेज बारिश और आंधी तूफान ने किसानों की फसल को चैपट कर दिया है। गन्ना तथा धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। गन्ना और धान की फसल जमीन पर लेट गई है। जिससे किसानों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। किसानों ने मुआवजे की मांग राज्य सरकार से की है। खेती किसानी के लिए मशहूर दूधली घाटी में गन्ना तथा धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार तेज आंधी और बारिश की संभावना जताई गई थी। यह पूर्वानुमान सच साबित हुआ। रात में तेज हवाओं के साथ तेज बारिश हो गई। धान की फसल में अभी बालियां आई ही हैं। बालियों में इस वक्त फूल लग रहे हैं। यह प्रक्रिया धान के दानों में रफेद रस भरने की होती है। इसके बाद यही सफेद रस पक कर चावल बनता है। इस प्रक्रिया में एक से डेढ़ महीने का समय और लगता। इससे पहले ही धान की फसल जमीन पर लेट गई है। जमीदोज हो चुके धान के पौधों में अब आगे की प्रक्रिया नहीं हो पाएगी। इस तरह किसानों को इन खेतों से डाले गए बीज के बराबर भी फसल मिलने की संभावना नहीं बची है।
यही स्थिति गन्ने की भी है। जिन किसानों से अच्छी मेहनत की है, जिन खेतों में गन्ने की अच्छी फसल है, उन खेतों में गन्ने की फसल जमीन पर लेट गई है। चीनी मिल नवंबर के बाद खुलती है। अभी कम से कम डेढ़ से लेकर दो महीने का समय चीनी मिल खुलने में है। जमीन में लेट चुके गन्ने कुछ ही दिनों बाद सूख जाएंगे। किसनों को गन्ने तथा धान की फसल का जो भारी नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई होना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कई किसान बर्बाद हो जाएंगे।